देहरादून। 21 जून यानी रविवार को अमावस्या का दिन पड़ रहा है। इस दिन खंडग्रास सूर्य ग्रहण देश के हर स्थान पर दिखाई देगा। ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी का कहना है कि इस दिन लगने वाला सूर्य ग्रहण देश की दशा और दिशा को तय करेगा। साथ इसका असर देश के वर्तमान हालातों पर भी पड़ सकता है। इसके तहत आपदा, महामारी और अन्य भौतिक घटनाएं देश को मुश्किल में डाल सकती है। वहीं, इस सूर्य ग्रहण से कई राशियों को नुकसान पहुंचेगा। ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी के अनुसार 21 जून को पड़ने वाला सूर्य ग्रहण, सुबह 9 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर दोपहर 1 बजकर 53 मिनट पर खत्म होगा। इस साल पड़ने वाले सूर्य ग्रहण का असर देश में काफी लंबे समय तक रहेगा। ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, सूर्य ग्रहण का सूतक 20 जून को रात्रि 10 बजकर 24 मिनट पर शुरू हो जाएगा। ज्योतिषाचार्य जोशी का मानना है कि ये सूर्य ग्रहण देश की दशा और दिशा को बदल देगा, जिसका असर अगले 3 महीनों तक रहेगा। ये ग्रहण देश की सीमाओं पर तनाव की स्थिति पैदा करेगा। इसके अलावा कोरोना के मामलों में भी वृद्धि होगी। साथ ही ये ग्रहण आपदा की संभावनाओं को भी बढ़ाएगा। वहीं, ज्योतिषाचार्य जोशी ने बताया कि मेष, वृष, मिथुन, कर्क और सिंह राशियों के लोगों के लिए ये ग्रहण लाभदायक सिद्ध होगा। जबकि कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन राशि वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। साथ ही ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि सूर्य ग्रहण के समय सूर्य उपासना और पाठ करना लाभकारी होगा। इसके बाद स्नान, ध्यान, तप और दान करने से लोगों को लाभ मिलेगा।
वर्ष 2020 में आषाढ़ अमावस्या के दिन को कंकण पूर्ण सूर्य ग्रहण होने जा रहा है। यह पूर्ण सूर्यग्रहण है। इसकी पूर्ण अवधि 3 घंटा 27 मिनट होगी। यह ग्रहण भारत समेत दुनिया के अधिकांश देशों में देखा जा सकेगा।
ग्रहण कब से कब तक
ग्रहण 21 जून को प्रातः 10:09 से प्रारंभ होगा।
स्पर्श : 10 बजकर 09 मिनट मध्य : 11 बजकर 47 मिनट मोक्ष : दिन में 1 बजकर 36 मिनट
ग्रहण का कुल पर्व काल : 3 घंटा 27 मिनट
सूतक कब प्रारंभ होगा…
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस कंकण सूर्य ग्रहण का सूतक शनिवार दिनांक 20 जून को है। रात्रि 10:09 बजे से प्रारम्भ हो जाएगा। (निर्णय सागर)
सूतक लगने के बाद कुछ भी खाना-पीना वर्जित रहता है। रोगी, वृद्ध, बच्चे और गर्भवती स्त्रियां सूतक के दौरान खाना-पीना कर सकती हैं।
सूतक प्रारंभ होने से पहले पके हुए भोजन, पीने के पानी, दूध, दही आदि में तुलसी पत्र या कुशा डाल दें। इससे सूतक का प्रभाव इन चीजों पर नहीं होता।
ग्रहण काल में क्या सावधानियां रखें…
ग्रहणकाल में प्रकृति में कई तरह की अशुद्ध और हानिकारक किरणों का प्रभाव रहता है। इसलिए कई ऐसे कार्य हैं जिन्हें ग्रहण काल के दौरान नहीं किया जाता है।
ग्रहण किस राशि एवं नक्षत्र में होगा…
ग्रहण का राशिफल-यह ग्रहण मृगशिरा एवं आर्द्रा नक्षत्र तथा मिथुन राशि में होगा। अतएव इस राशि/नक्षत्र में उत्पन्न लोगों के लिए यह अशुभ है। अतः इस राशि वालो को ग्रहण-दान, पाठ, आदित्यहृदय स्तोत्र, सूर्याष्टक स्तोत्रो का पाठ विशेष रूप से करना चाहिए।
ग्रहण काल मेंं क्या करे और क्या ना करे?
★ ग्रहणकाल में सोना नहीं चाहिए। वृद्ध, रोगी, बच्चे और गर्भवती स्त्रियां जरूरत के अनुसार सो सकती हैं।
★ ग्रहणकाल में अन्न, जल ग्रहण नहीं करना चाहिए।
★ ग्रहणकाल में यात्रा नहीं करना चाहिए, दुर्घटनाएं होने की आशंका रहती है।
★ ग्रहणकाल में स्नान न करें। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करें।
★ ग्रहण को खुली आंखों से न देखें।
★ ग्रहणकाल के दौरान महामृत्युंजय मत्र का जाप करते रहना चाहिए।
गर्भवती स्त्रियां क्या करें…
★ ग्रहण का सबसे अधिक असर गर्भवती स्त्रियों पर होता है। ग्रहण काल के दौरान गर्भवती स्त्रियां घर से बाहर न निकलें। बाहर निकलना जरूरी हो तो गर्भ पर चंदन और तुलसी के पत्तों का लेप कर लें।
★ इससे ग्रहण का प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर नहीं होगा। ग्रहण काल के दौरान यदि खाना जरूरी हो तो सिर्फ खानपान की उन्हीं वस्तुओं का उपयोग करें जिनमें सूतक लगने से पहले तुलसी पत्र या कुशा डला हो।
★ गर्भवती स्त्रियां ग्रहण के दौरान चाकू, छुरी, ब्लेड, कैंची जैसी काटने की किसी भी वस्तु का प्रयोग न करें। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे के अंगों पर बुरा असर पड़ता है। सुई से सिलाई भी न करें। माना जाता है इससे बच्चे के कोई अंग जुड़ सकते हैं। ग्रहण काल के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र (ॐ नमो भगवते वासुदेवाय या) महामृत्युंजय मंत्र का जाप करती रहें।