कमल किशोर डुकलान ‘सरल’ रुड़की,हरिद्वार (उत्तराखंड)
देवता और दानवों द्वारा समुद्र-मंन्थन के समय भगवान विष्णु के अंशावतार भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। भारतीय संस्कृति में मनुष्य जन्म के बाद स्वास्थ्य को स्थान धन से ऊपर माना जाता रहा है। ‘पहला सुख निरोगी काया,दूजा सुख घर में माया’ यह कहावत आज भी प्रचलित है। पांच दिवसीय दीपोत्सव में धनतेरस को महत्व दिया गया है। जो भारतीय संस्कृति के हिसाब से बिल्कुल अनुकूल है। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु ने संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए धन्वंतरि का अवतार लिया था।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी कुबेर और गणेश जी की पूजा आराधना का विधान है। मान्यता है कि ऐसा करने से देवता प्रसन्न होते हैं घर में धन वैभव और सुख समृद्धि की वृद्धि होती है। आज हम आपको बताएंगे कि क्यों मनाया जाता है धनतेरस? इस दिन किस बर्तन को खरीदना होता है बेहद शुभ तो चलिए जानते हैं।
कब है धनतेरस?
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 10 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर हो रहा है. यह तिथि 11 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 57 मिनट तक मान्य है. ऐसे में प्रदोष काल 10 नवंबर को शुरू हो रहा है, इसलिए इस वर्ष धनतेरस 10 नवंबर दिन शुक्रवार को है।
भगवान धनवंतरी को स्वास्थ्य के देवता का माना जाता है। भगवान धन्वंतरि आरोग्य, सेहत, आयु और तेज के आराध्य देवता हैं। भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद जगत के प्रणेता तथा वैद्यक शास्त्र के देवता माने जाते हैं। हमारे वेद पुराणों में आयुर्वेदावतरण के प्रसंग में भगवान धन्वंतरि का विशेष उल्लेख मिलता है।
भगवान ब्रह्मा द्वारा सृष्टि के सृजन के बाद प्रकृति में उत्पन्न जब इंसान को दवाओं की समझ नहीं थी तब रोगों का उपचार आयुर्वेद के माध्यम से ही किया जाता था और इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता है इसलिए इसकी महत्वता है। लंका में लक्ष्मण मेघनाद युद्ध में जब लक्ष्मण मूर्छित हो गये थे तब लंका में सुशेन वैद्य नाम आयुर्वेदाचार्य ने ही जड़ी बूटियों द्वारा ही लक्ष्मण की मूर्छा अवस्था को ठीक किया था।
विश्व स्तर पर चिकित्सा के सबसे प्राचीन और समग्र दृष्टिकोणों में से एक के रूप में आयुर्वेद को बढ़ावा देने और मानव जाति,पशु-पक्षियों पेड़-पौधों एवं पर्यावरण कल्याण के लिए के उद्देश्य से भारत सरकार ने सन् 2016 से धनवंतरी जयन्ती को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।