प्रो0 विश्वास का नाम किसी के लिए भी नया नहीं था। वह इतिहास के प्रोफेसर थे और अपने विषय में पारंगत थे। प्रो0 साहब को चित्रकला का बहुत शौक था। अपना बचा हुआ समय वो चित्रकला में ही व्यतीत करते थे। दो बेटे थे प्रो0 विश्वास के। वह दोनों प्रोफेसर की तरह नाम नहीं कमा पाये थे। प्रो0 विश्वास की पत्नी डा0 शोभा भी प्रवक्ता थी। शोभा सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहती थी। पति-पत्नी के बीच रिश्ते बहुत मजबूत थे।
एक दिन शोभा को अचानक चक्कर आ गया और वह धड़ाम कर फर्श पर गिर गयी। उस समय घर में प्रो0 विश्वास तथा शोभा ही थे। प्रो0 विश्वास ने शोभा को उठाकर पलंग पर रखा और पानी पिलाया। शोभा के अचानक बेहोश होने से प्रो0 विश्वास के माथे पर पसीना आ गया। स्थिति को सम्भालते हुए प्रो0 विश्वास ने शोभा से बात की और अपने डाक्टर को फोन किया। डाक्टर आधे घण्टे बाद घर पर पहुंचे। डाक्टर ने शोभा के स्वास्थ्य का परीक्षण किया और कुछ दवाईयां लिख दी। शोभा ने डाक्टर के जाने के बाद प्रो0 विश्वास से पूछा ‘‘क्या बोले डाक्टर’’ प्रो0 विश्वास ने गहरी सांस लेते हुए कहा ‘‘कुछ नहीं। कुछ टेस्ट लिखें हैं और दवा भी लिख दी है। तुम चिन्ता मत करो। कोई खास बात नहीं है। तुम आराम करो।’’ अपनी बात पूरा कर प्रो0 विश्वास अपने बड़े बेटे को फोन करने लगे। प्रो0 विश्वास ने पूरा घटनाक्रम बताया। कुछ देर में प्रो0 विश्वास का बड़ा बेटा घर आ गया। प्रो0 विश्वास शोभा को लेकर टेस्ट करवाने निकल गये। तीन दिन बाद रिपोर्ट आयी। प्रो0 विश्वास रिपोर्ट लेकर डाक्टर के पास चले गये। डाक्टर ने रिपोर्ट देखी और बोले ‘‘एक और जांच करवानी पड़ेगी।’’ प्रो0 विश्वास ने पूछा ‘‘डाक्टर साहब क्या बात है।’’ डाक्टर ने कहा ‘‘कुछ कैंसर की जैसी शिकायत लग रही है। पर दूसरी जांच के बाद ही साफ हो पायेगा।’’ प्रो0 विश्वास डाक्टर की बात सुनकर कुछ देर के लिए शांत हो गये। फिर पर्चा उठाकर चल दिये। घर पहंुचने पर शोभा बोली ‘‘क्या कहा डाक्टर ने’’। प्रो0 विश्वास ने शोभा को पूरी बात नहीं बताई और बोले ‘‘डाक्टर ने एक ओर जांच लिख दी है।’’ शोभा ने प्रो0 विश्वास से फिर प्रश्न किया ‘‘कौन सी जांच ?’’ प्रो0 विश्वास ने शोभा की ओर देखकर बोला ‘‘कुछ नहीं।’’ डाक्टर साहब कह रहे हैं कि ‘‘कुछ इन्फेक्शन है। सो उसी की जांच है।’’
प्रो0 विश्वास पूरी रात करवटें बदलते रहे। उन्होंने कैंसर वाली बात किसी से नहीं बतायी। किसी तरह सोने के बाद वो प्रातः जल्दी उठ गये। शोभा को लेकर फिर जांच करवाने गये। जांच की रिपोर्ट चार दिन बाद आयी। रिपोर्ट डाक्टर ने देखी। डाक्टर को जिसका अंदेशा था, वहीं रिपोर्ट में आयी। शोभा से रहा नहीं गया। वह डाक्टर से पूछने लगी ‘‘डाक्टर साहब क्या बीमारी है मुझे ?’’ डाक्टर साहब बोले आपको कैंसर की शिकायत है। डाक्टर की बात सुनकर शोभा के पैर के नीचे की जमीन खिसक गयी। प्रो0 विश्वास ने शोभा को सम्भालते हुए कहा ‘‘डाक्टर साहब अब आगे क्या इलाज करना है।’’ डाक्टर बोला आपको किसी कैंसर विशेषज्ञ डाक्टर की सलाह लेनी होगी और आगे क्या करना होगा यह भी वही बतायेंगे।’’ प्रो0 विश्वास शोभा को लेकर घर आ गये। शोभा घर आते ही बिस्तर पर लेट गयी। प्रो0 विश्वास यह सोच रहे थे कि अब आगे क्या करें। प्रो0 विश्वास ने अपने कई परिचितों से फोन कर सलाह ली। तो उनके एक साथी ने शहर के बाहर एक डाक्टर के बारे में बताया। उस डाक्टर ने एक सप्ताह बाद का समय दिया। पर शोभा के मन की स्थिति को देखकर प्रो0 विश्वास बहुत चिन्तित हो गये। उन्होंने पहले शोभा को इतना विचलित होते हुए नहीं देखा था। शोभा एक मजबूत दिल की महिला थीं और समाज में कई लोगों के लिए एक आदर्श भी।
सायं होते ही प्रो0 विश्वास के दोनों बेटे घर आ गये। कैंसर बीमारी का नाम सुनते ही वह दोनों भी निराश हो गये। पर प्रो0 विश्वास ने अपने मन में निराशा नहीं आने दी और वह हर समय शोभा को हिम्मत देते रहते। शोभा भी धीरे-धीरे सामान्य होने लग गयी। एक सप्ताह बाद दोनों शहर से बाहर डाक्टर के पास चले गये। डाक्टर ने सारी रिपोर्ट देखी और फिर एक ओर जांच करवाई। जांच की रिपोर्ट के बाद डाक्टर ने शोभा को दवाईयां लिखी और आवश्यक परहेज बताये। शोभा की बीमारी के बाद प्रो0 विश्वास का पूरा ध्यान शोभा पर ही चला गया। वो शोभा को हमेशा सकारात्मक रहने के लिए कहते और घर का वातावारण भी हंसी-खुशी का बनाये रखने का प्रयास करते।
एक बार मैं प्रो0 विश्वास को मिलने गया। वो बाहर वाले कमरे में कैन्वास पर बहुत सुन्दर फूलों का चित्र उकेर रहे थे और उनमें बहुत अच्छे रंग भी भर रहे थे। मैंने जब शोभा भाभी को कैंसर होने की बात सुनी तो मैं भी चौंक गया कि हमेशा इतनी सक्रिय और सबको प्रेरणा देने वाली महिला के साथ ऐसा हो गया। प्रो0 विश्वास से बातें करते-करते एक घण्टा कब बीत गया, पता ही नहीं चला। मैंने प्रो0 विश्वास से पूछा ‘‘आप इतनी परेशानी के बाद भी बड़े आराम से चित्र बना रहे हैं और उनमें तरह-तरह के बढ़िया रंग भर रहे हैं। आखिर आप इतने सहज कैसे रहते हैं।’’ मेरी बात सुनकर प्रो0 विश्वास बोले ‘‘जिस तरह ये रंग हैं, उसी तरह जीवन के भी रंग होते हैं। हर रंग का अपना महत्व है। उसी प्रकार जीवन में दुख-सुख का भी अपना महत्व है। जीवन में हमेशा सुख नहीं रहता है और हमेशा दुख नहीं रहता है। इसलिए विभिन्न रंगों की तरह ही जीवन में सुख-दुख के भी रंग हैं। किसी एक ही रंग से कोई चित्र सुन्दर नहीं बनता है। उसके लिए बहुत से रंगों की आवश्यकता होती है। उसी प्रकार दुख और सुख भी जीवन के कैन्वास के रंग हैं। प्रो0 विश्वास बोले ‘‘हमेशा सकारात्मक सोचो, तभी तुम्हें बुरी से बुरी स्थिति में जीना आयेगा।’’ मुझे प्रो0 विश्वास की चित्रकारी एक शौक ही लगती थी, किन्तु प्रो0 विश्वास की बातें सुनकर लगा कि प्रो0 विश्वास केवल चित्रकारी ही नहीं करते हैं। वरन् इन रंगों को भी जीवन से जोड़कर जीते हैं।