अपने सौंदर्य एवं सुलभता के कारण हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुका “गुलाब” शरीर को स्वस्थ एवं सुन्दर बनाने वाले चिकित्सकीय गुणों से भी अत्याधिक परिपूर्ण है। गुलाब का botanical name- Rosa centifolia है तथा पूरे विश्व में गुलाब की 100 से अधिक प्रजाति (varieties) पायी जाती है।
पाश्चात्य संस्कृति के दंश से ग्रसित हमारी युवा पीढ़ी शायद गुलाब की अहमियत को इस बात से भी समझ सकती है कि Valentine’s week की शुरुआत 7 फरवरी को rose day के साथ ही होती है।
आयुर्वेद में तथा अन्य प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में ‘तरूणी’, ‘शतपत्री’, ‘चारूकेशरा’, ‘लाक्षा’ ‘कर्णिका’ ‘गन्धाढ्या’ आदि सार्थक नामों से ‘गुलाब’ का उल्लेख मिलता है।
आचार्य प्रियव्रत शर्मा ने एक ही पंक्ति में गुलाब के सभी औषधीय गुणों का वर्णन किया है-
“शतपत्री हिमा हृद्या सारिणी शुक्रला लघु।
वातपित्तास्रजिद् वर्ण्या कषायस्वादु तिक्तका ।।”
आयुर्वेद में गुलाब को मधुर एवं स्निग्ध होने से वातशामक तथा शीत कषाय होने के कारण पित्त को शांत करने वाला माना गया है। इन्हीं गुणों के कारण गुलाब शरीर के वर्ण (complexion) को सुधारने तथा दुर्गन्ध दूर करने के लिए बहुत अनुकूल है।
गुलाब में सूजन (swellings) को घटाने घावों को भरने, बुद्धि और विवेक की वृद्धि ,पाचन संस्थान को सुचारू रखने,खून की कमी दूर करने, heart tonic , मैथुन शक्ति बढ़ाने, पसीना लाने का गुण होने के कारण अनेक चर्म रोगनाशक, तथा ज्वर को शांत करने के चमत्कारिक गुण हैं। गुलाब का चिकित्सकीय उपयोग इसके फूलों से तैयार गुलकंद एवं rose water के रूप में आसानी से किया जा सकता है । वर्तमान में सौंदर्य प्रसाधन ( cosmetics industry) में rose water एवं rose oil की मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
राज्य औषधीय पादप बोर्ड द्वारा उत्तराखंड में गुलाब के कृषिकरण को प्रोत्साहित करने के लिये अनुदान,निशुल्क पौध,प्रशिक्षण देने के साथ-साथ (गुलाब जल) rose water निकालने के लिए आसवन संयंत्र (distillation unit) स्थापित करने के लिए 95% subsidy देने का प्रावधान किया गया है। आज उत्तराखंड के प्रतिभा सम्पन्न बेरोजगार युवाओं को रोजगार के लिए गुलाब की खेती एक अच्छा लाभदायक विकल्प है।
-डॉ आदित्य कुमार
पूर्व उपाध्यक्ष राज्य औषधीय पादप बोर्ड, उत्तराखंड