29 Jun 2025, Sun

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर कार्यक्रम आयोजित

देहरादून। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दिन 1928 में सर चंद्रशेखर वेंकट रमन ने विकिरण प्रभाव की खोज की थी, जिसे बाद में रमन प्रभाव के रूप में जाना गया। इसी तरह इस वर्ष भी सीएसआईआर-आईआईपी ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया, इस वर्ष विज्ञान दिवस समारोह का विषय महिलाओं में विज्ञान है। सीएसआईआर-आईआईपी के निदेशक डॉ अंजन रे ने स्वागत भाषण दिया और मुख्य अतिथि का परिचय कराया। डॉ डी सी पांडे, अध्यक्ष समारोह समिति ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (28 फरवरी) के महत्व को दर्शकों को बताया। संस्थान के एस ए फारूकी वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बायो जेट ईंधन प्रौद्योगिकी पर एक अभिनव और रोमांचक वैज्ञानिक व्याख्यान दिया।
समारोह के मुख्य अतिथि, प्रोफेसर चंद्रजीत बालोमजुमदार, केमिकल इंजीनियरिंग विभाग, आइआइटी रुड़की ने विज्ञान-वास्तविकता की कविता पर एक दिलचस्प राष्ट्रीय विज्ञान दिवस व्याख्यान दिया। उन्होंने लगभग सभी क्षेत्रों में विज्ञान के अनुप्रयोगों की जानकारी दी  बिजली, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, पाकशास्त्र आदि। उन्होंने सर सी वी रमन, जे सी बोस, सत्येंद्र नाथ बोस, मेघनाद साहा, प्रफुल्ल चंद्र रे और कई अन्य ऐसे दिग्गजों द्वारा विज्ञान में किए गए कार्यों को याद किया। उन्होंने यह कहकर अपना व्याख्यान समाप्त किया कि विज्ञान की भूमिका हमारे दैनिक जीवन में हृदय की धड़कन की तरह है और विज्ञान हमारी सभ्यता में जीवन को लाता है। यद्यपि कुछ लालची लोग अपने तरीके से विज्ञान का दुरुपयोग करते हैं, लेकिन हमें पूरी सभ्यता के भले के लिये विज्ञान के महत्व व महानता का प्रचार-प्रसार करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विज्ञान आम लोगों तक पहुंचना चाहिए। संस्थान के प्रशासनिक नियंत्रक जसवंत राय ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
हरिद्वार। एस.एम.जे.एन. पी.जी. काॅलेज में उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र (यू.सर्क) देहरादून के संयुक्त तत्वावधान में प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा की अध्यक्षता में ‘राष्ट्रीय विज्ञान’ दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा ने छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए विज्ञान के गत 100 वर्षों की प्रगति पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि किस प्रकार से प्रगतिशील विज्ञान ने हम सभी का जीवन सरल बनाया है। डॉ सुनील कुमार बत्रा ने बताया कि विज्ञान के अनुसंधानों का प्रयोग मानवता के सतत् विकास एवं पर्यावरण के अनुकूल किया जाना चाहिए। सतत् विकास की अवधारणा आधारित आविष्कारों का प्रयोग हीं मानव जाति के लिए वरदान साबित हो सकता है। डॉ बत्रा ने कहा कि पालिथीन के दुरुपयोग से सम्पूर्ण विश्व त्रस्त है। इसके साथ ही उन्होंने विज्ञान के दुरूपयोग से उत्पन्न हो रही पर्यावरणीय समस्याओं को भी समझाया तथा पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान पर भी अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम के तकनीकि सत्र में एक वृत्त-चित्र भी दिखायी गयी जिसमें प्रदूषण व उसके समाधान को वैज्ञानिक तरीकों से समझाया गया। तकनीकि सत्र में छात्र-छात्राओं को विज्ञान के प्रति जागरूक  किया गया। इसके साथ ही कार्यक्रम में एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया जिसमें विज्ञान के विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तर छात्र-छात्राओं से पूछे गये। सही उत्तर देने वाले छात्र-छात्रा को पुरस्कृत किया गया। प्रतियोगिता में कनु प्रिया, आंकाक्षा व अफरोज जहां ने प्रथम, सूरत सती, जसवंत, दीपराज व मनु काजला ने द्वितीय तथा सलोनी दास व नवनीत कौर ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। दलजीत कौर व ऋषि रावत को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया। सम्पूर्ण कार्यक्रम का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार दीक्षा वर्मा को प्रदान किया गया। इस अवसर पर मुख्य रूप से डाॅ. मनोज कुमार सोही, डाॅ. प्रज्ञा जोशी, डाॅ. विजय शर्मा, डाॅ. पूर्णिमा सुन्दरियाल, डाॅ. पदमावती तनेजा, विनीत सक्सेना, नेहा गुप्ता, नेहा सिद्दकी, दीपिका आनन्द, पुनीता शर्मा, स्वाति चोपड़ा, पंकज यादव, डाॅ. निविन्धया शर्मा, डाॅ. अमिता मल्होत्रा, कंचन तनेजा, रिचा मनोचा, सुगन्धा वर्मा, साक्षी अग्रवाल, डाॅ. रीतू चैधरी, रिंकल गोयल, प्रीति लखेड़ा, रचना राणा, प्रिंस श्रोत्रिय, योगेश कुमार रवि, कार्यक्रम के अंत में काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा ने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए महाविद्यालय प्रशासन, विज्ञान विभाग सहित समस्त शिक्षकों, शिक्षणेत्तर कर्मचारियों व छात्र-छात्राओं को धन्यवाद प्रेषित किया।

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