हरिद्वार। देव संस्कृति विद्यालय के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि संत कबीर के विचार हमें सकारात्मक दिशा देता है। उनके विचार इतना प्रबल है कि नकारात्मक विचारों को भी पवित्र करता है और जीवन को परिष्कृत करते हुए व्यक्तित्व को नई दिशा देने में सहायक है।
डॉ. पण्ड्या देवसंस्कृति विवि के मृत्युंजय सभागार में ‘संत कबीर के अनमोल वाणी’ विषय पर आयोजित सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मानवीय सभ्यता को एक नया रूप देने वाले कबीर ने समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए समसामयिक विचार दिये हैं, जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। संत कबीर एक क्रांतिकारी पुरुष थे, उन्होंने पूरी धरती के लिए महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। विपरीत परिस्थितियों से लड़ते हुए कबीर ने समाज को नई दिशा देने के लिए जीवन भर कार्य किया और उन्होंने 120 वर्ष की आयु तक काम किया। युवा चेतना के उत्प्रेरक श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या ने कबीर के जीवन के विभिन्न घटनाक्रमों को याद करते हुए कार्य के प्रति लगन, समर्पण व जीजिविषा से प्रेरणा लेने के लिए प्रेरित किया। महात्मा कबीर मनुष्य जीवन के पथ, पंथ से लेकर दिशाधारा में भी सार्थक परिवर्तन किया है। उन्होंने सामाजिक अंधविश्वास की निंदा और सामाजिक बुराइयों की आलोचना करते रहे। कबीर की दृढ़ मान्यता थी कि कर्म के अनुसार ही मनुष्य की पहचान होनी चाहिए। इस अवसर पर संगीत विभाग के भाइयों ने ‘जाग रे कबीरा जाग…..’ बांसुरी, सितार आदि वाद्ययंत्रों की धुन पर युगसंगीत प्रस्तुत कर उपस्थित लोगों को झंकृत कर दिया। समापन से पूर्व संत कबीर की आरती कर उनके विचारों को अपनाने हेतु सामूहिक रूप से संकल्प लिया। सभा में कुलपति शरद पारधी, कुलसचिव बलदाऊ देवांगन सहित विवि व शांतिकुंज परिवार के उपस्थित रहे।