‘आड़ू’ या peach का botanical name -‘Prunus persica ‘ है। ऐसा माना जाता है कि लगभग 6000 वर्ष पूर्व दक्षिणी-पश्चिमी चीन में  Tarim basin और kunlun पर्वत के बीच की घाटी में आड़ू के पौधों को जंगल से लाकर घरों में उगाना प्रारंभ हुआ।
आज उत्तराखंड सहित लगभग पूरे हिमालयी क्षेत्र में लगभग सभी घरों -बगीचों में आडू के पेड़ आमतौर पर लगे हुए मिलते हैं।  देहरादून में भी आड़ू को उगाया जाता है। आड़ू के पेड़ सर्दियों में अत्यंत सुन्दर गुलाबी-सफेद फूलों से पूरी तरह लदे हुए मिलते हैं।
आड़ू के  भीतर भी  अनेकों रोगनाशक  चमत्कारिक औषधीय गुणों  की भरमार है, जिनकी जानकारी होने पर हम पहाड़ों में  सुलभता से मिलने वाले आड़ू का उपयोग अपने शरीर को निरोगी रख सकते हैं।आड़ू में बहुत ही कम कैलोरी होती है. एक बडे आडू से आपको सिर्फ 68 कैलोरी ही मिलती है। इस फल को सुबह-सुबह नाश्ते में खाने से आप मोटापे से बचे रह सकते हैं। आडू के सेवन से शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता (immunity) का विकास होता है.
इस फल का रस कई तरह के सूक्ष्म जीवों के संक्रमण से बचाता है.
आड़ू के सेवन से कब्जियत और अपच की समस्या का निदान हो जाता है।
आडू में विटामिन की मात्रा बहुत अधिक पाई जाने  के कार्य यह एक अच्छा antioxidant है।
आडू में fibres बहुतायत में  होने से यह पेट और लीवर से टॉक्सिन को हटाने में मदद  करता है। इसमें पाएं जाने वाले कैल्शियम, फास्फोरस हड्डियों को मजबूत बनाने के साथ ही दांतों को भी मजबूत बनाता है।
आड़ू में फेनोलिक और कैरोटिनॉयड कंपाउंड्स होते है.जिनकी ट्यूमर रोधी और कैंसर रोधी विशेषताओं से ये हमे कई प्रकार के कैंसर जैसे – स्तन कैंसर, फेफड़ों का कैंसर आदि से बचाता है।
Vitamin C के कारण ये हमारी त्वचा के लिए भी बहुत लाभकारी है। आड़ू चेहरे को सुंदर भी बना सकता है.
आड़ू के गूदे को निकाल कर इसमें शहद को मिलाये, अब इस पैक को चेहरे पर लगाए और आधे घंटे बाद सादे पानी से धो ले. इससे आपकी त्वचा कोमल हो जाएगी ।
आड़ू में पाये जाने वाला बीटा केरोटिन  आँखों की रौशनी बढ़ाने में भी सहायक होता है तथा  ये आँखों के होनेवाले अंधेपन को भी रोकता है।
-डॉ आदित्य कुमार, पूर्व उपाध्यक्ष राज्य औषधीय पादप बोर्ड, उत्तराखंड।