नई दिल्ली। आईआईटी मुंबई के तत्वावधान में देश के प्रथम शिक्षा मंत्री भारत रत्न डॉ. मौलाना अबुल कलाम के जन्मदिन ‘शिक्षा दिवस’ के सुअवसर पर नई शिक्षा नीति (#NEP2020) पर आयोजित कार्यशाला में केन्द्रीय शिक्षा मंत्री डाँ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि नई शिक्षा नीति ‘जय अनुसंधान’ की सोच के साथ ज्ञान-विज्ञान-अनुसंधान के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। आईआईटी मुंबई सहित तमाम शैक्षिक संस्थान रिसर्च तथा इनोवेशन के क्षेत्र में पूर्ण समर्पण के साथ कार्यरत हैं।
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति ‘कैरेक्टर बिल्डिंग’ से लेकर ‘नेशन बिल्डिंग’ तक भारतीय मूल्यों पर आधारित है, जिसमें इंडियन, इंटरनेशनल, इंपैक्टफुल, इंटरएक्टिव और इंक्लूसिव के तत्वों का एक साथ सम्मिलन हुआ है। इस नीति में हर भारतीय की आकांक्षाएं हैं, स्वप्न हैं और एक दूरगामी सोच है जो हिंदुस्तान को विश्व पटल पर ‘ज्ञान की महाशक्ति’ के रूप में स्थापित करेगा।
आईआईटी मुंबई ‘ज्ञानम परमम ध्येयम’ के सूत्र वाक्य के साथ ज्ञानार्जन के प्रत्येक क्षेत्र में क्रियाशील है। यही वजह है कि संस्थान को NIRF-2020 रैंकिंग में ओवरऑल कैटेगरी में चौथा स्थान तथा ARIIA -2020 की रैंकिंग में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। साथ ही इसे टॉप एकेडमिक इंस्टीट्यूशन के रूप में राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अवार्ड्- 2019 से भी सम्मानित किया गया है। 34 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद नई शिक्षा नीति को ग्राम पंचायत से लेकर संसद तक, शिक्षक से लेकर शिक्षाविद तक, छात्र से लेकर अभिभावक तक एक ‘अद्भुत स्वीकार्यता’ मिली है, जो इसे 21वीं सदी के नए भारत के ‘विजन डॉक्यूमेंट’ के रूप में स्थापित करती है। इस अवसर पर नई शिक्षा नीति के वास्तुकार पद्म विभूषण डॉ.के कस्तूरीरंगन एवं अन्य गणमान्य शिक्षाविदों ने विचार व्यक्त किये।