27 Apr 2025, Sun

रिवर्स पलायन को आपसी समन्वय एवं सहयोग से अवसर में बदलने की आवश्यकताः प्रो. अतुल जोशी

-देवभूमि विचार मंच की हल्द्वानी शोध इकाई का कोविड-19 एवं प्रवासी उत्तराखंडी, अवसर एवं चुनौतियाँ विषय पर राष्ट्रीय वेबीनार
-सुदृढ़ व आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर बल दिया
-पहाड़ का पानी व पहाड़ की जवानी पहाड़ कहावत को बदलने का आह्वान
-कृषि आधारित कार्य, लघु उद्योगों, छोटी लघु विद्युत परियोजनाएं, बागवानी, पर्यटन, वन संपदा आदि के विकास के माध्यम से रोजगार सृजन किया जाए
-वेबिनार से निकले सुझावों को सरकार को भी एक रिपोर्ट के माध्यम से प्रेषित करने का सुझाव दिया
हल्द्वानी। देवभूमि विचार मंच की हल्द्वानी शोध इकाई के तत्वावधान में आज कोविड-19 एवं प्रवासी उत्तराखंडी, अवसर एवं चुनौतियाँ विषय पर राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। वेबिनार की रूपरेखा डॉ रश्मि पंत ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन वेबिनार की समन्वयक डॉ. उषा पंत जोशी ने किया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफेसर अतुल जोशी ने राज्य की पलायन की समस्या और उसके कारण व समाधान बोलते हुए कहा कि राज्य की स्थापना के पहले से ही लोग दूसरे राज्यों व राज्य के मैदानी इलाकों को पलायन करते रहे हैं। इसी कारण यह कहावत भी बन गई कि पहाड़ का पानी व पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम नहीं आती। कोविड-19 के कारण जो रिवर्स पलायन प्रदेश में हो रहा है, उससे गाँव में अलग ही परिदृश्य बन गया है।
प्रो0 जोशी ने कहा कि प्रदेश से पलायन करने वालो का हमेशा से ही अपनी जन्मभूमि से जुड़ाव रहा है। उनका मानना है कि इस रिवर्स पलायन को अवसर में बदलने के लिए आज हमें प्राचीन परम्परा से जुड़ने की आवश्यकता है, जिसमें आपसी सहयोग व समन्वय का भाव रहता था।
उन्होंने कहा कि किस तरह प्रदेश में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग प्रदेश के युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कृषि आधारित कार्य, लघु उद्योगों, छोटी लघु विद्युत परियोजनाएं, बागवानी, पर्यटन, वन संपदा आदि के विकास के माध्यम से इस चुनौती को अवसर में बदलने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि आज सोचने की आवश्यकता यह है कि किस तरह से कृषि व फलों के उत्पादन, भंडारण, व विपणन संबंधी कार्यों में किसानों व बागवानों को आधुनिक सुविधाएं प्रदान कर प्रदेश के युवाओं को रोजगार से जोड़ा जा सके। साथ ही उन्होंने सुदृढ़ व आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी बल दिया।
अध्यक्षीय उद्धबोधन में डॉ. चैतन्य भंडारी ने कहा कि यह रिवर्स पलायन न होकर फोर्स्ड पलायन है। उनके अनुसार बहुत से प्रवासी कोरोना वायरस के कारण प्रदेश में लौटे है तथा स्थितियों के सामान्य होने पर वह वापस लौट सकते है। उन्होंने सरकार द्वारा भी इस दिशा में किये जाने वाले कार्यों व नीतियों का वर्णन भी किया। उनके अनुसार समयानुसार प्रकृति के संतुलन से इस विपत्ति से यह प्रदेश भी निकल जायेगा, क्योंकि माल्थस का सिद्धांत भी यही कहता है। उन्होंने इस वेबिनार की सार्थकता के लिए इस वेबिनार से निकले सुझावों को सरकार को भी एक रिपोर्ट के माध्यम से प्रेषित करने का सुझाव दिया।
इस वेबिनार में प्रदेश व दूसरे राज्यों के शिक्षाविदों व छात्रों सहित 93 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया गया, जिन्हें उनकी प्रतिभागिता के लिए ई-सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा। डॉ चंद्रवती जोशी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस कार्यक्रम में प्रज्ञा प्रवाह के क्षेत्र संयोजक भगवती प्रसाद ’राघव’ तथा देवभूमि विचार मंच प्रांत शोध संयोजक डॉ देवेश कुमार मिश्र, शोध केंद्र हल्द्वानी के समन्वयक डॉ. जटाशंकर तिवारी, जिला संयोजक नैनीताल डॉ. गगन सिंह, महानगर संयोजक डॉ. रश्मि पंत, शोध केंद्र की समन्वयक डॉ चंद्रावती जोशी आदि उपस्थित रहे।

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