देहरादून। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण जहां प्रदेश में हर जगह दुश्वारियां बढ़ रही है। वही, अब ब्लैक फंगस नई मुसीबत बनकर सामने आ रहा है। इसके कारण प्रदेश में दो मौतें हो चुकी हैं और 30 से भी ऊपर मरीज ब्लैक फंगस के मिल चुके हैं। कोरोना मरीजों में होनेवाली दूसरी खतरनाक बीमारी म्यूकर मायकोसिस (ब्लैक फंगस) ने राज्य सरकार की चिंता बढ़ा दी है। अन्य राज्यों की तरह उत्तराखंड में भी इसके मामले सामने आ रहे हैं।
मंगलवार तक लगभग 30 कोरोना मरीज इसकी चपेट में आ चुके हैं, जिनमें दो मरीजाें की जान भी जा चुकी है। इसे लेकर राज्य सरकार भी अलर्ट हो गई है। सभी जिलों से ऐसे मरीजों की जानकारी मांगी गई है। साथ ही सभी मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) द्वारा इस बीमारी से बचने के लिए आवश्यक एहतियात तथा उपचार को लेकर जारी एडवाइजरी भेजते हुए अनुपालन के निर्देश दिए जा रहे हैं। फंगस संक्रमण के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवा एम्फोटेरिसिन बी लिपोसोमल अधिकतर दवा दुकानों पर उपलब्ध नहीं है। इसको देखते हुए सरकार ने निर्णय लिया एम्फोटेरिसिन बी को सरकारी स्तर से वितरण किया जायेगा।
जानकारों के अनुसार, ब्लैक फंगस का सबसे ज्यादा खतरा मधुमेह के मरीजों को है। अनियंत्रित मधुमेह वाले लोगों, स्टेरॉयड के इस्तेमाल से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाने तथा लंबे समय तक वेंटिलेटर में रहने तथा वोरिकोनाजोल थेरेपी से इस फंगस का संक्रमण होता है। आइसीएमआर ने कोरोना मरीजों को सलाह दी है कि वे ब्लैक फंगस के लक्षणों पर नजर रखें तथा इसकी अनदेखी न करें। फंगस इंफेक्शन का पता लगाने के लिए जांच की भी सलाह दी गई है। साथ ही लक्षण होने पर चिकित्सक से परामर्श करने को कहा गया है। साथ ही इसके लक्षण मिलने पर स्टेरॉयड की मात्रा कम करने या इसे बंद करने का भी सुझाव दिया है।
किसी मरीज में संक्रमण सिर्फ एक त्वचा से शुरू होता है, लेकिन यह शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है। उपचार में सभी मृत और संक्रमित ऊतक को हटाने के लिए सर्जरी की जाती है। कुछ मरीजों में के ऊपरी जबड़े या कभी-कभी आंख निकालना पड़ जाता है। इलाज में एंटी-फंगल थेरेपी का चार से छह सप्ताह का कोर्स भी शामिल हो सकता है। चूंकि यह शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करता है, इसलिए इसके उपचार के लिए फीजिशियन के अलावा, न्यूरोलॉजिस्ट, ईएनटी विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ, दंत चिकित्सक, सर्जन की टीम जरूरी है।
मधुमेह से गंभीर रूप से पीड़ित मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा हो सकता है। हालांकि अभी गिने-चुने में ही यह समस्या आई है। इससे बचने के लिए शुगर नियंत्रण में रखने का प्रयास होना चाहिए। स्टेरॉयड के अलावा कोरोना की कुछ दवाओं का उपयोग मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली पर असर डालता है। जब इन दवाओं का उचित उपयोग नहीं किया जाता है तो यह ब्लैक फंगस के खतरे को बढ़ा देता है, क्योंकि मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली फंगल संक्रमण से लड़ने में विफल रहती है। कोरोना से उबरने के बाद लोगों को इसे लक्षण पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए। इससे से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार स्टेरॉयड का विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए। बीमारी का जल्द पता लगने से इसके संक्रमण के उपचार में आसानी हो सकती है।
अनियंत्रित मधुमेह स्टेरॉयड लेने के कारण इम्यूनोसप्रेशन- कोरोना संक्रमण अधिक होने के कारण अधिक समय आइसीयू में रहना। सामान्य लोगों के लिए यह ऐहतियात भी जरूरी कि वे धूल भरी जगह पर जाने से बचें। मास्क लगाएं। खेतों या बागवानी में मिट्टी या खाद का काम करते समय शरीर को जूते, ग्लव्स से पूरी तरह ढंककर रखें। स्क्रब बाथ के जरिये सफाई पर पूरा ध्यान दें। ब्लैक फंगस के लक्षण नाक जाम होना, नाक से काला या लाल स्राव होना। गाल की हड्डी में दर्द होना चेहरे पर एक तरफ दर्द होना या सूजन। दांत या जबड़े में दर्द, दांत टूटना। धुंधला या दोहरा दिखाई देना। सीने में दर्द और सांस में परेशानी।
चिकित्सा विशेषज्ञों ने कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान अस्पतालों में इस संक्रमण से उबर रहे लोगों में ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस के मामले बढ़े हैं और इसकी वजह बिना डॉक्टर के परामर्श के घर में स्टेरॉयड का सेवन संभव है। यह फंगस संक्रमण मस्तिष्क, फेफड़े और ‘साइनस’ को प्रभावित करता है। मधुमेह के रोगियों एवं कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों के लिए जानलेवा हो सकता है। मधुमेह, वृक्क रोग, यकृत रोग, वृद्धावस्था आदि से कम प्रतिरक्षा वाले लोगों में म्यूकोरमाइकोसिस अधिक देखने को मिलता है। यदि ऐसे रोगियों को स्टेरॉयड दिया जाता है तो उनकी प्रतिरक्षा और घट जाती है। फंगस को पनपने का मौका मिल जाता है। कोविड-19 महज एक फीसदी संक्रमितों की जान लेता है, जबकि ब्लैक फंगस से मृत्युदर 75 फीसदी है। म्यूरकोरमाइकोसिस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के भी गंभीर दुष्प्रभाव हैं और इनकी वजह से किडनी से जुड़ी समस्याएं, स्नायुतंत्र से जुड़े रोग और ह्रदयाघात हो सकता है।
कोरोना मरीज ऐसे बच सकते हैं पहला खून में शुगर की ज्यादा नहीं होने दें तथा हाइपरग्लाइसेमिया से बचें। कोरोना से ठीक हुए लोग ब्लड ग्लूकोज पर नजर रखें। स्टेरॉयड के इस्तेमाल में समय और डोज का पूरा ध्यान रखें। एंटीबायोटिक और एंटीफंगल दवाओं का इस्तेमाल डॉक्टर के परामर्श से ही करें।