नयी दिल्ली। हिंदी साहित्य भारती केंद्रीय कार्यकारिणी की पहली बैठक दिल्ली के हंस राज कॉलेज में शनिवार से शुरू हुई। इस बैठक में हिंदी से जुड़े प्रसिद्ध विद्वान सम्मिलित हुए। बैठक में हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने के लिए रणनीति बनाई।

विधि एवं कानून राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह बघेल ने हिंदी साहित्य भारती की दो दिवसिय कार्यकारिणी के उद्घाटन सत्र में शनिवार को कहा कि अंग्रेजी को विकास की भाषा कहा जाता है लेकिन फ्रांस , जर्मनी , जापान, चीन कोरिया जैसे विकसित देश अंग्रेंजी नहीं अपनी मातृभाषा बोलते हैं।

उन्होनें पूछा कि क्या इंग्लैंड में कभी अंग्रेंजी बचाओ अभियान चलाया गया भारत में हिंदी बचाओं अभियान की ज़रूरत क्यों पड़ती है क्योंकि मैकाले ने सबसे पहले हमारी भाषा हमारी संस्कृति और सभ्यता को समाप्त किया।

आज हमारी सभ्यता संस्कृति को खतरा है लोकभाषा लोक संस्कृति लोक वेशभूषा को खतरा है । हालात ये हो गए हैं कि लोग अपने कुत्तों के साथ भी अंग्रेजी बोलते हैं । जो देश अपनी संस्कृति अपने पुरखों का सम्मान नहीं करता वो आगे नहीं बढ़ सकता।

हिंदी साहित्य भारती दो साल पहले हिंदी के मान सम्मान , हिंदी लेखकों साहित्यकारों के मान सम्मान , हिंदी को अंतराष्ट्रीय स्तर पर संपर्क भाषा , राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्र भाषा का दर्जा और संयुक्त राष्ट्र संघ में मान्यता दिलाने के लिए गठित की गयी । गठन के दो साल के भीतर ही भारत के 24 राज्यों और दुनिया के 35 देशों में हिंदी साहित्य भारती का गठन कर दिया गया।

इसके संस्थापक अंतराराष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री और कृषि मंत्री रहे डॉ रविंद्र शुक्ल ने कहा हिंदी को उसका खोया गौरव लौटाने के लिए प्रतिबद्ध है देश विदेश के हिंदी विद्ववान हिंदी साहित्य भारती से जुड़ गए हैं ।

भाषा को बचाना भावी पीढ़ी के भविष्य को बचाने के लिए बहुत आवश्यक है । हिंदी साहित्य भारती के महासचिव अनिल शर्मा ने कहा यदि केंद्र सरकार धारा 370 , तीन तलाक समाप्त कर सकती है राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर सकती है तो हिंदी भाषा को राष्ट्र भाषा का दर्जा क्यों नहीं दिला सकती सुदर्शन टीवी के प्रंबध निदेशक सुरेश चह्वाणके ने कहा हम सभी तरह के प्रदूषणों की बात करते हैं लेकिन साहित्यक प्रदूषण की बात नहीं करते जो कि सबसे खतरनाक प्रदूषण है ।

राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख स्वात रंजन ने कहा जो देश अतीत का गौरव , वर्तमान की पीड़ा और भविष्य की चिंता को साथ लेकर चलते हैं वो आगे बढ़ते हैं।

हिंदी साहित्य भारती का आज के परिपेक्ष्य में बहुत महत्व है। हिंदी साहित्य भारती केंद्रीय कार्यकारिणी की पहली बैठक दिल्ली के हंस राज कॉलेज में शनिवार से शुरू हुई जिसका समापन रविवार को होगा ।