दीक्षांत समारोह में बोले केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ0 निशंक
वर्धा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ0 रमेश पोखरियाल निशंक ने हिन्दी के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के योगदान पर संतोष व्यक्त करते हुए प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय विश्वभर को अपना कार्यक्षेत्र बनाएगा। यह विश्वविद्यालय महात्मा गांधी के सपनों का जीवंत प्रतीक और शक्ति का पुंज है। उन्होंने कहा कि हिंदी एक समृद्ध भाषा है, भारत के विकास और पहचान के लिए हिंदी का अधिकाधिक उपयोग आवश्यक है।
महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में आॅनलाइन संबोधन में बतौर मुख्य अतिथि डाॅ0 निशंक ने कहा कि आज जो लोग इस यूनिवर्सिटी से उपाधियां लेकर योद्धा की तरह निकल रहे हैं, उन पर गांधी जी की मुहर है। इस विश्वविद्यालय के अध्ययन-अध्यापन और ख्याति के आधार पर मुझे विश्वास है कि यह शिक्षण संस्थान एक दिन तक्षशिला और नालंदा जैसा वैश्विक ज्ञान केंद्र बनेगा। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि तकनीकी हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा विधि की पढ़ाई हिन्दी में करने जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं में अब इंजीनियरिंग, मेडिकल और लाॅ की पढ़ाई संभव हो सकेगी। भारतीय भाषाओं के अधिकाधिक उपयोग और प्रचार-प्रसार पर जोर देते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि गांधी जी ने भी कहा था कि राष्ट्र भाषा के बिना राष्ट्र गूंगा होता है। इस बात से प्रेरणा लेकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में मातृभाषाओं में शिक्षा ग्रहण करने का प्रावधान किया गया है। विश्वविद्यालय के भारतीय अनुवाद संघ के कार्यों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि एक भाषा की संचित ज्ञान राशि को दूसरी भाषा में ले जाने के उद्देश्य से स्थापित इस संघ में 64 भाषाओं के 1100 से अधिक अनुवादकों का जुड़ना हर्ष का विषय है।
प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए कुलपति प्रो0 रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि कोविड-19 के काल में विश्वविद्यालय कोरोना मुक्त रहा है। विश्वविद्यालय ने 17 मार्च से ही आॅनलाइन कक्षाएं आरंभ कर दी थीं। 90 प्रतिशत से अधिक विद्यार्थी कक्षाओं मंे शामिल हुए।
प्रो0 शुक्ल ने समारोह में आॅनलाइन माध्यम से 54 विद्यार्थियों को स्वर्णपदक, 117 को पीएचडी,43 को एमफिल, 453 को पीजी, तथा 188 को स्नातक की डिग्रियां प्रदान कीं। कार्यक्र्रम की अध्यक्षता कुलाधिपति प्रो0 कमलेश दत्त त्रिपाठी ने की। आज विश्वविद्यालय का 24वां स्थापना दिवस भी था।