1 Jun 2025, Sun

कद्दूवर्गीय फसलों में 3जी कटिंग से मिलेगी अधिक उपज

-डा० राजेंद्र कुकसाल
rpkuksal.dr@gmail.com
9456590999


र्मी व बरसात के मौसम में हर घर के पास लौकी, तोरई, चचिंडा, ककड़ी, करेला ,कद्दू आदि सब्जियों की बेलें देखने को मिलती हैं। कई कृषक इन फसलों की व्यवसायिक खेती भी कर रहे हैं।
अनुकूल जलवायु, जीवांश युक्त भूमि एवं उन्नतिशील किस्म का चुनाव, उचित समय पर बीज की बुवाई, सही मात्रा में उर्वरकों एवं पोषण तत्त्वों का प्रयोग, खरपतवार नियंत्रण, आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई, सिंचाई तथा फसल की कीट व्याधियों से यथोचित सुरक्षा आदि अधिक फसल उत्पादन के घटक है।
इन सबके अतिरिक्त समय-समय पर वेलों की उचित कटाई छंटाई कर कृषक इन वेल वाली सब्जियां से भर पूर उपज व अधिक आर्थिक लाभ ले सकते हैं।
कद्दू बर्गीय फसलों के पौधे द्विलिंगी (monoecious) होते हैं, याने एक ही पौधे पर नर व मादा पुष्प होते हैं।पुष्प एक लिंगी (uni sexual) अर्थात नर व मादा पुष्प अलग अलग लगते हैं। मादा पुष्प में नीचे छोटा सा फल लगा होता है जब कि नर पुष्प सीधे डंडी पर खड़ा रहता है। पौधों पर फल तभी विकसित होते हैं जब पौधों पर मादा फूल विकसित होते हैं तथा खिले हुए नर फूल से पराग परागण द्वारा खिले हुए मादा फूल के वर्तिकाग्र में गिर कर परागित/ निशेचन करे।
लौकी का मादा फूल।
शुरू में वेलों पर फूल तो आते हैं, किन्तु कुछ समय बाद झड़ जाते हैं क्योंकि शुरू में लम्बे समय तक मुख्य तना जिसे हम 1st जनरेशन branch तथा मुख्य तने से निकली शाखाओं जिन्हें 2nd जनरेशन branch कहते हैं पर नर फूल ही आते हैं । मादा फूल 3rd जनरेशन की शाखाओं पर ही दिखाई देते है।
लौकी नर फूल
लौकी, खीरा, करेला, चचिन्डा व कद्दू की फसलों में नर व मादा फूलों का अनुपात 9:1 याने 9 नर फूल पर एक मादा फूल होता है 3G कटिंग से मादा फूलों का अनुपात बढ़ाया जा सकता है मादा फूलों की संख्या बढ़ने से उपज कई गुना अधिक बढ़ जाती है।

3G कटिंग कैसे करें-

बीज जमने के बाद जैसे जैसे पौधा बढ़ते जाय शुरू की चार पतियों तक कोई भी साइड ब्रांच न निकलने दें यदि निकल गई हो तो उसे ब्लेड से काट कर हटा लें अन्त तक याने पौधे की आयु पूरी होने तक शुरू की चार पतियों तक कोई भी शाखा नहीं निकलने देना है ।
पौधे को यदि जमीन पर या लकड़ी की झाड़ी के सहारे चढ़ाना हो तो पौधे पर 12-14 पत्तियां आने के बाद जब पौधा लगभग 2 मीटर लंबा हो जाय मुख्य तने को आगे से तोड़ लें जिससे पौधे की ऊर्जा मुख्य तने की बढ़वार पर न खर्च हो कर द्वितीय व तृतीय जनरेशन की शाखाओं के विकसित होने पर लग सके।
पौधे को यदि मचान पर या terrace पर चढ़ाना हो तो वहां तक पौधे को बढ़ने दें ध्यान रहें जब तक पौधा मचान तक नहीं पहुंचता मुख्य तने से शाखाएं न निकलने दें इससे पौधा ऊंचाई में तेजी से बढ़ेगा । मचान तक पहुंचने के बाद मुख्य तने को ऊपर से तोड़ लें। मुख्य तने के अग्र भाग को तोड़ने के बाद ही मुख्य तने से शाखाएं निकलने दें।
मुख्य तने से तीन चार शाखाऐं ही विकसित होने दें। मुख्य तने से निकली शाखाएं द्वितीय जनरेशन हुई।
मुख्य तने से निकली शाखाओं ( द्वितीय जनरेशन ) पर जब 12 पत्ते आ जायें तो इनके अग्र भाग को हटा लें इनसे निकली शाखाएं 3rd जनरेशन की शाखाएं होती है जिन पर मादा फूल लगते हैं।
यदि एक या दो पौधे ही हों तो प्रत्येक पौधे पर परागण हेतु मुख्य तने से निकली एक शाखा ( द्वितीय जनरेशन ) को बढ़ने दें जिससे 3rd जनरेशन की शाखाओं पर विकसित मादा फूलों के निषेचन (fertilization) हेतु नर फूल मिलते रहें। व्यवसायिक खेती में 12 पौधों पर एक पौधे में 3 G कटिंग नहीं करनी चाहिए।
पौधे में शाखाओं की संख्या इस प्रकार नियंत्रित रखें कि पूरे पौधों को सूर्य की रोशनी मिल सके पौधे को ज्यादा घना न होने दें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *