पिथौरागढ़। नेपाली नागरिकों को भारत में बिना पहचान पत्र दिखाकर प्रवेश नहीं दिया जाएगा। सीमा पर सुरक्षा एंजेंसियों ने सख्ती शुरू कर दी है। नेपाल से आने वाली सभी लोगों की गहनता से जांच करने के बाद ही प्रवेश दिया जा रहा है। राज्य में आगामी विधान सभा चुनाव को देखते हुए भी जांच बढ़ाई गयी है। देश में अराजक तत्वों का प्रवेश रोकने लिए जांच की जा रही है। 10 हजार से अधिक लोग रोज करते हैं आवाजाही रोजगार के लिए नेपाल का बड़ा वर्ग भारत पर निर्भर है। रोज सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में बने इन पांच झूलापुलों से 10 हजार से अधिक लोग आवाजाही करते हैं। इसमें 90 प्रतिशत से अधिक संख्या नेपाली नागरिकों की होती है। पिथौरागढ़ जनपद की नेपाल से 150 किमी से अधिक लंबी खुली सीमा लगी है। भारत- नेपाल सीमा पर काली नदी में सीतापुल, ऐलागाड़, धारचूला, बलुवाकोट, जौलजीबी, झूलाघाट में झूलापुल हैं। इन पुलों से भारत में रोजगार के लिए भारी संख्या में नेपाल के लोग आवावाजाही करते हैं।
हाल में भारत के कालापानी से सटे कुटी, गुंजी, नाभी पर नेपाल अपना दावा कर चुका है। उसने इन उच्च हिमालयी माइग्रेशन वाले गांवों में जनगणना के लिए टीम भेजने की कोशिश भी की लेकिन सफलता नहीं मिली। अब उसने अपने माइग्रेशन गांव तिंगर व छांगरू की आड़ में भारतीय रास्ते से जाने के लिए अनुमति मांगी है। 29 दिन से अधिक समय बाद भी अनुमति नहीं मिलने पर नेपाल ने विदेश मंत्रालय के जरिए यह कार्य करने का प्रयास किया।
इधर, नेपाल के भारतीय भूभाग को लेकर बदले नजरिए और दावे के बाद सुरक्षा एजेंसियां सीमा पर अलर्ट मोड पर आ गई हैं। नेपाल से सटी सीमा से अराजक तत्वों के देश में प्रवेश को रोकने की दृष्टि से एसएसबी ने निगरानी तेज कर दी है। सभी झूलापुलों पर अब आवाजाही कर रहे नेपाली नागरिकों को कड़ी जांच से गुजरना पड़ रहा है। बिना परिचय पत्र दिखाए किसी भी नागरिक को भारत में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है।