– एसआईटी ने दाखिल की सीलबंद प्रगति रिपोर्ट व केस डायरी
– 22 अक्टूबर को एसआईटी को जांच प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश
प्रयागराज (हि.स.)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष स्वामी चिन्मयानन्द से जुड़े शाहजहांपुर रेपकांड व पीड़ित विधि छात्रा पर ब्लैकमेलिंग के आरोप की जांच कर रही एसआईटी ने सोमवार को सीलबंद लिफाफे में प्रगति रिपोर्ट के साथ केस डायरी पेश की। उधर, रेप पीड़ित युवती ने ब्लैकमेलिंग केस में गिरफ्तारी पर रोक लगाने व कोर्ट में दर्ज बयान को गलत बताते हुए फिर से बयान दर्ज कराने की मांग करते हुए अर्जी दाखिल की।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर कायम जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मनोज मिश्र तथा न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान की खण्डपीठ ने प्रगति रिपोर्ट व केस डायरी का परिशीलन कर एसआईंटी जांच कार्रवाई को संतोषजनक माना और 22 अक्टूबर को जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि पीड़ित युवती की गिरफ्तारी पर रोक की अर्जी सुनने का उसे क्षेत्राधिकार नहीं है। वह उचित कोर्ट में इस सम्बन्ध याचिका दायर कर सकती है। दण्ड प्राक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत कोर्ट में दर्ज बयान फिर से कराने की पीड़ित युवती की मांग कोर्ट ने यह कहते हुए मानने से इनकार कर दिया कि ऐसा कोई वैधानिक उपबन्ध नहीं है। पीड़ित युवती व उसके पिता एवं एसआईटी के अधिकारी कोर्ट में सुनवाई के दौरान माैजूद थे।
राज्य सरकार की तरफ से शासकीय अधिवक्ता एसके पाल व अपर शासकीय अधिवक्ता एके सण्ड ने कोर्ट को बताया कि पीड़ित युवती व ब्लैक मेलिंग के अन्य आरोपितों के गहरे सम्बन्ध हैं। जांच टीम ने फोन कॉल रिकार्ड की सूची भी पेश की और बताया कि वीडियो क्लिपिंग की भी जांच कराई गई है। क्लिपिंग मिरर इमेज की है। टीम ने कहा कि ब्लैकमेलिंग के आरोपितों संजय व सचिन उर्फ सोनू की पीड़ित युवती से गहरे सम्बन्ध का खुलासा हुआ है। इनकी लोकेशन एक साथ पायी गयी है। चार हजार से अधिक कॉल डिटेल मौजूद है। सरकारी वकील ने यह भी बताया कि रेप के आरोपित चिन्मयानन्द के फोन से ओम सिंह को भेजी गयी वीडियो पुलिस टीम को मिली है।
पीड़ित युवती व परिवार को पुलिस सुरक्षा दी गयी है। पीड़ित युवती की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता रवि किरण जैन व चिन्मयानन्द की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता दिलीप कुमार ने पक्ष रखा। एसआईटी स्वामी चिन्मयानन्द के खिलाफ एलएलएम छात्रा से दुराचार व पीड़ित युवती व साथियों पर ब्लैकमेलिंग के आरोपो की जांच कर रही है। कोर्ट ने जांच यथाशीघ्र पूरी करने का निर्देश दिया है। पीड़ित युवती के अधिवक्ता जैन का कहना था कि कोर्ट में पीड़ित युवती का बयान दर्ज करते समय रिकार्डिंग नहीं की गयी। उसके बयान में बदलाव किया गया है। हर पृष्ठ पर हस्ताक्षर नहीं लिये गए। पेज क्रमवार नहीं है। बयान दर्ज करते समय एक महिला मौजूद थी।
कोर्ट ने इन तर्कों पर कहा कि ऐसा कोई कानून नही है, जिससे हर पेज पर साइन कराया जाए। फिलहाल इस मुद्दे पर कोर्ट ने अपना कोई मत व्यक्त नहीं किया और कहा कि इस पर सम्बन्धित न्यायालय विचार करेगा। कोर्ट ने केस डायरी वापस करते हुए अगली तिथि को पुनः पेश करने को कहा है। प्रगति रिपोर्ट देखने के बाद रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखा गया है। मामले की अगली सुनवाई 22 अक्टूबर को होगी।