-मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने किया उद्घाटन, ऑनलाईन जुड़े स्कूलों के बच्चों से मुख्यमंत्री ने किया संवाद
-500 राजकीय विद्यालयों के लगभग 1 लाख 90 हजार बच्चे लाभान्वित होंगे
देहरादून। एसआईटी व आरओटी के माध्यम से टू-वे सीमलैस इन्टरएक्टीवीटी द्वारा देहरादून स्थित 04 सेंट्रल स्टूडियो से प्रदेश के 500 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों को जोड़ा जा रहा है। उत्तराखण्ड, स्कूली शिक्षा में वर्चुअल क्लासरूम प्रोजेक्ट शुरू करने वाला पहला राज्य बन गया है। शनिवार को मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेश के 500 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में वर्चुअल क्लास का उद्घाटन किया। वर्तमान में 150 विद्यालयां को जोड़ा जा चुका है। कार्यक्रम के दौरान ये सभी विद्यालय ऑनलाईन थे। अगले 15 दिनों में शेष 350 चिन्हित विद्यालयों को भी जोड़ दिया जाएगा।
नवोदय विद्यालय, ननूरखेड़ा, देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में परियोजना का शुभारम्भ करते हुए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश में तकनीक के माध्यम से शिक्षा में सुधार किया जा रहा है। अनिर्णय की स्थिति ठीक नहीं होती है। 2010-11 से बजट उपलब्ध था परंतु निर्णय नहीं लिया गया। समय पर निर्णय न लिए जाने से लाखां बच्चे इससे वंचित रह गए। हमने इस पर निर्णय लिया और आज उत्तराखण्ड स्कूली शिक्षा में वर्चुअल क्लास शुरू करने वाल पहला राज्य बन गया है। इससे जहां किसी विषय विशेष के अध्यापक नहीं हैं, वहां वर्चुअल क्लास के माध्यम से उस विषय की पढ़ाई कराई जाएगी। इससे लगभग 1 लाख 90 हजार बच्चे लाभान्वित होंगे। केंद्र सरकार से राज्य को भरपूर सहयोग व सहायता मिलती है। ये हम पर है कि हम किस प्रकार से अच्छे प्रस्ताव बनाकर भेजते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह देखा जाएगा कि विद्यालय समय के बाद स्कूल भवन का उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है। वर्चुअल क्लास का उपयोग एकेडमिक पढ़ाई के साथ ही कैरियर परामर्श, प्रतियोगिताओं की तैयारी, साक्षरता, मोटिवेशन क्लास में करने की सम्भावना देखी जाएगी। उन्होंने सचिव विद्यालयी शिक्षा को इसके लिए निर्देशित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि तकनीक से शिक्षक का स्थान नहीं लिया जा सकता है परंतु जहां शिक्षक नहीं हैं, वहां यह उपयोगी रहेगी। इससे शिक्षकों को भी प्रशिक्षित किया जा सकता है। बच्चों का बहुआयामी विकास होगा। उनका सोचने का दायरा बढ़ेगा।
शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डे ने कहा प्रदेश की विद्यालयी शिक्षा के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है। भौगोलिक विषमताओं को देखते हुए हाई क्वालिटी एजुकेशन मे यह सुविधा बहुत उपयोगी रहेगी। शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए प्रदेश सरकार लगातार प्रयासरत है। सचिव विद्यालयी शिक्षा आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि वर्चुअल क्लासरूम कार्यक्रम, समग्र शिक्षा के अन्तर्गत सूचना एवं संचार तकनीक (आईसीटी) के तहत संचालित है। वर्तमान में 500 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में संचालित किया जाएगा। वर्चुअल क्लासरूम में सैटेलाईट इन्टरएक्टीव टर्मिनल (एसआईटी) तथा रिसीव ऑन्ली टर्मिनल (आरओटी) के माध्यम से टू-वे सीमलैस इन्टरएक्टीवीटी द्वारा देहरादून स्थित 04 सेंट्रल स्टूडियो से प्रदेश के 500 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों को जोड़ा जा रहा है। वर्चुअल क्लासरूम तकनीक नवीनतम तकनीक है। यह स्मार्ट क्लासरूम व आई0सी0टी0 लैब से आधुनिक है। सैन्ट्रलाईज्ड स्टूडियो के माध्यम से विषय विशेषज्ञों द्वारा कक्षा 6-12 तक के विभिन्न विषयों की पढ़ाई संचालित की जाएगी। वर्चुअल क्लासरूम के माध्यम से परीक्षाओं की तैयारी, अतिरिक्त वादनों की व्यवस्था, प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे कि जेईई, एनईईटी आदि की तैयारी की जा सकेगी। वर्चुअल क्लासरूम के माध्यम से छात्रों को कैरियर एवं गाइडेन्स भी प्रदान किया जा सकता है, जो उनके भविष्य हेतु लाभदायक होगा। अल्मोड़ा के 52, बागेश्वर के 10, चमोली के 45, चम्पावत के 15, देहरादून के 46, हरिद्वार के 10, नैनीताल के 61, पौड़ी के 82, पिथौरागढ़ के 40, रूद्रप्रयाग के 21 और टिहरी के 52 विद्यालयों में वर्चुअल क्लासरूम की स्थापना की जा रही है। मुख्यमंत्री ने वर्चुअल जुडे विभिन्न विद्यालयों के बच्चों से संवाद भी किया। बच्चों ने उनसे अनेक प्रश्न पूछे जिनका मुख्यमंत्री ने विस्तार से जवाब दिया। मुख्यमंत्री ने बच्चों को कहा कि परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता है। जो भी काम करें, पूरी निष्ठा, एकाग्रता और समर्पण से करें। मुख्यमंत्री से बात करने वालों में जीजीआईसी, कर्णप्रयाग की अमीषा व आंचल, जीआईसी, पाण्डुकेश्वर की अंशिका, जीआईसी, एकेश्वर के जयरत्न व साहिल कुमार, जीजीआईसी, रानीखेत की लक्षिता शाह व आशा, जीआईसी हरपुन हरसन (उधमसिंहनगर) के मोहम्मद सलीम, जीआईसी दिक्तोली(चम्पावत) की मानसी, जीआईसी गुरना (पिथौरागढ़) के हर्षकुमार, जीआईसी गुनियालेक, नैनीताल की नीतू व योगिता शामिल थे। छात्रों के अनुरोध पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जीआईसी, एकेश्वर का भवन निर्माण कराया जाएगा। जीआईसी गुनियालेक में भूमि उपलब्ध होने खेल का मैदान बनाया जाएगा।