देहरादून। उत्तराखंड में स्वायत्तशासी निकायों, निगमों, प्राधिकरणों व संस्थानों के कर्मचारियों को शीघ्र ही स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत कैशलेस उपचार की सुविधा प्रदान की जाएगी। योजना से प्रदेश के स्वायत्तशासी निगमों, निकायों, प्राधिकरण तथा संस्थानों में कार्यरत 25 हजार कार्मिकों को लाभ मिलेगा। राज्य स्वास्थ्य योजना के तहत निगमों और स्वायत्तशासी निकायों के नियमित कर्मचारी ही योजना के दायरे में आएंगे।
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुणेंद्र सिंह चौहान की अध्यक्षता में निकाय और निगमों के कर्मचारियों को कैशलेस इलाज की सुविधा देने के लिए बैठक आयोजित की गई। बैठक में प्राधिकरण के सीईओ ने बताया कि सार्वजनिक उपक्रमों, निगमों के कर्मचारियों को राज्य स्वास्थ्य योजना में शामिल करने के लिए गवर्निंग बॉडी या बोर्ड अनुमति लेनी होगी। जिसके बाद नियमति कर्मचारियों और पेंशनरों को राजकीय कर्मचारियों की तर्ज पर असीमित खर्चे पर कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी। इसके लिए प्रतिमाह का अंशदान भी समान रहेगा। प्राधिकरण के पोर्टल पर सत्यापन करने के लिए निगमों और स्वायत्तशासी निकायों के आहरण एवं वितरण अधिकारी को लॉगिन आईडी और पासवर्ड दिया जाएगा। सभी निगमों व निकायों की ओर से कर्मचारियों का डाटा तैयार कर प्राधिकरण को भेजा जाएगा।
इसके बाद निगमों व बोर्ड के कर्मचारियों व पेंशनरों का डाटा तैयार कर गोल्डन कार्ड बनाने का कार्य शुरू किया जाएगा। प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने आईटी अनुभाग सूचनाओं के लिए व्हाटसएप ग्रुप बनाने के निर्देश दिए। बैठक में सुझाव दिया गया कि निगम और निकायों के कर्मचारियों से वार्षिक आधार पर अंशदान लिया जाए।
बैठक में कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी, उरेडा, देहरादून, जीएमवीएन, देहरादून, आईएचएम, उत्तराखंड वन विकास निगम, डीबीएस पीजी कॉलेज, एमडीडीए, एसजीआरआर पीजी कॉलेज, एमपीएससी, उत्तराखंड जल संस्थान, पंचायतीराज विभाग, परिवहन निगम, पेयजल निगम के अधिकारी मौजूद थे।