कमल किशोर डुकलान ‘सरल’


भारत का विचार सदैव से ही आपसी सामंजस्य और सद्भाव वाला रहा है। “वसुधैव कुटुम्ब के लिए योग” का संदेश भी वैश्विक परिवार की भावना से मेल खाता है। भारत सम्पूर्ण विश्व को निरोगी और स्वस्थ देखना चाहता है। योग भी मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्य के साथ निरोगी काया और मानव कल्याण का एक समग्र दृष्टिकोण है…


योग एक ऐसा शब्द है जिसे किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। योग और भारतीय संस्कृति एक-दूसरे के पूरक हैं। योग वास्तव में एक ऐसा अभ्यास है जो आपके शऱीर और मस्तष्कि दोनों को अविश्वसनीय तरीके से लाभ पहुंचाता है। योग शब्द देववाणी संस्कृत मूल के ‘युज’ धातु से बना है, जिसका अर्थ होता है ‘जुड़ना’,’जोड़ना’ या ‘एकजुट होना’। कहने का आशय यह है कि जो मन,आत्मा और शरीर से अपने को सही अर्थों में जोड़ने का काम करें वहीं योग है। प्राचीनकाल से ही भारत का विचार “वसुधैव कुटुम्ब” विश्व एक परिवार का रहा है। अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के इस वर्ष का संदेश भी “वसुधैव कुटुम्ब के लिए योग” है जिसका आशय है एक पृथ्वी,एक परिवार,एक भविष्य के लिए करें योग जो संदेश कहीं न कहीं वैश्विक परिवार की भावना से मेल खाता है। भारत सम्पूर्ण विश्व को निरोगी और स्वस्थ देखना चाहता है। निःसन्देह भारत का विचार सदैव से आपसी सामंजस्य और सद्भाव का रहा है और योग भी मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्य के साथ स्वास्थ्य और मानव कल्याण का एक समग्र दृष्टिकोण है।

भारतीय संस्कृति के अनुसार 21जून को सूर्य जल्दी उदय होता है और देर से ढलता है। इस दिन उत्तरी गोलार्ध में किसी ग्रह के अक्ष का झुकाव उस तारे की ओर सबसे अधिक झुका होता है जिसकी वह परिक्रमा करता है। इस दिन सूर्य की सबसे ज्यादा रोशनी पड़ती है,जिस कारण 21जून को सबसे लंबा दिन होता है।माना जाता है कि इस दिन सूर्य का तेज सबसे प्रभावी रहता है,और प्रकृति की सकारात्मक उर्जा सक्रिय रहती है। इस दिन की एक विशेष खासियत है कि वर्षभर के 365 दिनों में इस दिन योग करने से मनुष्य को लम्बा जीवन मिलता है। भारतीय परम्परा के अनुसार 21 जून को आध्यात्मिक ज्ञान के लिए बेहद अनुकूल माना गया है। आज दुनियाभर के देशों में योग को जीवन का श्रृंगार माना गया है। अगर पिछले कोरोना काल को देखा जाए तो पिछले कोविड प्रतिबंधों में लोग कई कारणों के चलते तनाव भरी जिंदगी जीने लगे थे। ऐसे समय में तनाव भरे जीवन से निजात पाने के लिए योग ने लोगों को न केवल अपने विवेक को बनाए रखने में मदद की बल्कि लोगों की पीड़ा और परेशानी को भी कम किया।

योग की उत्पत्ति हजारों साल पहले की है जब लोगों के बीच धर्म की कोई अवधारणा नहीं थी। वेदों के अनुसार भारतीय संस्कृति में भगवान शिव को योग के जनक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने ने ही इस चराचर सृष्टि में योग विज्ञान की नींव डाली थी। 21 जून को योग दिवस मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है। कहते हैं,कि योग का पहला प्रसार भगवान शिव द्वारा अपने सात शिष्यों के बीच किया गया था। कहते हैं कि इन सप्त ऋषियों को ग्रीष्म संक्राति के बाद आने वाली पहली पूर्णिमा को शिव द्वारा योग की दीक्षा प्राप्त हुई थी, जिसे शिव अवतरण के रुप में भी मनाते हैं। इसे दक्षिणायन के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा भी इस दिन को योगिक विज्ञान की शुरुआत का दिन माना जा सकता है। सूर्य के प्रकाश का संबंध सिर्फ गर्मी देने से नहीं है। इसका सम्बन्ध मनुष्य के आहार के साथ भी घनिष्ठता से जुड़ा है। आत्मबल की वृद्धि के लिए सूर्य को मजबूत करना आवश्यक है।

योग शरीर और मन का मिलन सिर्फ आसनों व प्राणायाम तक ही सीमित नहीं है,वरन् वह शारीरिक,मानसिक और भौतिक स्थिति को उसके उच्चतम स्तर पर ले जाने में सक्षम है। योग भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है और मनुष्य के जीवन में योग एक स्वास्थ्य बीमा है, जो एक व्यक्ति और समाज को खुशहाली और समृद्धि की राह दिखाता है। योग विभिन्न आसन, प्राणायाम, ध्यान और धारणा के माध्यम से शरीर और मन को नियंत्रित, स्थिर करने के साथ शांति प्रदान करता है। छात्रों के जीवन में योग का विशेष महत्व है। योग के अभ्यास से छात्रों का शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक अवस्था सुदृढ होती है। योगाभ्यास से जहां शरीर में लचीलापन आता है। वहीं व्यायाम और योग के माध्यम से शरीर में ऊर्जा का स्तर भी बढ़ता है।

योग को प्राचीन भारतीय कला का एक प्रतीक माना जाता है। भारतीय योग को जीवन में सकारात्मक और ऊर्जावान बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। योग दिवस मनाने का हेतु लोगों में जन जागरुकता पैदा करने के साथ ही वर्तमान आपाधापी भरी जिंदगी में तनाव मुक्त होना भी है। मनुष्य के जीवन की सफलता में आत्मविश्वास और उच्च मनोबल का होना जरूरी होता है। आत्मबल और आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए आधुनिक विज्ञान कहता है,कि जब सूर्य को जल चढ़ाया जाता है तो जलधारा के बीच उगते सूरज को देखने से मनुष्य की नेत्र ज्योति बढ़ती है, जलधारा के बीच से होकर आने वाली सूर्य की किरणें जब शरीर पर पड़ती हैं तो इसकी किरणों के रंगों का मनुष्य के शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। सूर्य की किरणों में विटामिन डी जैसे कई गुण विद्यमान होते हैं। इसलिए कहा गया है कि जो उगते सूर्य को जल चढ़ाता है उसमें सूर्य जैसा तेज बढ़ता है।

ज्योतिषशास्त्र में कहा जाता है कि जिस किसी की कुण्डली में सूर्य कमज़ोर स्थिति में होने पर सूर्य की कमजोर स्थिति वाले जातक को नित्यप्रति उगते सूर्य को जल और सूर्य नमस्कार लगाना चाहिए। सूर्य के मजबूत होने से शरीर स्वस्थ और उर्जावान बना रहता है। सूर्य के मजबूत होने से सफलता के रास्ते में आने वाली सम्पूर्ण बाधाएं दूर होती हैं और मनुष्य का उच्च मनोबल तथा किसी भी कार्य की सफलता में आत्मविश्वास बना रहता है। जिस भी मनुष्य में आत्मविश्वास और उच्च मनोबल होता है,वह सभी तरह के कष्ट,विपत्तियों पर आसानी से विजय हासिल कर सकता है। इसके लिए नियमित योग क्रियाओं में सूर्य नमस्कार को और ज्योतिष विज्ञान में प्रातः कालीन सूर्य अर्घ्य को उत्तम माना गया है। कहा जाता है कि सूर्य के दक्षिणायन का समय आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने में बहुत लाभकारी होता है और योग भी आध्यात्मिक ज्ञान में ही आता है इसीलिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस’ के मनाने का फैसला किया।

-रुड़की,हरिद्वार (उत्तराखंड)