नई दिल्ली. भारत सरकार चीन की चालबाजी से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार दिख रही है. लेह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जाकर स्पष्ट संकेत दिया है कि भारत चीन के विस्तारवादी नीतियों के सख्त खिलाफ है. चीन के साथ सीमा पर जारी तनाव के बीच विभिन्न क्षेत्रों में उसका दखल कम करने को लेकर सरकार लगातार फैसले कर रही है. इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने लिया है. मंत्रालय ने चीन और पाकिस्तान से बिजली उपकरणों के आयात पर रोक लगाने का फैसला किया है.

उर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आरके सिंह ने शुक्रवार (3 जुलाई, 2020) को बताया कि बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को आर्थिक दृष्टि से मजबूत बनाना जरूरी है. ऐसा नहीं होने पर क्षेत्र व्यावहारिक नहीं रहेगा. वर्ष “2018-19 में हमने ऊर्जा क्षेत्र में 71,000 करोड़ रुपए का सामान आयात किया. इसमें से 21,000 करोड़ का आयात चीन से हुआ है. हम ऐसा नहीं होने दे सकते. एक देश जो हमारे जवानों पर जानलेवा हमले कर रहा है, जो देश हमारी जमीन हड़पने की कोशिश कर रहा है, हम उसके यहां रोजगार पैदा करें?”

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रायर रेफरेंस कंट्री (पूर्व संदर्भित देशों) से उपकरणों की आयात की अनुमति नहीं होगी. इसके तहत हम देशों की सूची तैयार कर रहे हैं, लेकिन इसमें मुख्य रूप से चीन और पाकिस्तान शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि काफी कुछ हमारे देश में बनता है, लेकिन इसके बावजूद हम भारी मात्रा में बिजली उपकरणों का आयात कर रहे हैं. यह अब नहीं चलेगा. देश में 2018-19 में 71,000 करोड़ रुपये का बिजली उपकरणों का आयात हुआ, जिसमें चीन की हिस्सेदारी 21,000 करोड़ रुपये है. “दूसरे देशों से भी उपकरण आयात होंगे, उनका देश की प्रयोगशालाओं में गहन परीक्षण होगा ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं उसमें ‘मालवेयर’ और ‘ट्रोजन होर्स’ का उपयोग तो नहीं हुआ है. उसके बाद उपयोग की अनुमति होगी.”

‘प्रायर रेफरेंस कंट्री’ एक ऐसी श्रेणी है, जिससे उन देशों को चिन्हित किया जाता है. जिनसे भारत को खतरा है या खतरे की आशंका है. खासतौर पर इनमें वो देश आते है, जिनकी सीमाएँ भारत से सटी हुई होती है. जिसमें इस वक्त चीन और पाकिस्तान को मुख्य रूप से रखा गया है.