जयपुर । राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा सामाजिक विज्ञान की पुस्तक में उदयसिंह, महाराणा प्रताप व विनायक दमोदर सावरकर के अलावा रानी पद्मिनी के बारे में भी भ्रामक तथ्य जोड़े गए हैं। इसके विरोध में सर्वसमाज के लोग एकजुटता के साथ आगे आए हैं तथा सरकार से मांग की है कि महापुरूषों के गौरवशाली अतीत में मनगढंत छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पुस्तक में वामपंथी साहित्यकार मलिक मोहम्मद जायसी की कपोल कल्पनाओं को इतिहास बनाकर प्रकाशित किया गया है। इसका अब चहुंओर विरोध देखने को मिल रहा है।
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं की सामाजिक विज्ञान की पुस्तक केदूसरे पाठ ‘संघर्षकालीन भारत’ में संशोधन करते हुए लिखा गया है कि महाराणा प्रताप में धैर्य, संयम और योजना का अभाव था। प्रताप की सेना मैदान में लडऩे के लिए सक्षम नहीं थी। रानी पद्मिनी के संदर्भ में कई गलत तथ्य जोड़े गए हैं। इसके अलावा भारत के विश्व गुरू व सोने की चिडिय़ा होने पर आपत्ति जताई गई है तथा वसुधैव कुटुम्बकम व सर्वे भवन्तु सुखिन: के कल्याणकारी मंत्र को भी हटा दिया गया है। शिक्षा विभाग द्वारा साहित्यकार जायसी की कल्पित बातों को बतौर इतिहास दर्शाने से समाज में रोष व्याप्त है। कई संगठनों के माध्यम से लोगों ने पाठ्यक्रम में जोड़ी गई कल्पित बातों को नहीं हटाने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।