नई दिल्ली। विगत 14 माह से चल रहा किसान आंदोलन आज समाप्त हो गया है। आखिरकार दोपहर में किसानों ने बैठक करने के बाद यह आंदोलन खत्म करने का निर्णय ले ही लिया।

‌बता दें कि एक साल से भी ज्यादा समय से जारी किसान आंदोलन अब खत्म हो गया। संयुक्त किसान मोर्चा ने इसका एलान किया है। इससे पहले मोर्चा ने बैठक की जिसके बाद घर वापसी पर फैसला लिया गया। किसान नेता बलवीर राजेवाल ने कहा कि हम सरकार को झुकाकर वापस जा रहे हैं।

राजेवाल ने कहा कि 15 जनवरी को किसान मोर्चा की फिर बैठक होगी, जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा होगी। किसान वापसी के ऐलान के बाद 11 दिसंबर से दिल्ली बॉर्डर से किसान लौटेंगे। राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने भी ‘घर वापसी’ की तैयारी शुरू कर दी है। सिंघु-कोंडली बॉर्डर पर पिछले एक साल से डटे किसान अब लौट रहे हैं।  किसानों ने बॉर्डर पर बनाए अपने टेंट को उखाड़ना शुरू कर दिया है और तिरपाल, बिस्तर को ट्रकों-ट्रैक्टरों में रखना शुरू कर दिया है। किसानों का कहना है कि सरकार ने उनकी मांगों को मान लिया है, इसलिए अब वो वापस लौट रहे हैं।

किसान नेता शिवकुमार कक्का ने कहा कि हम देश के उन तमाम लोगों से माफी मांगते हैं, जिन्हें इस आंदोलन के चलते परेशानी हुई है। शिवकुमार कक्का ने कहा कि कृषि मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल की ओर से भेजे गए लेटर के बाद यह सहमति बनी है। इस लेटर में हमारी ज्यादातर मांगों पर विचार करने की बात कही गई है। सरकार ने मुकदमों से लेकर तमाम चीजों को लेकर 15 जनवरी तक का समय दिया है। हम इसके बाद समीक्षा करेंगे। उन्होंने कहा कि मैं पीएम मोदी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने तीन कानूनों को लेकर के किसानों को संगठित किया।जानें, आखिर कैसे सरकार और किसानों में बन गई सहमति किसानों और सरकार के बीच इस सप्ताह की शुरुआत से ही बात चल रही थी।

मंगलवार को सरकार ने किसानों को एक चिट्ठी भेजी थी। इसमें एमएसपी पर कमेटी बनाने, मुआवजे पर सैद्धांतिक सहमति और आंदोलन खत्म करने पर मुकदमों की वापसी की बात कही गई थी। इस पर किसानों ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि मुकदमे आंदोलन की समाप्ति के बाद नहीं बल्कि पहले ही हटाए जाएं। इसके बाद सरकार ने नया प्रस्ताव किसानों को भेजा और तत्काल प्रभाव से मुकदमों की बात कही। सरकार के नए प्रस्ताव पर संगठन और आंदोलन खत्म करने का फैसला लिया।