14 Mar 2025, Fri

नई दिल्ली। देश में नाम सम्बोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि सभी को मुफ्त वैक्सीन दी जायेगी और दीपावली तक 80 करोड गरीबों को मुफ्त में राशन दिया जायेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार शाम को देश के नाम संबोधन में दो बड़ी घोषणा की। इसमें कहा कि 21 जून से देश के हर राज्य में 18 वर्ष से ऊपर की उम्र के सभी नागरिकों के लिए, भारत सरकार राज्यों को मुफ्त वैक्सीन मुहैया कराएगी। वैक्सीन निर्माताओं से कुल वैक्सीन उत्पादन का 75 प्रतिशत हिस्सा भारत सरकार खुद ही खरीदकर राज्य सरकारों को मुफ्त देगी। इसके अलावा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को अब दीपावली तक आगे बढ़ाया जाएगा। नवंबर तक 80 करोड़ से अधिक देशवासियों को, हर महीने तय मात्रा में मुफ्त अनाज उपलब्ध होगा। इसका देश में जबरदस्त स्वागत हुआ। पक्ष- विपक्ष सभी ने इस घोषणा का स्वागत किया।

प्रधानमंत्री ने इस महामारी में जान गंवाने वाले लोगों के प्रति शोक व्यक्त किया। इस महामारी को पिछले सौ वर्षों में सबसे बड़ी आपदा बताते हुए, उन्होंने इसे एक ऐसी महामारी के रूप में चिन्हित किया जिसे आधुनिक दुनिया में न तो देखा गया और न ही अनुभव किया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश ने इस महामारी से कई मोर्चों पर लड़ाई लड़ी। श्री मोदी ने कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं।

टीकाकरण की रणनीति पर पुनर्विचार करने और 1 मई से पहले की व्यवस्था को वापस लाने कीकई राज्यों की मांग को देखते हुए, प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि राज्यों के जिम्मे जो 25 प्रतिशत टीकाकरण था, उसे अब भारत सरकार द्वारा करने का निर्णय लिया गया है। इस निर्णय को दो सप्ताह में अमल में ला दिया जाएगा। दो सप्ताह में केन्द्र और राज्य नए दिशानिर्देशों  के मुताबिक जरूरी तैयारियां करेंगे। प्रधानमंत्री ने आगे घोषणा कीकि आगामी 21 जून से, भारत सरकार 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी भारतीय नागरिकों को मुफ्त टीका प्रदान करेगी। भारत सरकार टीके के उत्पादकों के कुल उत्पादन का 75 प्रतिशत खरीदेगी और राज्यों को मुफ्त मुहैया कराएगी। किसी भी राज्य सरकार को टीकों के लिए कुछ भी खर्च नहीं करना होगा। अब तक करोड़ों लोगों को मुफ्त टीका मिल चुका है, अब इसमें 18 वर्ष वाले आयु – वर्गको जोड़ा जाएगा। प्रधानमंत्री ने इस बात को दोहराया कि भारत सरकार सभी नागरिकों को मुफ्त टीके उपलब्ध कराएगी।

श्री मोदी ने बताया कि निजी अस्पतालों द्वारा 25 प्रतिशत टीकों की सीधी खरीदकी व्यवस्था जारी रहेगी। राज्य सरकारें इस बात की निगरानी करेंगी कि निजी अस्पतालों द्वारा टीकों की निर्धारित कीमत पर केवल 150 रुपये का सर्विस चार्ज लिया जाए।

एक अन्य बड़ी घोषणा के तहत, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को दीपावली तक बढ़ाने के निर्णय से अवगत कराया। यानी नवंबर तक, 80 करोड़ लोगों को हर महीने निर्धारित मात्रा में मुफ्त अनाज मिलता रहेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस महामारी के दौरान सरकार गरीबों के साथ उनकी सभी जरूरतों के लिए उनके दोस्त के रूप में खड़ी है।

अप्रैल और मई के महीनों के दौरान इस महामारी की दूसरी लहर के दौरान मेडिकल ऑक्सीजन की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि को याद करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार के सभी तंत्र को तैनात करके इस चुनौती से युद्धस्तर पर निपटा गया। श्री मोदी ने कहा कि भारत के इतिहास में मेडिकल ऑक्सीजन की इतनी मांग पहले कभी नहीं महसूस की गई थी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक स्तर पर, टीके बनाने वाली कंपनियां और देश टीकों की वैश्विक मांग की तुलना में काफी पीछे हैं। ऐसी परिस्थिति में, मेड इन इंडिया टीका भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण था। प्रधानमंत्री ने कहा कि अतीत में, विदेशों में विकसित होने के दशकों बाद भारत को टीके मिलते थे। अतीत में इसका नतीजा हमेशा एक ऐसी स्थिति के रूप में होता था जिसमें भारत में टीकाकरण जहां शुरू भी नहीं होता था,वहीँ अन्य देश टीकाकरण का काम खत्म कर चुके होते थे। श्री मोदी ने कहा कि हमने मिशन मोड में काम करते हुए 5-6 वर्षों में टीकाकरण कवरेज को 60 प्रतिशत से बढ़ाकर 90 प्रतिशत कर दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने न सिर्फ टीकाकरण की गति बढ़ाई, बल्कि उसका दायरा भी बढ़ाया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार भारत ने सभी आशंकाओं को दूर कर दिया और साफ इरादों, स्पष्ट नीति और निरंतर कड़ी मेहनत के जरिए भारत में कोविड के लिए न केवल एक, बल्कि भारत में निर्मित दो टीके लॉन्च किए गए। हमारे वैज्ञानिकों ने अपनी क्षमता साबित की। देश में अब तक टीके की 23 करोड़ से ज्यादा खुराकें दी जा चुकी हैं।

प्रधानमंत्री ने याद किया कि वैक्सीन टास्क फोर्स का गठन उस समय किया गया था जब कोविड -19 केकेवल कुछ हजार मामले ही थे और टीका बनाने वाली कंपनियों को सरकार द्वारा परीक्षण और अनुसंधान एवं विकास के लिए वित्त पोषण में हर संभव तरीके से सहयोग दिया गया। प्रधानमंत्री ने बताया कि अथक प्रयास और कड़ी मेहनत के कारण आने वाले दिनों में टीकों की आपूर्ति बढ़ने वाली है। उन्होंने बताया कि आज सात कंपनियां अलग-अलग तरह के टीके तैयार कर रही हैं। प्रधानमंत्री ने जानकारी दी कि तीन और टीकों का परीक्षण के अग्रिम चरण में है। प्रधानमंत्री ने बच्चों के लिए दो टीकों और एक ‘नाक के जरिए दिए जाने वाले टीके’ के परीक्षण के बारे में भी बताया।

प्रधानमंत्री ने टीकाकरण अभियान के बारे में विभिन्न हलकों की ओर से आने वाले अलग-अलग विचारों पर प्रकाश डाला। ज्योंहि कोरोना के मामले घटने लगे, राज्यों के लिए विकल्प की कमी को लेकर सवाल उठने लगे और कुछ लोगों ने सवाल किया कि केन्द्र सरकार सब कुछ क्यों तय कर रही है। लॉकडाउन में लचीलापन और सभी पर एक ही तरह की बात लागू नहीं होती के तर्क को आगे बढ़ाया गया। श्री मोदी ने कहा कि 16 जनवरी से अप्रैल के अंत तक भारत का टीकाकरण कार्यक्रम ज्यादातर केन्द्र सरकार के अधीन चलाया गया। सभी के लिए नि:शुल्क टीकाकरण का काम आगे बढ़ रहा था और लोग अपनी बारी आने पर टीकाकरण कराने में अनुशासन दिखा रहे थे। इन सबके बीच टीकाकरण के विकेंद्रीकरण की मांग उठाई गई और कुछ आयु वर्ग के लोगों को प्राथमिकता देने के निर्णय की बात उठाई गई। कई तरह के दबाव डाले गए और मीडिया के कुछ हिस्से ने इसे अभियान के रूप में चलाया।

प्रधानमंत्री ने टीकाकरण के खिलाफ अफवाह फैलाने वालों के बारे में आगाह किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे तत्व लोगों की जिंदगी से खेल रहे हैं और इनके खिलाफ सतर्क रहने की जरूरत है।

मोदी ने अपने सम्बोधन में निम्न बातें कहींः-

1- कोरोना की दूसरी लहर में कोविड अस्पताल बनाने से लेकर आईसीयू बेड बढ़ाने तक में देश ने काफी तेज गति से काम किया है। कोविड से लड़ने के लिए बीते सवा साल में एक नया हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है। दूसरी लहर में भारत में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग भी बढ़ी। भारत के इतिहास में इतनी मात्रा में कभी भी जरूरत महसूस नहीं हुई थी। इसे पूरा करने के लिए युद्ध स्तर पर काम किया। ऑक्सीजन एक्सप्रेस, एयरफोर्स, नौसेना की मदद ली गई। आज के समय में दस गुना उत्पादन बढ़ गया है।

2- कोरोना की लड़ाई में दवाइयों की कमी भी देखने को मिली। दुनिया के हर कोने से जो कुछ भी उपलब्ध हो सकता था उसे लाया गया। जरूरी दवाओं के उत्पादन को कई गुना बढ़ाया गया। विदेशों से दवाइयां और इंजेक्शन मंगाई गई।

3- कोरोना जैसे अदृश्य और रूप बदलने वाले दुश्मन के खिलाफ लड़ाई में सबसे बड़ा हथियार कोविड प्रोटोकॉल है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। मास्क लगाए रखें। इस लड़ाई में वैक्सीन सुरक्षा कवच की तरह है।

4- आज पूरे विश्व में वैक्सीन की मांग की तुलना में उत्पादन करने वाले देश और कंपनियां काफी कम हैं। अभी भारत के पास भारत में बनी वैक्सीन नहीं होती तो भारत जैसे विशाल देश में क्या होता। भारत को विदेशों से वैक्सीन प्राप्त करने में दशकों लग जाते थे। विदेशों में वैक्सीन का काम पूरा हो जाता था, तब भी हमारे यहां टीकाकरण शुरू नहीं होता था। पोलियो, चेचक जैसे टीकों के लिए देश ने लंबा इंतजार किया था।

5- भारत में टीकाकरण का कवरेज 2014 में सिर्फ 60 प्रतिशत के आसपास था। यह चिंता की बात थी। जिस रफ्तार से टीकाकरण चल रहा था, 40 साल लग जाते। हमने मिशन इंद्रधनुष लॉन्च किया। इसके जरिए युद्ध स्तर पर वैक्सीनेशन किया जा रहा है। मिशन मोड में काम किया। सिर्फ 5-6 साल में वैक्सीनेशन कवरेज 60 से बढ़कर 90 प्रतिशत से ज्यादा हो गई। हमने टीकाकरण की स्पीड भी बढ़ाई और दयरा भी बढ़ाया।

6- हमने बच्चों को कई जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए कई टीकों को शामिल किया। हमें गरीब के बच्चों की चिंता थी। देश 100 प्रतिशत टीकाकरण की तरफ बढ़ रही था कि कोरोना संक्रमण ने हमें घेर लिया। आशंकाएं घिरने लगीं कि भारत कैसे इससे बच पाएगा।

7- जब नीयत साफ हो, नीति स्पष्ट होती है तो नतीजे मिलते हैं। भारत एक साल के भीतर ही दो मेड इन इंडिया वैक्सीन लॉन्च कर दिया। वैज्ञानिकों ने दिखा दिया कि भारत बड़े-बड़े देशों के पीछे नहीं है। अब तक 23 करोड़ लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है। हमारे प्रयासों से हमें सफलता तब मिलती है जब हमें खुद पर भरोसा होता है। हमें पूरा विश्वास था कि हामारे वैज्ञानिक सफल होंगे। रिसर्च वर्क के दौरान ही दूसरी तैयारियां शुरू कर दी गईं। पिछले साल जब कोरोना के कुछ ही हजार केस थे तभी वैक्सीन टास्क फोर्स का गठन कर दिया था।

8- सरकार ने वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को हर तरीके से सपोर्ट किया। क्लीनिकल ट्रायल और रिचर्स के लिए फंड दिया गया। आत्मनिर्भर भारत के तहत हजारों करोड़ों रुपए उपलब्ध कराए गए। आने वाले दिनों में वैक्सीन की सप्लाई और भी ज्यादा बढ़ने वाली है।

9- आज देश में सात कंपनी विभिन्न वैक्सीन का प्रोडक्शन कर रही हैं। दूसरे देशों से भी वैक्सीन खरीदने की प्रक्रिया तेज किया गया है। बच्चों को लेकर भी चिंता जताई जा रही है। इस दिशा में भी वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है। नेजल वैक्सीन पर भी रिसर्च जारी है। देश को अगर निकट भविष्य में सफलता मिलती है तो भारत के टीकाकरण अभियान में और तेजी आएगी। इतने कम समय में वैक्सीन बनाना पूरी मानवता के लिए बड़ी उपलब्धी है।

10- वैक्सीन बनने के बाद दुनिया के कम ही देशों में टीकाकरण अभियान शुरू हुआ। ॅभ्व् ने टीकाकरण को लेकर गाइडलाइन्स दी। भारत ने भी मानक के आधार पर चरणबद्ध तरीके से वैक्सीनेशन करना तय किया। मुख्यमंत्रियों से मिले सुझाव के बाद ही तय हुआ कि जिन्हें कोरोना से ज्यादा खतरा है उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी।

11- अगर कोरोना की दूसरी लहर से पहले हमारे फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन नहीं दी गई होती तो क्या होता। ज्यादा से ज्यादा हेल्थ वर्कर्स टीकाकरण के कारण ही देशवासियों का जीवन बचा पाए।

12- देश में कम होते कोरोना के मामलों के बीच केंद्र सरकार के पास कई तरह की मांगेे आने लगीे। पूछा जाने लगा कि राज्य सरकारों को क्यों नहीं छूट दी जा रही है। दलील यह दी गई संविधान में हेल्थ राज्य का विषय है। इसलिए अच्छा है कि राज्य ही तय करे। भारत सरकार ने गाइडलाइन्स बनाकर राज्यों को दी। स्थानीय स्तर पर कोरोना कर्फ्यू लगाना हो। कंटेनमेंट जोन बनाना हो। भारत सरकार ने राज्यों के इसके लिए नियम बनाकर दिए।

13- 16 जनवरी से अप्रैल तक भारत सरकार के द्वारा टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा था। कई राज्य सरकारों ने टीकाकरण का काम राज्यों पर छोड़ने के लिए कहा। किसी ने कहा उम्र की सीमा केंद्र ही क्यों तय करे। आवाज उठी कि बुजुर्गों को पहले टीका क्यों दिए जा रहे हैं। काफी चिंता करने के बाद इस बात पर सहमति बनी कि राज्य सरकारों की मांग को देखते हुए 16 जनवरी से चली आ रही व्यवस्था में बदलाव किया गया।

14- 25 प्रतिशत का काम राज्यों को दे दिया जाए। 1 मई से राज्यों को 25 प्रतिशत काम दे दिया गया। इसे पूरा करने के लिए सभी ने प्रयास किए। पूरी दुनिया में वैक्सीन की क्या स्थिति है इससे राज्य परिचित हुए। राज्य सरकारें कहने लगीं की पहली व्यवस्था ही अच्छी थी। राज्यों के मन बदलने लगे। राज्यों की इस मांग पर हमने सोचा कि देशवासियों को तकलीफ ना हो। इसके लिए एक मई के पहले वाली व्यवस्था को फिर से लागू किया जाए।

15- आज यह निर्णय लिया गया है कि राज्यों के पास वैक्सीनेशन से जुड़ी 25 प्रतिशत जिम्मेदारी भी केंद्र सरकार उठाएगी। अगले दो सप्ताह में केंद्र और राज्य सरकार मिलकर गाइडलाइन्स तय कर लेगी। 21 जून से 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए भारत सरकार राज्यों को मुफ्त वैक्सीन देगी। देश के किसी भी राज्य सरकार को वैक्सीन पर कुछ भी खर्च नहीं होगा। अब 18 साल से अधिक उम्र के लोग भी इसमें जुड़ जाएंगे।

16- आज सरकार ने फैसला लिया है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को अब दीपावली तक आगे बढ़ाया जाएगा। महामारी के इस समय में, सरकार गरीब की हर जरूरत के साथ, उसका साथी बनकर खड़ी है। यानी नवंबर तक 80 करोड़ से अधिक देशवासियों को, हर महीने तय मात्रा में मुफ्त अनाज उपलब्ध होगा

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