नई दिल्ली। देश के साथ-साथ उत्तराखंड को भी आज अपने एक सच्चे सिपाही को खोना पड़ा। तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हॉलिकॉप्टर दुर्घटना में देश ने प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत जैसे एक सच्चे सिपाही को खोया है। इस दुर्घटना में जनरल बिपिन रावत की पत्नी मधुलिका रावत का भी निधन हुआ है। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद देश के साथ-साथ उत्तराखंड में भी शोक की लहर है। जनरल रावत ने उत्तराखंड के लिए कई प्रकार के कार्य पर्दे के पीछे रहते हुए किये हैं। चाहे राज्य में पलायन का विषय हो या सीमावर्ती क्षेत्रों तक सड़क के आदि की व्यवस्था करने जनरल रावत की अहम भूमिका रही।
पिछले 3 वर्षों में जनरल बिपिन रावत ने सेना के तीनों अंगों के लिए सराहनीय कार्य किए आइए जानते हैं जनरल बिपिन रावत के जीवन के बारे मेंः-
बिपिन रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को देहरादून में हुआ. बिपिन रावत के पिताजी एल एस रावत भी फ़ौज में थे और उन्हें लेफ्टिनेंट जनरल एलएस रावत के नाम से पहचाना जाता था. इनका बचपन फौजियों के बीच ही बीता और इनकी शुरूआती पढाई सेंट एडवर्ड स्कुल शिमला में हुई. उसके बाद उन्होंने इंडियन मिलट्री एकेडमी में एडमिशन लिया और देहरादून चले आये. यहाँ उनकी परफोर्मेंस को देखते हुए उन्हें पहला सम्मान पत्र मिला जो SWORD OF HONOUR से सम्मानित किया गया था. उसके बाद उन्होंने अमेरिका में पढाई करने का मन बनाया और वो अमेरिका चले गये यहाँ उन्होंने सर्विस स्टाफ कॉलेज में ग्रेजुएट किया. साथ में उन्होंने हाई कमांड कोर्स भी किया. बिपिन रावत अमेरिका से लौट आये और उसके बाद उन्होंने आर्मी में शामिल होने का मन बनाया. उन्हें अपने प्रयासों में सफलता 16 दिसंबर 1978 में मिली. उन्हें गोरखा 11 राइफल्स की 5वीं बटालियन में शामिल किया गया. यहीं से उनका सैन्य सफर शुरू हुआ. यहाँ बिपिन रावत जी को सेना के अनेक नियमों को सिखने का मौका मिला और उन्हें कैसे एक टीम वर्क करना चाहिए यह भी उनके समझ में आया. बिपिन रावत ने बताया था एक इंटरव्यू में की उनकी जिंदगी में उन्होंने गोरखा में रहते हुए जो सिखा वो कहीं और सिखने को नहीं मिला है. यहाँ उन्होंने आर्मी नीतियों को समझा और नीतियों के निर्माण में कार्य किया. गोरखा में रहते हुए उन्होंने आर्मी की अनेक जैसे Crops , GOC-C , SOUTHERN COMMAND, IMA DEHRADUN , MILLTERY OPREATIONS DIRECTORET में LOGISTICS STAFF OFFICER के पद पर भी काम किया.
बिपिन रावत ने भारत में ही नहीं अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी सेवायें दी है. वे कांगो के UN Mission के भागीदार थे और उसी वक्त उन्हें अंतराष्ट्रीय स्तर पर सेवायें देने का मौका मिला था. यहाँ उन्होंने 7000 लोगों की जान बचाई थी.
बिपिन रावत जी को सेना में रहते हुए सेना में अनेक तरह के पुरस्कार भी मिले हैं. उन्हें युद्ध नीति को सीखते हुए अपने कौशल का सही इस्तेमाल करते हुए आर्मी में अनेक मैडल प्राप्त किये है. उन सभी मैडल का विवरण हम निचे परिचय बिंदु में देने जा रहे हैं. इनके 37 साल के आर्मी करियर में इन्हें अनेक अवार्ड मिले है और उन सभी की लिस्ट बनाना संभव नहीं है.
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बिपिन रावत जी को सेना का प्रमुख बनाया गया. उन्हें 31 दिसंबर 2016 को दलबीर सिंह सुहाग का उत्तराधिकारी बनाया गया. यह पद बिपिन रावत के जीवन का अहम पद है. इस पद पर आने के बाद उन्हें पुरे भारत में एक खास पहचान मिली और वे भारतीय सेना के 27वें प्रमुख बने. उन्होंने इस पद की कमान 1 जनवरी 2017 को संभाली थी.
देश के पहले CDS अधिकारी बने बिपिन रावत
बिपिन रावत ने सेना के प्रमुख पद से 31 दिसंबर 2019 को भारतीय सेना के प्रमुख पद से इस्तीफा दिया और उन्होंने देश के पहले CDS अधिकारी की कमान संभाली. यह पहले वो इंसान है जिसे भारतीय CDS अधिकारी बनाया गया है. CDS यानि चीफ ऑफ़ डिफेन्स स्टाफ अधिकारी होता है जो थलसेना, वायुसेना और नौसेना तीनो के बिच तालमेल का कार्य करता है और रक्षा मंत्री और गृहमंत्री का मुख्य सलाहकार होता है.
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बिपिन रावत का लेखन के प्रति प्यार
बिपिन रावत जी को एक अच्छा लेखक भी कहा जाता है. उनके अनेक लेख पत्रिकाओं में पब्लिश होते है. वह भारतीय राजनीति पर अनेक तरह के कटाक्ष लिखते हैं. अपने लेखन की मदद से बिपिन रावत अपनी बात को लोगों तक पहुँचाने का कार्य करते हैं. आज उनके लेख पूरी दुनिया में पढ़े जाते हैं और बहुत सी ऐसी बातें लिखते हैं, जो भारतीय समाज में अहम भूमिका निभाती है.
बिपिन रावत हमेशा देश के अहम मुद्दों एवं सुरक्षा को लेकर लिखते रहते है. उनकी अनेक ऐसी बातें जो हमें उर्जावान बनाने में काम आती है.
पद कोई भी हो, उसे सही तरीके से निभाने के लिए टीम वर्क बहुत जरूरी है.
उन देशभक्तों की बराबरी हम नहीं कर सकते जो सियाचिन की ठंड में देश की सेवा करते हैं.
देश की सुरक्षा के लिए हम अकेले कुछ नहीं करते, हमारा हर एक सैनिक इसमें भागीदार होता है. इतना ही नहीं देश का हर एक नागरिक देश के लिए कुछ ना कुछ तो जरुर करता है.
बिपिन रावत ने अपनी जिंदगी के अहम 37 वर्ष आर्मी के नाम किये है. अब उनके उपर और भी अनेक जिम्मेदारियां है और अब वह देश के सुरक्षा मंत्री के मुख्य सलाहकारों में से एक हैं. बिपिन रावत जी हमेशा कहते हैं की उन्होंने अकेले कुछ नहीं किया है वह जो भी उनकी टीम की वजह से है. उन्होंने गोरखा बटालियन से शुरुआत की थी उसके बाद उन्होंने आर्मी में अनेक पदों पर कार्यभार संभाला. उसके बाद वे आर्मी चीफ बने, उसके बाद वे भारत के पहले CDS अधिकारी भी नियुक्त हुए हैं