26 Aug 2025, Tue

चारधाम देवस्थानम अधिनियम संवैधानिक, भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका खारिज

नैनीताल । उत्तराखंड उच्च न्यायालय नैनीताल में  मंगलवार को चारधाम देवस्थानम अधिनियम के विरुद्ध सुब्रमण्यम स्वामी की दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है।  उच्च न्यायालय ने राज्यसभा सांसद व भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सुनवाई के बाद अधिनियम को संवैधानिक बतााते हुए प्रदेश सरकार को बड़ी राहत दी है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष वीडियो कांफ्रेसिग के माध्यम से मामले की सुनवाई के बाद 6 जुलाई को निर्णय सुरक्षित रख लिया था। मंगलवार को खंडपीठ ने निर्णय सुनाते हुए प्रदेश सरकार को बडी राहत देते हुए जनहित याचिका को ‌खारिज कर दिया। मामले के अनुसार देवस्थानम अधिनियम के विरोध में सुब्रमण्यम स्वामी ने  हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि सरकार द्वारा लाया गया यह एक्ट असंवैधानिक है और संविधान के अनुच्छेद 25, 26 और 32 और जनभावनाओं के विरुद्ध है। सरकार की ओर से कहा गया था कि यह अधिनियम संवैधानिक है और सरकार को इसका अधिकार है। इस मामले में रुलक संस्था ने भी सरकार के अधिनियम का समर्थन करते हुए स्वयं पक्षकार का प्रार्थना पत्र दाखिल किया था।
इस एक्ट के तहत चारधाम और उनके आसपास के 51 मंदिरों में अवस्थापना सुविधाओं का विकास, समुचित यात्रा संचालन एवं प्रबंधन के लिए उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम का गठन किया गया है। बोर्ड के अध्यक्ष मुख्यमंत्री हैं। संस्कृति मामलों के मंत्री को बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया गया है। मुख्य सचिव, सचिव पर्यटन, सचिव वित्त व संस्कृति विभाग भारत सरकार के संयुक्त सचिव स्तर तक के अधिकारी पदेन सदस्य होंगे। इसके अलावा टिहरी रियासत के राजपरिवार के एक सदस्य, हिंदू धर्म का अनुसरण करने वाले तीन सांसद, हिंदू धर्म का अनुसरण करने वाले छह विधायक, राज्य सरकार द्वारा चार दानदाता, हिंदू धर्म के धार्मिक मामलों का अनुभव रखने वाले व्यक्ति, पुजारियों, वंशानुगत पुजारियों के तीन प्रतिनिधि इसमें शामिल होंगे। चारधाम देवस्थानम अधिनियम चारधाम और उनके आसपास के मंदिरों की व्यवस्था में सुधार के लिए है। इनका उददेश्य यह कि यहां आने वाले यात्रियों का ठीक से स्वागत हो और उन्हें बेहतर सुविधाएं मिलें। साथ ही बोर्ड भविष्य की जरूरतों को भी पूरा करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *