13 Mar 2025, Thu

ड्रोसोफिला कीट के प्रकोप से कद्दूवर्गीय फसलों को कैसे बचायें

⇒ डा० राजेंद्र कुकसाल।
मोबाइल नंबर-9456590999



द्दू वर्गीय सब्जी (लौकी , कद्दू, खीरा, तोरी,चचिन्डा,मैरो, करैला आदि) की फसलों को फल मक्खी (ड्रोसोफिला कीट) काफी नुकसान पहुंचाती है। इस कीट के प्रकोप से इन सब्जियों के फलों पर धब्बे दिखाई देते हैं। फल बाहर से देखने पर ठीक लगते हैं, किन्तु अंदर से फलों के गूद्दे में छोटे छोटे लार्वा/ मैगैट दिखाई देते हैं ग्रसित स्थान से फल टेडे हो जाते हैं तथा कुछ दिनों बाद फल सड़ कर बेल से असमय गिर जाते हैं।

किसी भी कीट के प्रभावी नियंत्रण के लिए आवश्यक है कि हम उस कीट की प्रकृति, पहिचान, प्रकोप, जीवन चक्र के बारे में जानकारी रखें, तभी कीट का प्रभावकारी नियंत्रण किया जा सकता है। वयस्क फल मक्खी लाल भूरे रंग की, पंख पारदर्शक एवं चमकदार जिन पर पीले भूरे सुनहले रंग की धारियां होती हैं । फल मक्खी (ड्रोसोफिला कीट) का आकार घरेलू मक्खी से कुछ बड़ा होता है।

लौकी के फल पर फल मक्खी का प्रकोप।
लौकी के फल पर फल मक्खी का प्रकोप।

वयस्क मादा फल मक्खी (ड्रोसोफिला कीट) मुलायम फलों की त्वचा में छेद कर अन्दर फल के गूद्दे में अंडे देती है तथा छेद को मटमैले पदार्थ निकाल कर बन्द कर देती है, जिससे फल की त्वचा पर छोटे-छोटे बदरंग धब्बे पड़ जाते हैं। एक वयस्क फल मक्खी 40 फलों को प्रभावित कर सकती है। तीन से पांच दिनों बाद अण्डों से सूण्डियां/ मैगेट निकल कर फलों के गूदे को खाना शुरू कर देती हैं। सूंडियों फल के गूदे को खाकर उसमें सड़न उत्पन्न कर देते हैं जिससे फल खाने योग्य नहीं रहते।

बीस से पच्चीस दिनों बाद ये इल्लियां/ लार्वा भी फलों के डंठल के पास से छेद कर सुशुप्तावस्था में जाने के लिए ज़मीन पर गिरने लगती हैं, जमीन में गिरते ही ये जमीन के अन्दर प्यूपा में रूपांतरित हो जाती है। प्यूपा एक सप्ताह बाद जमीन के अन्दर से वयस्क फल मक्खी बनकर वाहर निकलते हैं तथा अन्य स्वस्थ फलों पर आक्रमण करतें हैं। सामान्य तापमान में फल मक्खी का जीवन काल 50 दिनों का होता है। एक बर्ष में लगभग 5-6 जीवन काल पूरा कर लेती है।

फल मक्खी की रोकथाम-

फल मक्खी के प्रभावी नियंत्रण हेतु कीट की चारौं अवस्थाओं अन्डा, सूंडियों / मैगैट, प्यूपा एवं वयस्क मक्खी को नष्ट करने का प्रयास करना चाहिए।

1. खड़ी फसल की समय-समय पर निगरानी करते रहें। कीट के प्रभाव को कम करने के लिए समस्त गिरे हुए तथा मक्खी के प्रकोप से ग्रसित फलौं को एक पोलीथीन की थैली में इकट्ठा कर गड्ढे में गहरा दबा कर नष्ट कर देना चाहिए।

2. वेलों के आस पास घास इत्यादि है तो उसे अच्छी तरह से साफ करें। इसके बाद वेलों के जड़ वाले स्थान के आस पास निराई गुड़ाई करें। जिससे यदि फल मक्खी या अन्य कीड़े के अंडे और प्यूपा होगें तो वे गहरे गुड़ाई में मर जाएंगे।

3. फ्रुट फ्लाई ट्रेप का प्रयोग करें।

इस ट्रेप में ल्यूर ( गंदपास ) लगता है जिससे मक्खियां विशेष रूप से नर कीट इसकी ओर आकर्षित हो कर इसमें फंस जाते हैं नर कीटों की संख्या कम होने से इनकी वंश वृद्धि नहीं हो पाती।

कास्ट निर्मित योन गंध ट्रैप (मिथाइल यूजिनाल ट्रेप )भी फल मक्खी कीट को नियंत्रण करने का एक प्रभावशाली तरीका है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं राष्ट्रीय कृषि नवोन्मेषी परियोजना के द्वारा विकसित इस ट्रेप के लिए प्लाइवुड के 5x5x1 सेमी. आकार के गुटके को 48 घंटे तक 6:4:1के अनुपात में अल्कोहल, मिथाइल यूजिनाल, मैलाथियान के धोल में भिगो कर लगाते हैं । योन गंध ट्रेप की ओर फल मक्खी के नर कीट आकृषित होते है तथा कीटनाशक के सम्पर्क में आने से मर जाती है। कास्ट निर्मित योन गंध ट्रैप का निर्माण पानी की खाली बोतल ले कर भी स्वयं कर सकते हैं।

ट्रैपों में एक माह के अंतराल पर ल्यूर (गंध पास ) को बदल देना चाहिए। दस वेलों पर 2 ट्रेप का प्रयोग करें। ट्रेप लगाने हेतु आस पास के कृषकों को भी प्रेरित करें जिससे कीट का सामुहिक प्रभावी नियंत्रण किया जा सके।

फल मक्खी ट्रेप /कास्ट निर्मित योन गंध ट्रैप , सम्बन्धित विभागों बीज दवा की दुकानों से या अमेजोन (AMAZON) से भी आनलाइन प्राप्त कर सकते हैं।

4. फल मक्खी ट्रेप का निर्माण स्वयं भी किया जा सकता है।

पानी की बोतल से बने ट्रेप।

प्लास्टिक की पानी की बोतल का 1/4 उपरी हिस्सा काट लें बोतल के अन्दर एक चौथाई भाग में चारा ( BAIT ) भर लें। चारा दो तरह से बना सकते हैं।

(अ). यूरीन ( पेशाब ) बोतल में एक चौथाई भर कर बीस ग्राम देशी गुड़ मिला लें गुड़ मिले इस घोल में मैलाथियान या कोई भी रासायनिक कीटनाशक की कुछ बूंदें डाल लें।

(ब) . खीरा,केला या संतरे के पल्प में शहद तथा थोड़ा पानी मिलाकर इसमें कुछ बूंदें मैलाथियोन या किसी भी रासायनिक कीटनाशक की कुछ बूंदें मिला लें।

पानी की बोतल से बने ट्रेप।

बोतल के कटे ऊपरी भाग से ढक्कन्न हटा कर उलटा कर बोतल में फिट कर लें। इस प्रकार बने इन ट्रेपों को वेलों में फूल आने से एक दो सप्ताह पहले वेलों के पास रखें जिससे फूल खिलते समय चारा सड़ कर महकने लगे तथा फल मक्खी बोतल में रखे चारे की तरफ आकृषित हो सकें। बोतल के निचले शिरे पर छेद कर भी लटकने वाले ट्रेप बनाये जा सकते हैं।

5. नीम आधारित कीटनाशक दवा 5 मिली लीटर प्रति लीटर की दर से पानी में घोल बनाकर फूल आने पर सात दिनों के अन्तराल पर तीन छिड़काव करें। दवा के घोल में सेम्पू,प्रिल या निरमा लिक्यड साबुन मिलाने पर अधिक प्रभावी हो जाता है।

6. इस कीट के नि‍ंयत्रण के लिए विष चुग्गा का प्रयोग करें। एक लीटर पानी में 20 ग्राम देशी गुड़ व 10 मि. ली. मैलाथियान मिलाकर घोल तैयार करें ।इस घोल को डिस्पोजल कप में 50 से 100 मि.लि. भर कर पेड़ों पर लटका दें। फल मक्खी प्यास लगने पर गुड़ मिले पानी को पीने पर मर जाती है।

7. परागण के बाद छोटे फलों को छेद किये पौलीथीन, मसलीन क्लाथ की थैलियां, वटर पेपर या किसी भी आवरण जिसमेें हवा आ-जा सके से कवर कर भी फल मक्खी कीट से बचाया जा सकता है।

8. मैलाथियान 2 मि.लि. दवा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फल आने पर सात दिनों के अन्तराल पर तीन छिड़काव करें। दवा के घोल में 20 ग्राम देशी गुड़ प्रति लीटर की दर से अवश्य मिलाएं।

(लेखक -वरिष्ठ सलाहकार (कृषि /उद्यान) एकीकृत आजीविका सहायता परियोजना (lLSP) एवं सेवा इंटरनेशनल उत्तराखंड)

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