लेह(लद्दाख)। गर्व और देशभक्ति, भारतीयता की सामूहिक भावना तथा खादी की विरासत शिल्प कला ने खादी सूती कपड़े से बने विश्व के सबसे बड़े राष्ट्रीय ध्वज को आज लेह में सलामी देने के लिए पूरे देश को एक सूत्र में बांध दिया। खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने महात्मा गांधी को सर्वोच्च सम्मान देने के लिए स्मारक खादी राष्ट्रीय ध्वज तैयार किया है, जिन्होंने दुनिया को पर्यावरण के सबसे अनुकूल कपड़ा खादी हमें उपहार में दिया था। ध्वज का अनावरण लद्दाख के उपराज्यपाल श्री आर के माथुर ने किया।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि स्मारकीय राष्ट्रीय ध्वज प्रत्येक भारतीय को देशभक्ति की भावना से बांधेगा। अनावरण के मौके पर केवीआईसी के अध्यक्ष श्री विनय कुमार सक्सेना, लद्दाख के सांसद श्री जे टी नामग्याल और थल सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे उपस्थित थे। स्मारकीय राष्ट्रीय ध्वज 225 फीट लंबा, 150 फीट चौड़ा है और इसका भार (लगभग) 1400 किलोग्राम है। इस स्मारकीय राष्ट्रीय ध्वज को बनाने के लिए खादी कारीगरों और संबद्ध श्रमिकों ने लगभग 3500 घंटे का अतिरिक्त कार्य किया है। झंडा बनाने में हाथ से काते एवं हाथ से ही बुने हुए खादी कॉटन ध्वज पट्ट का उपयोग किया गया है जिसकी लंबाई काफी ज्यादा 4600 मीटर है, जो हैरान कर देने वाली है। यह 33,750 वर्ग फुट के कुल क्षेत्रफल को कवर करता है। ध्वज में अशोक चक्र का व्यास 30 फीट है और इस झंडे को तैयार करने में 70 खादी कारीगरों को 49 दिन लगे थे।

केवीआईसी ने स्वतंत्रता के 75 वर्ष होने पर “आजादी का अमृत महोत्सव” मनाने के लिए ध्वज की अवधारणा और तैयारी की है। चूंकि, इस परिमाप के राष्ट्रीय ध्वज को संभालने और प्रदर्शित करने के लिए अत्यंत सावधानी तथा सटीकता की आवश्यकता होती है, इसलिए केवीआईसी ने यह ध्वज भारतीय सेना को सौंप दिया है। सेना ने मुख्य लेह शहर में एक पहाड़ी की चोटी पर झंडा प्रदर्शित किया है और इसके लिए एक विशेष फ्रेम तैयार किया गया है ताकि वह जमीन को न छुए।

ध्वज को 9 बराबर भागों में विभाजित किया गया है, हरेक का वजन 100 किलो है और प्रत्येक हिस्से की माप 50 x 75 फीट है। इसके चारों तरफ नेफा दिया गया है, जिसमें 12 एमएम की रस्सी भी है। लगभग 3000 किलोग्राम की ब्रेकिंग लोड क्षमता के साथ कुल 12 उच्च गुणवत्ता वाली नायलॉन की रस्सियां – यानी ऊपर और नीचे की तरफ 3 रस्सियां तथा बाएं व दाएं तरफ 3 रस्सियां प्रदान की गई हैं।

इसके अलावा, प्रत्येक रस्सी के दोनों सिरों पर एक लूप होता है जो सामूहिक रूप से ध्वज का भार वहन कर सकता है। झंडे को बनाने के लिए इन हिस्सों को एक साथ सिला गया है और जोड़ों को इस तरह से मिलाया गया है कि नेफा के अंदर की रस्सियां अदृश्य रहेंगी। नेफा की अंदरूनी परत रासायनिक तरीके से लेपित खादी बंटिंग से बनी होती है, जो रस्सियों से घर्षण को कम करती है और ध्वज के कपड़े को नुकसान से बचाती हैं। झंडे के रंगों के साथ विलय करने के लिए नेफा भी तीन रंगों में दिया गया है।