देहरादून।  हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर में चार माह पूर्व विभिन्न विभागों में शिक्षकों के पदों पर हुई नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए न्यायिक जांच की मांग की गयी है। बद्रीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट ने बयान जारी कर कहा कि गढ़वाल विश्वविद्यालय में सूचना के अधिकार का पत्रावली में छेड़छाड़ और फेरबदल के आरोप लगाकर विद्यालय के लोक सूचना अधिकारी को पहले हटाना और उसके बाद दो अन्य कर्मचारियों को दंडित करना, इन नियुक्तियों पर और भी प्रश्नचिन्ह लगा देते हैं। विधायक भट्ट ने कहा कि सूचना के अधिकार में किसी भी व्यक्ति द्वारा विश्वविद्यालय से इससे पहले मांगी गई सभी सूचनाओं पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में विश्विद्यालय के कुल सचिव तथा कुलपति द्वारा कर्मचारियों की विभागों में नियुक्तियां होती है, अगर केंद्रीय विश्वविद्यालय में सूचनाएं फेरबदल की जाती गयी तो यह जांच का विषय बन जाता है। विधायक भट्ट ने कहा कि अगर एक सूचना तथ्यों पर आधारित नहींं है और अगर अन्य छात्रों के द्वारा भी सूचनाएं मांगी जाती गयी हो और उन सूचनाओं को भी कुलपति तथा कुल सचिव अपने मन माफिक नहींं मानते तो सभी नियुक्तियों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो जाता है। उन्होंने सभी नियुक्तियों की न्यायिक जाँच करने की मांग की।उन्होंने आरोप लगाया कि छोटे कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाकर तथ्यों को छुपाने का प्रयास किया जा रहा है।

 

बता दें हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रशासन के शैक्षणिक के अनुभाग अधिकारी और एलडीसी को नियुक्ति संबंधी पत्रावलियों को रखने में लापरवाही तथा पत्रावलियों से छेड़छाड़ करने के मामले में निलंबित किया गया है। इस मामले की जांच के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रोफेसर इंदु खण्डूड़ी की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी का भी गठन किया है। गढ़वाल विश्वविद्यालय में 4  माह पूर्व विभिन्न विभागों के शिक्षकों के पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया की गई, लेकिन इतिहास विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर चयन का मामले को उच्च न्यायालय नैनीताल में  चुनौती दी गई। इस मामले में अभ्यर्थी जसपाल सिंह खत्री ने चयन के मानकों में गड़बड़ी किए जाने के आरोप भी लगाए।  चयनित किए गए अभ्यर्थी ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और सामान्य वर्ग में आवेदन किया था। इनके आवेदन के प्रपत्र में ओवरराइटिंग पाई गई, जिससे पत्रावली के साथ छेड़छाड़ बहुत फेरबदल मानते हुए प्रारंभिक जांच के आधार पर कार्यालय अधीक्षक और एलडीसी क्लर्क को निलंबित किया गया। जसपाल सिंह खत्री ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत दस्तावेज विश्वविद्यालय से मांगे तथा मामले को उच्च न्यायालय नैनीताल में चुनौती दी।

अभ्यर्थी जसपाल खत्री ने कहा कि असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर डॉक्टर नागेंद्र सिंह रावत का चयन अनारक्षित पद पर हुआ है  जबकि नागेंद्र सिंह रावत ने इस पद के लिए नहीं बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर यानी ईडब्ल्यूएस पद हेतु आवेदन किया था तथा इसी पद हेतु साक्षात्कार दिया था। श्री खत्री के आवेदन पत्र को स्क्रीनिंग कमेटी ने जांच के उपरांत सही माना है।  डॉ नागेंद्र के आवेदन को इस पद हेतु योग्य नहीं पाया, क्योंकि इनका स्नातकोत्तर इतिहास विषय से नहीं है, बल्कि प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व में एमए और पीएचडी उपाधि हैं, स्क्रीनिंग कमेटी ने पुरातत्व विषय वाले अभ्यर्थियों को अयोग्य माना था।  हाईकोर्ट नैनीताल ने केंद्र सरकार, केंद्रीय विश्वविद्यालय गढ़वाल तथा प्रतिवादी नागेंद्र सिंह रावत से जवाबदावा प्रस्तुत करने के लिए आदेश दिए हैं।