-डा० राजेंद्र कुकसाल (मोबाइल नंबर-9456590999)



नार फल छेदक कीट अनार की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। फल छेदक कीट के कारण अनार फसल में 50% से अधिक हानि होती है।
इस कीट के प्रकोप से फलों में छेद दिखाई देते हैं जो बाद में सड़ कर गिर जाते हैं। संक्रमित फलों से दुर्गंध निकलती है।
किसी भी कीट के प्रभावी नियंत्रण के लिए आवश्यक है कि हम उस कीट की प्रकृति, स्वभाव, पहचान, जीवन चक्र के बारे में जानकारी रखें, तभी कीट का प्रभावकारी नियंत्रण किया जा सकता है।
फल के अन्दर लार्वा प्रवेश करते हुए।
अनार फ़ल छेदक कीट का वयस्क तितली / मौथ आकार में छोटी तथा पंख गंदले सुफेद धब्बेदार किनारे लिए होते हैं ।
अंडे देने से लेकर वयस्क होने तक एक जीवन चक्र को पूरा करने में इस कीट को लगभग 33 – 39 दिन लगते हैं। एक बर्ष में यह कीट छः से आठ जीवन काल पूरा कर लेता है।
मादा तितली अनार के फूलों, शुरू के विकसित होते फलों,कोमल पत्तियों, फूलों की कलियां या डंठलों पर एक एक कर अन्डे देती है। अण्डे से 7 – 10 दिनों में इल्ली/ लार्वा निकल कर विकसित हो रहे फलों में प्रवेश कर जाती है जो फलों के अन्दर के गूदा तथा बीजों को खाती रहती है। आरम्भिक अवस्था में फल स्वस्थ दिखाई देते हैं । इल्ली द्वारा फल में किये गये छेद से कवक व जीवाणु अन्दर प्रवेश करते हैं जिस कारण फल सड़ कर बाद में गिरने लगते हैं।
लार्वा/इल्ली फल के अन्दर 18-25 दिनों में प्यूपा में रूतान्तरित हो जाता है। यह प्यूपा 7-10 दिनों बाद वयस्क तितली बन कर फल में छेद कर वाहर आती है।

रोकथाम-

अनार तितली के जीवन चक्र की चार अवस्थाएं अण्डा, लार्वा, प्यूपा व वयस्क है । फ़ल के अन्दर लार्वा के प्रवेश के बाद लार्वा वह प्यूपा नष्ट करना संभव नहीं हो पाता अतः अनार फल छेदक कीट से फलों को बचाने हेतु कीट की वयस्क तितलियां को फसल पर अन्डा देने से बचाना होता है एक बार यदि अन्डे से लार्वा / इल्ली निकल कर फल के अन्दर प्रवेश कर जाती है फिर फलों को नहीं बचाया जा सकता है।
1.अनार की फसल में बर्ष भर फूल आते रहते हैं जनवरी-फरवरी, जून-जुलाई, सितंबर-अक्टुबर जिस कारण अनार फल छेदक कीट का जीवन चक्र बर्ष भर चलता रहता है। जून जुलाई के फूलों को जिनसे अनार की फसल लेनी है को रहने दें वाकी मौसम के फूलों को हटाते रहें जिससे इस कीट की आवादी क्षेत्र विशेष में कम की जा सके।
2.खेत में घास फूस न उगने दें जिससे अनार तितलियां की आवादी रोकी जा सके।
3.फूल आने पर वयस्क तितलियां की निगरानी करें तितलियां दिन में काफी सक्रिय रहती है उस समय हाथ के जाल से पकड़ कर नष्ट करें।
4.प्रकाश प्रपंच की सहायता से रात को वयस्क तितलियां को आकर्षित कर उन्हें नष्ट करते रहना चाहिए। प्रकाश प्रपंच हेतु एक चौडे मुंह वाले वर्तन ( पारात,तसला आदि ) में कुछ पानी भरलें तथा पानी में मिट्टी तेल मिला लें उस वर्तन के ऊपर मध्य में विद्युत वल्व लटका दें यदि खेत में वल्व जलाना सम्भव न हो तो वर्तन में दो ईंठ या पत्थर रख कर उसके ऊपर लालटेन या लैंम्प रख दें। लालटेन को तीन डंडों के सहारे भी लटका सकते हैं। साम 7 से 10 बजे तक वल्व, लालटेन या लैम्प को जला कर रखें। वयस्क तितलियां प्रकाश से आकृषित होकर वल्व, लालटेन व लैम्प से टकराकर वर्तन में रखे पानी में गिर कर मर जाते हैं। बाजार में भी प्रकाश प्रपंच/ सोलर प्रकाश प्रपंच उपलब्ध हैं।
5. वयस्क तितलियां को आकर्षित करने के लिए फ्यूरामोन ट्रेप का प्रयोग कर उन्हें नष्ट करें।
फेरोमोन ट्रैप को गंध पाश भी कहते हैं। इसमें एक प्लास्टिक की थैली पर कीप आकार की संरचना लगी होती है जिसमें ल्योर (गंध पास) लगाने के लिये एक सांचा दिया होता है। ल्योर में फेरोमोन द्रव्य की गंध होती है जो आसपास के नर कीटों को आकर्षित करती है। ये ट्रैप इस तरह बने होते हैं कि इसमें कीट अन्दर जाने के बाद बाहर नहीं आ पाते हैं। फेरामोन ट्रेप में एक माह बाद ल्योर (गंध पास) की टिकिया बदलते रहें। बीज दवा की दुकानों में फ्यूरेमोंन ट्रेप उपलब्ध रहते हैं।  आनलाइन फेरामौन ट्रेप मंगा सकते हैं। दस पौधों के बीच एक फेरामोन ट्रेप का प्रयोग करें।
6.फसल की निगरानी करते रहे यदि फूलों पर या पत्तियों पर कीट के अन्डे या छति ग्रस्त फल या सूखी टहनियों दिखाई दें तो उन्हें हटा कर नष्ट करें।
7. परागण होते ही जैसे ही फल विकसित होने शुरू होते हैं फलों को छेद किये पौलीथीन बैग,वटर पेपर,मसलन क्लाथ या अन्य ऐसे आवरण जिनमें हवा का आवागमन हो सके से फलों को कवर कर लें जिससे लार्वा , फल के अन्दर प्रवेश न कर सके।
8. फूल आने के बाद नीम पर आधारित कीटनाशकों जैसे निम्बीसिडीन निमारोन,इको नीम , अचूक या बायो नीम में से किसी एक का तीन मिली लीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर सांयंकाल में या सूर्योदय से एक दो घंटे पहले पौधों पर दस दिनों के अन्तराल पर तीन छिड़काव करते रहें जिससे अनार की तितली पौधों पर अन्डे न दे सके। दवा के घोल में प्रिल ,निरमा या कोई भी अन्य लिक्युड डिटर्जेंट की कुछ बूंदें मिलाने पर दवा अधिक प्रभावी होती है।

रासायनिक उपचार –

फूल आने / फ़ल बनने पर मोनोक्रोटोफास , ईमिडाक्लोप्रड या मैलाथियान दवा एक चम्मच दवा तीन लिटर पानी में घोल बनाकर पन्द्रह दिनों के अंतराल पर तीन छिड़काव करें। एक ही दवा का प्रयोग बार बार न करें।
लेखक- (वरिष्ठ सलाहकार ( कृषि / उद्यान ) एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना उत्तराखंड।)