30 Jun 2025, Mon

स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनकर भारत स्वर्णिम युग को प्राप्त कर सकताः पदम सिंह

देहरादून। तपोभूमि विचार परिषद, प्रज्ञा प्रवाह, मेरठ प्रांत के तत्वाधान में आत्मनिर्भर भारत विषय पर एक वेबीनार का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचार प्रमुख पदम सिंह तथा डॉ. राजीव कुमार, क्षेत्र संयोजक स्वदेशी जागरण मंच एवं डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह वक्ता के रूप में रहे।

पदम सिंह ने भारत के स्वर्णिम इतिहास को रेखांकित करते हुए बताया कि पुरातन भारतीय इतिहास स्वर्णिम और स्वदेशी था। अंग्रेजों ने भी हमारे ज्ञान विज्ञान और तकनीकी की सराहना की। हमारे ऋषि-मुनि और साधु-संत निरंतर शोध में तल्लीन रहते थे। आज की तरह वे लोग शोध पशु पक्षियों तथा अन्य किसी प्राणी पर न करके स्वयं अपने ऊपर करते थे‌ और अपने अनुभवजन्य शोध के द्वारा ही युगांतर तक समाज को दिशा देते रहे हैं। आज हमारी शोध की प्रवृत्ति इस तरह की नहीं है। समय, काल ,दिन, वार, ऋतु, ज्योतिष विज्ञान ,भवन निर्माण, चिकित्सा, शिक्षा आदि क्षेत्रों में उनका संपूर्ण कार्य शोधजनक था। परंतु पिछले 200 वर्षों में सब कुछ बदल चुका है। एक समय था जब भारत का निर्यात व्यापार 33% था। हम स्टील का निर्माण कर उसका निर्यात कर रहे थे। ढाका की मलमल, गुजरात के सूती वस्त्र, विश्व प्रसिद्ध थे। हमारे वस्त्र विदेशों में सोने की सिक्कों में तोल कर बिकते थे। गांव में न्याय व्यवस्था, चिकित्सा व्यवस्था व शिक्षा व्यवस्था श्रेष्ठ किस्म की थी। प्रत्येक गांव आत्मनिर्भर था। गांव में 18 प्रकार के कामगार कार्य करते थे और गांव की संपूर्ण आवश्यकता की चीजें गांव में ही निर्मित होती थी। बाहर से केवल नमक मंगाया जाता था।

परंतु कालांतर में ऐसा परिवर्तन आया की हमारी शिक्षा पद्धति और हमारे इतिहास को पूर्णतया बदल दिया गया और हम बदली हुई व्यवस्थाओं में स्वदेशी वस्तुओं के उत्पादन को तथा स्थानीय वस्तुओं के उत्पादन को छोड़कर विदेशी निर्मित वस्तुओं का उपयोग करने लग गए हैं। आज कोविड-19 महामारी के कारण अगर हमारा देश अभी भी आर्थिक आधार पर अपने आप को संभाल पाया है तो इसका श्रेय कृषि कार्य को जाता है । कृषि कार्य के साथ-साथ हमारे कुटीर उद्योग और लघु उद्योग बहुत महत्वपूर्ण हैं। इनका विकास कर पुनः स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनकर भारत अपने स्वर्णिम युग को पुनः प्राप्त कर सकता है।

दूसरे वक्ता स्वदेशी जागरण मंच के क्षेत्रीय संयोजक राजीव कुमार रहे‌। उन्होंने स्वदेशी अभियान के बारे में बाजार की सुरक्षा, सीमा सुरक्षा, उद्योग, बेरोजगारी, रोजगार के अवसर आदि अनेक बिंदुओं पर चर्चा करते हुए ग्राम विकास आधारित मॉडल को पुनः स्थापित करने के लिए सभी कार्यकर्ताओं का आवाहन किया। कुटीर और लघु उद्योग के विकास के द्वारा ही हम भारत के ग्रामों से लेकर नगरों तक को आत्मनिर्भर बना सकेंगे। आज समय की मांग है कि हम स्वदेशी जागरण अभियान के द्वारा भारत के प्रत्येक नागरिक को आभास कराएं कि हमारे देश की उन्नति, शक्ति और सामर्थ्य तभी स्थापित हो सकती है जब हम स्वदेशी से स्वावलंबन की ओर बढ़ते हुए इस देश को आत्मनिर्भर बनाएं। उन्हेंने यह भी बताया कि एक स्वदेशी स्टार्टअप की भी योजना चल रही है और स्वदेशी के लिए एक मंत्र दिया-”चाहत से देसी, प्रयोग से स्वदेशी और मजबूरी में विदेशी।” परंतु चीन का सामान बिल्कुल नहीं। साथ ही बताया कि स्वदेशी विचार भारत का है; भारतवासी का है और इस विचार को बल देने की आवश्यकता है। तीसरे वक्ता डॉ जितेंद्र कुमार सिंह, प्रज्ञा प्रवाह मुरादाबाद मंडल सह संयोजक ने भारत के वैदिक काल के समय से लेकर अठारहवीं शताब्दी तक भारत के स्वालंबी बने रहने की गाथा का विवरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि वर्तमान समय की मांग है कि संपूर्ण देश तथा प्रत्येक गांव स्वदेशी अपनाएं और स्वावलंबी बनें एवं देश को आत्मनिर्भर बनाएं ‌

अंत मेंं तपोभूमि विचार परिषद मेरठ प्रान्त के अध्यक्ष डॉ एल . एस . बिष्ट ने अपने संबोधन में महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए बताया कि स्वदेशी की भावना का अर्थ हमारी वह भावना है जो हमें दूर का छोड़कर अपने समीपवर्ती परिवेश का उपयोग और सेवा करना सिखाती है। पड़ोसियों द्वारा बनाए गए वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए। तथा भारत के बेरोजगार लोगों के हाथ की बनी वस्तुओं का आधिकाधिक प्रयोग करना चाहिए‌‌। अगर कोई कमी है तो उन्हें आग्रह पूर्वक उसमें सुधार करवाना चाहिए। इसी से देश की सच्ची सेवा होगी और स्वदेशी से स्वावलंबन प्राप्त हो सकेगा‌।

कार्यक्रम में भगवती प्रसाद राघव, पश्चिम उत्तर प्रदेश क्षेत्रीय संयोजक प्रज्ञा प्रवाह की गरिमामय उपस्थिति रही।मेरठ प्रांत और दूसरे प्रांतों से जुड़े हुए हैं। सभी विद्वत जनों का आभार करते हुए कार्यक्रम संपन्न हुआ। तपोभूमि विचार परिषद मेरठ प्रांत की ओर से आयोजन सचिव डॉ प्रदीप तथा संयोजिका व संचालन डॉ वन्दना रुहेला तथा विषय प्रस्तुतीकरण प्रान्त सचिव डा. चंद्रशेखर ने किया। वेबिनार में प्रांत के अध्यक्ष डॉ एल. एस. बिष्ट , सचिव डॉ चंद्रशेखर, संयोजक अवनीश, प्रांत सह संयोजक एवं युवा आयाम समन्वयक अनुराग विजय अग्रवाल, महिला कार्यक्रम समन्वयक डॉ अमिता , डॉक्टर जी आर गुप्ता , डॉक्टर सूर्य प्रकाश, डॉक्टर प्रवीण कुमार तिवारी, डॉ राजीव कुमार, डॉ बबली रानी के साथ सभी कार्यकर्ता बंधु वेबीनार में सम्मिलित हुए।

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