देहरादून। प्रज्ञा प्रवाह के तत्वावधान में युवा संवाद के अन्तर्गत स्टार्टअप को लेकर रविवार को वेब परिचर्चा आयोजित की गयी, जिसमें वक्ताओं ने स्टार्टअप शुरू करने पर अपने विचार व्यक्त किये। प्रज्ञा प्रवाह पश्चिम उत्तर प्रदेश क्षेत्र इकाई की वेब परिचर्चा श्रृंखला युवा संवाद से समाधान के अंतर्गत आठवें कार्यक्रम स्टार्टअप कैसे प्रारंभ करें विषय को लेकर डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के संयुक्त तत्वाधान में परिचर्चा कार्यक्रम की आयोजक प्रज्ञा परिषद, ब्रज प्रांत ने किया। देवभूमि विचार मंच, उत्तराखंड एवं भारतीय प्रज्ञान परिषद, मेरठ ने इस परिचर्चा सहयोग प्रदान किया। कार्यक्रम में प्रज्ञा प्रवाह पश्चिम उत्तर प्रदेश क्षेत्र संयोजक भगवती प्रसाद राघव ने युवा को रचनात्मक सोच के साथ आगे बढ़कर काम करने का आह्वान किया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता स्टार्टअप ऊर्जा व्हील के संस्थापक रविंद्र सोनी तथा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एपीफैनी आई.पी. सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड, बेंगलुरू के निदेशक श्री विनय आनंद ने भी विचार व्यक्त किये। श्री सोनी ने कहा कि आज प्रत्येक व्यक्ति मानसिक शांति की खोज में है। उन्होंने कहा कि हमारा स्टार्टअप भी मानसिक शांति से संबंधित है। कोरोना काल लॉकडाउन के दौरान ही मैंने प्रोजेक्ट पर कार्य प्रारंभ किया और अभी तीन-चार दिन में ही हमारी प्रथम शिपमेंट पूरी दुनिया में जानी शुरू हो जाएगी । उन्होंने कहा कि जब आप कोई व्यापार शुरू करना चाहते हैं, तो धन कमाना ही उद्देश्य नहीं होना चाहिए बल्कि समाज में व्याप्त किसी समस्या के समाधान की पूर्ति के लिए हमें अपना प्रोडक्ट बनाना चाहिए। अगर पहले से चल रहे किसी प्रोडक्ट में कोई कमी है तो उसकी तरफ भी ध्यान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि हमारे मन में व्यापार से संबंधित कोई विचार हो तो उसको बांटना चाहिए जिससे उसकी कमियां या खूबियां आपको पता लग पाए। लेकिन इसका अंतिम निर्णय स्वयं आपको ही लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि अपने विचार को मूर्त रूप अवश्य देना चाहिए। श्री रविंद्र सोनी ने कहा कि व्यापार की दृष्टि से यह भारत का स्वर्णिम काल है, जब भारत के पास संपूर्ण विश्व के लिए प्रदाता बनने का अवसर है । परंतु इसके लिए स्किल बेस्ड लर्निंग की आवश्यकता है ।
उन्होंने कहा कि व्यापार समूहों को अपने ग्राहकों के साथ विचार-विमर्श करते रहना चाहिए एवं उनकी आवश्यकताओं की समझ होनी चाहिए। यदि आपने दुनिया का सबसे अच्छा प्रोडक्ट बनाया है, परंतु उसको बेच नहीं पाए और यदि उसने दुनिया में किसी के जीवन को नहीं सुधारा तो फिर प्रोडक्ट बेकार है। उन्होंने कहा कि गुलामी के काल के कारण हम स्वयं को निकृष्ट समझने लगे हैं । लेकिन हमें ऐसा नहीं सोचना है। हमें धरती पर रहकर ही बहुत बड़ा सोचना है। इसके लिए स्किल बिल्डिंग अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि उन्होंने स्वयं इलेक्ट्रॉनिक्स एवं ।तकनपदव प्रोग्रामिंग स्वयं इस प्रकार के पोर्टलों का इस्तेमाल कर सीखी है। इसके साथ हमें यह ध्यान रखना भी आवश्यक है कि हम सारा कार्य स्वयं नहीं कर सकते ।उन्होंने कहा कि अपने तैयार प्रोडक्ट को बाजार में जल्दी से जल्दी लाना चाहिए, फिर आने वाले समय में आवश्यकता अनुरूप उसका सुधार करना चाहिए। इससे सफलता की संभावना पूरी बनी रहती है। उन्होंने कहा कि हमें इंटरनेट और सोशल मीडिया का भी पूरा सहयोग लेना चाहिए। कोई भी बिजनेस शुरू करने से पहले उससे बाहर निकलने की व्यवस्था भी बनानी होगी।
मुख्य अतिथि विनय आनंद ने कहा कि वे विशेषतया बौद्धिक संपदा के विषय में ही बताएंगे। उन्होंने कहा कि हमारा राष्ट्र प्राचीन काल में उद्योगों के लिए प्रसिद्ध था एवं दूर-दूर के देशों में हमारे राष्ट्र का उत्पादित सामान भेजा जाता था। परंतु पिछले कुछ वर्षों में नवाचार की भारतीय। विचार परंपरा रुक सी गई है उन्होंने कहा कि 17वीं शताब्दी में हमारा विश्व इक्नॉमी में लगभग 25ः योगदान था, परंतु अब लगभग 2ः ही योगदान रह गया है । उन्होंने कहा कि किसी भी देश में पेटेंट की संख्या उस देश में नवाचार के प्रति जनमानस के रुझान को प्रदर्शित करती है। जैसे 2018-19 में चीन में लगभग 29 लाख पेटेंट फाइल हुए ,जबकि अमेरिका में लगभग 6 लाख हुए। वहीं भारत में यह संख्या एक लाख से भी कम है।
उन्होंने कहा कि हमें उद्यमिता के साथ-साथ नवाचार को भी आदत बनाना होगा , तभी नव-उद्योग विकसित होंगे । उन्होंने कहा कि कोई भी नया व्यवसाय शुरू करने के लिए परिवार के साथ साथ बाहर के विशेषज्ञों से भी सलाह लेनी आवश्यक है क्योंकि ऐसा हो सकता है कि परिवार के लोग व्यक्ति को बुरा लगने के कारण सही सलाह ना दे पायें।
उन्होंने कहा कि करुणा काल में जिस प्रकार से चीन से अनेक वस्तुओं के आयात पर रोक लगी है तो अवश्य भारत में व्यवसाय और नौकरी की अनेक संभावनाएं उत्पन्न होंगी। वास्तव में ही यह भारत में व्यवसाय के लिए स्वर्णिम काल है। उन्होंने कहा कि अपने व्यवसाय को बढ़ते हुए देखना ठीक उसी प्रकार है जिस प्रकार व्यक्ति अपने परिवार और बच्चों को बढ़ता हुआ देखकर खुश होता है। इसके साथ-साथ लोगों को नौकरी देकर , समाज को फलता-फूलता देख कर अवश्य ही असीम सुख की अनुभूति होती है। उन्होंने कहा कि भारत वर्ष में जितने अधिक उद्यम होंगे , उतना ही हमारा राष्ट्र उन्नत होगा एवं गरीबी तथा भुखमरी कम होगी।
उन्होंने नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन का नाम लेते हुए कहा कि इस संस्था की वेबसाइट पर अनेक ग्रासरूट इनोवेशन की जानकारी उपलब्ध है, जैसे मोतिहारी बिहार में एक व्यक्ति ने पानी में चलने वाली साइकिल बनाई। इसी प्रकार पैरों से नारियल तोड़ने वाली डिवाइस, बिना बिजली के चलने वाला वाटर कूलर, इत्यादि अनेक नवाचारों की जानकारी उक्त संस्था की वेबसाइट पर उपलब्ध है। यह संस्था इन प्रोडक्ट के व्यवसायीकरण करने में सहायता प्रदान करती है और उनको संपूर्ण भारतवर्ष में एक बाजार देने का कार्य भी करती है। उन्होंने कहा कि आज यह संभव है कि दुनिया के किसी भी कोने में यदि कोई नवाचार चल रहा है तो हम उसकी सहायता से अपने क्षेत्र में भी उसे या उसके जैसा ही कोई प्रोडक्ट शुरू करने कार्य कर सकते हैं और अपने आसपास की समस्या के समाधान के विषय में सोच सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता है कि हमें लोगों की समस्या के समाधान के साथ-साथ धनार्जन के लिए विचार करना चाहिए।
कार्यक्रम के संयोजक मंडल में डॉ प्रवीण कुमार तिवारी, डॉ गौरव राव, शुभ गुप्ता ,आदर्श चैधरी, डॉ रश्मि रंजन एवं अनुराग विजय अग्रवाल मुख्य रूप से रहे। कार्यक्रम में प्रज्ञा प्रवाह पश्चिम उत्तर प्रदेश के अंतर्गत तीनों प्रांतों के अध्यक्ष, संयोजक, सहसंयोजक, प्रांतीय कार्यकारिणी के सदस्य, मंडल संयोजक, जिला संयोजक एवं अनेक कार्यकर्ता उपस्थित रहे