30 Jun 2025, Mon

आयुष मंत्रालय ने पतंजलि के कोविड-19 के उपचार से संबंधित दावों पर जारी किया बयान, वैज्ञानिक अध्ययन के दावे के तथ्यों और विवरण के बारे में मंत्रालय को कोई जानकारी नहीं

मंत्रालय ने उत्तराखंड सरकार के संबंधित राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण से भी लाइसेंस की प्रतियां और आयुर्वेदिक दवाओं की उत्पाद स्वीकृति का विवरण उपलब्ध कराने के लिए कहा
दिल्ली। आयुष मंत्रालय ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड, हरिद्वार (उत्तराखंड) के द्वारा कोविड-19 के उपचार के लिए विकसित आयुर्वेदिक दवाइयों के बारे में हाल में मीडिया में आए समाचारों का संज्ञान लिया है। उल्लिखित वैज्ञानिक अध्ययन के दावे के तथ्यों और विवरण के बारे में मंत्रालय को कोई जानकारी नहीं है।
संबंधित आयुर्वेदिक दवा विनिर्माता कंपनी ने बताया है कि आयुर्वेदिक औषधियों सहित दवाओं के ऐसे विज्ञापन औषधि एवं जादुई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 के प्रावधानों और उसके नियमों तथा कोविड महामारी के क्रम में केन्द्र सरकार द्वारा जारीदिशानिर्देशों के अंतर्गत विनियमित हैं। मंत्रालय ने 21 अप्रैल, 2020 को जारी राजपत्र अधिसूचना संख्या L.11011/8/2020/AS भी जारी की गई थी, जिसमें आयुष हस्तक्षेप/औषधियों के साथ कोविड-19 पर किए जाने वाले शोध अध्ययन की आवश्यकताओं और उसके तरीकों के बारे में बताया गया था।
उपरोक्त समाचार के तत्थों और दावों के सत्यापन के प्रति मंत्रालय को सूचित किए जाने के क्रम में पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड से उन दवाओं के नाम और संयोजन; स्थानों/ अस्पताल जहां कोविड-19 के लिए शोध कराया गया; प्रोटोकॉल, नमूना आकार, संस्थागत आचार समिति की मंजूरी, सीटीआरआई पंजीकरण और शोध के नतीजे के विवरण उपलब्ध कराने तथा इस मसले की विधिवत जांच पूरी होने तक ऐसे दावों के विज्ञापन/प्रचार को बंद करने के लिए कहा गया है। मंत्रालय ने उत्तराखंड सरकार के संबंधित राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण से भी लाइसेंस की प्रतियां और आयुर्वेदिक दवाओं की उत्पाद स्वीकृति का विवरण उपलब्ध कराने के लिए कहा है, जिसके कोविड-19 के उपचार में कारगर होने का दावा किया जा रहा है।
पंतजलि की कोरोना दवा के प्रचार पर लगी रोक, सरकार ने कहा-जांच होगी
देहरादून। कोरोना वायरस की दवा बनाने के पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के दावों पर आयुष मंत्रालय ने संज्ञान लिया है। मंत्रालय ने पतंजलि से कोरोना की दवा से जुड़े विज्ञापनों को बंद करने और इसपर अपने दावे को सार्वजनिक करने से मना किया है। सरकार ने कहा है कि जब तक इसकी विधिवत जांच नहीं हो जाती, तब तक इसके प्रचार-प्रसार पर रोक लगी रहेगी।
कोरोना के इलाज के लिए पतंजलि की दवा को लेकर आयुष मंत्रालय ने कहा कि हमें इस बात की जानकारी नहीं है कि किस तरह के वैज्ञानिक अध्ययन के बाद दवा बनाने का दावा किया गया है। मंत्रालय ने इससे जुड़ी पूरी जानकारी मांगी है। सरकार ने साफ शब्दों में कहा है कि बिना मानक की जांच कराए हर तरह के विज्ञापन पर अगले आदेश तक रोक रहेगी। आयुष मंत्रालय ने कहा कि पतंजलि की कथित दवा, औषधि एवं चमत्कारिक उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) कानून, 1954 के तहत विनियमित है। पतंजलि से कहा गया है कि वह नमूने का आकार, स्थान, अस्पताल जहां अध्ययन किया गया और आचार समिति की मंजूरी के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराए। मालूम हो कि मंगलवार को बाबा रामदेव ने कोरोना के इलाज के लिए दवाई बनाने का दावा किया। बाबा रामदेव ने हरिद्वार में कोरोनिल और स्वसारी दवा की लॉन्चिंग की और कहा कि उनकी दवा का रिकवरी रेट 100 प्रतिशत है। बाबा रामदेव ने कहा कोरोना की दवाई को बनाने में सिर्फ देसी सामान का इस्तेमाल किया गया है। इसमें मुलैठी-काढ़ा समेत कई चीजों को डाला गया है। साथ ही गिलोय, अश्वगंधा, तुलसी, श्वासरि का भी इस्तेमाल किया गया। आयुर्वेद से बनी इस दवाई को अगले सात दिनों में पतंजलि के स्टोर पर मिलेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *