हरिद्वार। संस्कृत विभाग में संस्कृत महोत्सव के दूसरे दिन संस्कृतवाङ्मय में शिल्प विद्या एवं ललितकलाएँ विषय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर गुरुकुल काँगडी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो० वी० के० शर्मा ने वेदों में शिल्प एवं भवन निर्माण विषय पर प्रकाश डाला। विशिष्ट व्याख्यान देते हुए काशी विश्वविद्यालय के भूतपूर्व आचार्य प्रो० दीनबन्धु पाण्डेय जी ने अशोक के चतुर्मुख.सिंह.स्तम्भ का मूल भारतीय शिल्पकला को ही सिद्ध किया। उद्घाटन सत्र के अध्यक्षए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व आचार्य प्रो० मानसिंह ने वैदिक वाङ्मय में उपलब्ध विभिन्न कलाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वेद सभी ललित कलाओं का मूल है । पञ्जाब विश्वविद्यालय चण्डीगढ से पधारे प्रो० वीरेन्द्र अलंकार ने समरांगणसूत्रधार के आधार पर शिल्पकलाओं पर प्रकाश डाला। संगोष्ठी की अध्यक्षता इतिहास विभाग के प्राध्यापक प्रो० देवेन्द्र कुमार गुप्ता ने की। मंच का संयोजन प्रो० संगीता विद्यालंकार ने किया। इस अवसर पर प्रो० ईश्वर भारद्वाज, प्रो० मनुदेव बन्धु, डा० दीनदयाल, डा० वेदव्रत, डा० सत्यपति, डा०पवन, राहुल, नेहा, किरण, नन्दिनी, पल्लवी आदि उपस्थित रहे।