देहरादून। क्या आप जानते हैं कि घुटनों या कूल्हों में होने वाले जोड़ों के दर्द, जॉइंट्स की सख्ती, घुटनों का काम करना बंद कर देने या अकड़न आने का एकमात्र कारण सुस्ती और गलत मुद्रा में बैठना नहीं होता। मामला इससे ज्यादा गंभीर हो सकता है। शहर भर के डॉक्टरों के पास नौजवानों में गठिया रोग होने के बहुत से मामले सामने आ रहे हैं। मोटापा, सुस्त जीवनशैली और खान-पान की खराब आदतें गठिया रोग के प्राथमिक कारक है। रोग की जांच जल्दी कराकर हालात में सुधार लाया जा सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार अधिकतर भारतीय मरीज डॉक्टर के पास इलाज के लिए तब पहुंचते हैं, जब दर्द हद से बढ़ जाता है और इसका असर उनकी रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ने लगता है। इस तरह के पुराने मामलों में पारंपरिक चिकित्सा उपाय, जैसे दवाइयां या जीवनशैली में बदलाव, लंबे समय तक मरीज को उसके दर्द से राहत नहीं दिला पाते। ऐसी हालत में जोड़ों को बदलना (जॉइंट रिप्लेसमेंट) ही एकमात्र व्यावहारिक उपाय होता है। विश्व गठिया दिवस पर डॉ. विनीत त्यागी, कंसल्टेंट, आर्थोपेडिक सर्जन, कैलाश अस्पताल, देहरादून ने गठिया रोग की जल्दी पहचान करने  और उसके इलाज पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला है। सेहत पर इलाज के नतीजे तभी बेहतरीन दिखते हैं, जब आपको इनकी जानकारी हो। मरीज को अपनी हालत के बारे में स्पष्ट रूप से पता होना चाहिए और इसमें सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए। स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने या रोग के बारे में डॉक्टरी सलाह लेकर गठिया के रोग को व्यावाहरिक तरीके से मैनेज करने की जरूरत है। इसलिए देर मत कीजिए, आज ही डॉक्टर से संपर्क कीजिए।