विकासनगर (देहरादून)। सरस्वती विद्या मंदिर बाबूगढ़, विकासनगर देहरादून में देहरादून, हरिद्वार एवं उत्तरकाशी के यमुनाघाटी क्षेत्र के सरस्वती शिशु मन्दिरों की तीन दिवसीय प्रधानाचार्य कार्य योजना समीक्षा बैठक आयोजित हुई।
प्रधानाचार्य कार्ययोजना समीक्षा बैठक के उद्घाटन सत्र में शिशु शिक्षा समिति उत्तराखंड के प्रदेश मंत्री डा.अनिल शर्मा ने कार्ययोजना समीक्षा बैठक की प्रस्ताविकी प्रधानाचार्यों के समक्ष रखी ग्यारह सत्रों में चली तीन दिवसीय प्रधानाचार्य कार्ययोजना समीक्षा बैठक में शिशु संख्या वृद्धि, भौतिक संसाधनों के संग्रहण,प्रामाणिक संसाधनों का सम्यक विकास,सूचना प्रौद्योगिकी की से विद्यालयों को जोड़ना आदि अनेक विषयों पर विनोद रावत सह प्रदेश निरीक्षक शिशु शिक्षा समिति उत्तराखंड के मार्गदर्शन में प्रधानाचार्यों के सामने विस्तार से चर्चा हुई।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं विद्या भारती उत्तराखंड के संगठन मंत्री भुवन चन्द्र ने समापन सत्र में प्रधानाचार्यों को समापन सत्र में सम्बोधित करते हुए कहा कि एक विचार एक दृष्टि को लेकर हम सब शिक्षा रुप में साधनारत हैं। विद्यालय में प्रधानाचार्य की वही भूमिका सेना के सेनापति की भूमिका के रूप में रहती है। विद्यालय का प्रधानाचार्य छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए विद्यालय में जिन कार्यक्रमों की योजना बनाता है तथा जिन योजनाओं को वह क्रियान्वित करता है उन कार्यक्रमों की एक समूह में वर्षभर में समीक्षा करना आवश्यक है जिसे पिछले एक माह से छोटे-छोटे समूहों में इस वर्ष से समीक्षा का क्रम बना है।
प्रांत संगठन मंत्री भुवन ने प्रधानाचार्यों से को सम्बोधित करते हुए कहा कि सन् 2025 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सौ वर्ष पूर्ण होने जा रहे हैं जिस पर संघ के सभी अनुसांगिक संगठनों का 2025 के लिए अपनी-अपनी कार्ययोजना के अनुसार एक निर्धारित लक्ष्य निश्चित किया जा रहा है विद्या भारती की सबसे छोटी इकाई विद्यालय है और विद्यालय स्तर पर ही लक्ष्य का निर्धारण करना आवश्यक हो जाता है। हम एक प्रधानाचार्य होने के नाते 2022 में अपने विद्यालय की परिस्थितियों के अनुसार जो भी लक्ष्य निर्धारित करेंगे उसका सन् 2025 में विद्यालय स्तर परिस्थिति के अनुसार कार्य विस्तार देखा जायेगा।
प्रभावी और क्रियाशील शिक्षण पर चर्चा करते हुए प्रांत संगठन मंत्री भुवन चंद्र ने कहा कि वर्तमान दौर शिक्षा के बाजारीकरण के साथ-साथ प्रतिस्पर्धा का दौर भी है। वर्तमान समय में समाज में एक अच्छे विद्यालय के रुप में अडिग हिमालय की तरह खड़ा होने के लिए हमें वर्तमान परिवेश के अनुसार नई-नई शिक्षण पद्धतियां अपनाकर बदले परिवेश के अनुसार हमें भी बदलना होगा तभी हमारे द्वारा किये गये परिणाम परिवर्तनकारी सिद्ध होंगे। तीन दिवसीय प्रधानाचार्य कार्ययोजना समीक्षा बैठक में विभिन्न प्रस्तोता अधिकारियों ने छात्र की सर्वांगीण विकास के अनेक विद्यालयीन भौतिक संसाधनों क्रियाशोध आदि अनेक विषयों पर प्रधानाचार्यों का मार्गदर्शन किया गया।