देहरादून। वैश्विक बीमारी कोरोना से सारा विश्व परेशान है। भारत में भी हालत बहुत खराब है, जहां सरकार के साथ-साथ सामाजिक संगठन भी अपना दायित्व निभा रहे हैं। वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संगठन जैसे विश्व स्तरीय संगठन ने एक अनोखी मुहिम शुरू की है। इस मुहिम के तहत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्लाज्मा डोनर और जरूरतमंद कोरोना मरीजों का डाटा बैंक बना रहा है, जिससे जरूरतमंदों को समय पर प्लाज्मा थेरेपी के लिए प्लाज्मा डोनर समय से मिल पाये।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक यदुवीर सिंह सिंह ने बताया कि उत्तराखंड में प्लाज्मा डोनर तथा जरूरतमंद मरीज https://forms.gle/HNV9FQqqV857a2ZX6 लिंक पर अपना रजिस्ट्रेशन कर सकता है। इसके तहत कोई भी प्लाज्मा डोनर अथवा रिसीवर इस लिंक पर जाकर खुद को रजिस्टर कर सकता है।
उन्होंने सामान्य जन से अनुरोध किया है कि जनहित में अधिक से अधिक अपना रजिस्ट्रेशन कर सामाजिक कार्य में अपना योगदान दें। उन्होंने कहा प्लाज्मा योद्धा बनने का आह्वान किया।
प्लाज्मा थेरेपी क्या है और कैसे करती है काम
प्लाज्मा थेरेपी कोविड19 रोग के इलाज में सरदार है। कोरोना नाम की इस महामारी के केंद्र चीन में प्लाज्मा थेरेपी की मदद से इलाज में सकात्मक नतीजे देखे गए हैं। कोरोना से ठीक हो चुके एक व्यक्ति के शरीर से निकाले गए खून से कोरोना पीड़ित चार अन्य लोगों का इलाज किया जा सकता है। प्लाज्मा थेरेपी सिस्टम इस धारणा पर काम करता है कि जो मरीज किसी संक्रमण से उबर कर ठीक हो जाते हैं उनके शरीर में वायरस के संक्रमण को बेअसर करने वाले प्रतिरोधी एंटीबॉडीज विकसित हो जाते हैं। जब कोई वायरस किसी व्यक्ति पर हमला करता है तो उसके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज कहे जाने वाले प्रोटीन विकसित करती है। अगर वायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति के ब्लड में पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडीज विकसित होता है तो वह वायरस की वजह से होने वाली बीमारियों से ठीक हो सकता है। कान्वलेसन्ट प्लाज्मा थेरेपी के पीछे का सिद्धांत यह है कि इस तरह की रोग प्रतिरोधक क्षमता ब्लड प्लाज्मा थेरेपी के जरिए एक स्वस्थ व्यक्ति से बीमार व्यक्ति के शरीर में ट्रांसफर की जा सकती है।