दीवाली के पर्व पर दीपक जलाकर अंधेरे को भगाने की कामना की जाती है। दीपक का यह प्रकाश मन के तमस को भी मिटाने का काम करता है। हिन्दू शास्त्रों में दीप प्रज्वलन करते समय मंत्र पढ़ा जाता है और वह मंत्र है ‘‘शुभं करोति कल्याणमारोग्यं धन संपदा। शत्रुबुद्धि विनाशाय दीपज्योति नमोस्तुते !!’’ इस श्लोक का अर्थ है शुभ एवं कल्याणकारी, स्वास्थ्य एवं धनसंपदा प्रदान करने वाली तथा शत्रुबुद्धि का नाश करनेवाली, हे दीपज्योति, मैं तुम्हें नमस्कार करता हूं।
दीपक का प्रकाश वातावरण में शुभता, स्वास्थ्य और समृद्धि लाता है। वातावरण और मन से अनैतिक भावनाओं व नकात्मक शक्ति को नष्ट करता है। यह छोटा सा श्लोक लोक कल्याण के साथ-साथ भारतीय संस्कृति की उस सकारात्मक भावना को रेखांकित करता है, जो शुत्रओं के प्रति भी द्वेष की भावना पनपने नहीं देता है। दीवाली का पर्व सम्पूर्ण भारत में एक समरसता के भाव का जागरण करता है। इस पर्व पर दीप ज्योति के प्रकाश से दुनिया में फैले अंधकार को मिटाने की कामना की जाती है। दीपक जलाने से वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, यश एवं प्रसिद्धि मिलती है। दीप ज्योति से समस्त पाप नष्ट होकर जीवन में सुख-समृद्धि, आयु, आरोग्य एवं सुखमय जीवन में वृद्धि होती। वातावरण रोगाणु मुक्त होकर शुद्ध हो जाता है।
दीवाली पर पटाखे जलाये न जलाये पर एक दीपक लोक कल्याण के लिए जरूर जलाये और शत्रु बुद्धि विनाश की कामना के साथ-साथ लोक कल्याण की प्रार्थना जरूर करें। सभी को दीवाली पर शांति, समृद्धि, खुशी, अच्छे स्वास्थ्य और अपार सफलता मिलने की कामना के साथ हार्दिक शुभकामनायें।
                                                                                                                                  -सुभाष चन्द्र जोशी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *