नई दिल्ली। केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों के आय के स्रोतों पर अंकुश लगा रही है. उनके अवैध आय के स्रोतों को एक-एक कर बंद किया जा रहा है. इसी क्रम में अलगावादियों को बड़ा झटका लगा है. अब अलगाववादियों को पाकिस्तान या फिर पीओजेकेएल (पाक अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में छात्रों को भेजने पर पैसे नहीं मिल पाएंगे. कई अलगाववादी नेता छात्रों को मेडिकल की पढ़ाई के लिए सीमा पार भेजते हैं. अब मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) की तरफ से आदेश जारी किया गया है. इन संस्थानों से अध्ययन करने वालों को भारत में काम करने की अनुमति नहीं होगी और डिग्री को अवैध माना जाएगा.
हर साल कश्मीर के सैकड़ों छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए सीमा पार जाते हैं. इन कॉलेजों में कश्मीर का कोटा भी रखा जाता है. लेकिन अब एमसीआई की तरफ से आदेश जारी किया गया है, जिससे अब ऐसा नहीं होगा. इसे लेकर केन्द्र सरकार सख्त है. वैसे भी भारत सरकार की तरफ से अलगाववादियों पर सख्त रुख है. उनकी सुरक्षा में कटौती की गई है. वहीं देश के खिलाफ बोलने वालों को नजरबंद किया गया है. केंद्र शासित राज्य (यूटी) बनने के बाद से लगातार अलगावादियों की कमर तोड़ी जा रही है.
क्या है पूरा खेल
अलगाववादियों की तरफ से बच्चों को पढ़ाई के लिए सीमा पार भेजा जाता है. वह पूरे वीजा के साथ दूसरी तरफ जाते हैं. इसके लिए अलगाववादियों की सिफारिश का होना जरूरी होता है. अलगाववादियों की तरफ से छात्रों को एक पत्र दिया जाता है. फिर उनकी सिफारिश पर सीमा पार के कॉलेजों में बच्चों को प्रवेश मिलता है. इसके लिए प्रति छात्र अलगाववादियों को पैसे मिलते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार प्रति छात्र लाखों रुपये दिए जाते हैं.
एनआईए भी कर रही जांच
एनआईए भी इस मामले की जांच कर रही है. जब एनआईए की तरफ से टेरर फंडिंग मामलों की जांच शुरू की गई तो यह बात सामने आई थी कि बच्चों को दूसरी तरफ पढ़ाई के लिए भेजने पर सिफारिश करने के नाम पर अलगाववादी नेताओं को पैसे मिलते है. जिसके बाद इस मामले में छानबीन की गई. सूत्रों का कहना है कि अभी तक सीमा पार से काफी पैसे आ चुके हैं.
जेके यूटी, लद्दाख यूटी भारत का हिस्सा
आदेश में कहा गया कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख यूटी भारत का हिस्सा हैं, इसलिए भारत का कानून लागू होता है. जिन देश के कॉलेजों को भारत की तरफ से अनुमति नहीं है, वहां के बच्चे पढ़ाई नहीं कर सकते हैं और वहां की डिग्री भारत में मान्य नहीं होगी.
बताया गया कि यूटी बनने से पहले जो छात्र सीमा पार से मेडिकल की पढ़ाई करके आए हैं, उन्हें भी इस आदेश से झटका लगेगा. इसमें कई ऐसे भी होंगे जो इस डिग्री पर सरकारी नौकरी कर रहे हैं. उनकी पहचान करने का काम शुरू कर दिया गया है. देशभर के कई राज्यों और कश्मीर में इस समय सीमा पार की डिग्री से डॉक्टर सरकारी या फिर प्राइवेट नौकरी के अलावा अपने क्लीनिक भी चला रहे हैं. उन सभी पर खतरा है.
लगभग तीस साल से चल रहा है काम
बताया गया कि करीब तीस साल से बच्चे डिग्री हासिल करने के लिए सीमा पार जा रहे हैं. करीब दस साल पहले सीमा पार के कॉलेजों में इस तरफ के बच्चों के लिए सीटें रखने का नियम भी बना दिया गया. हर साल इस तरफ के बच्चों के लिए सीटों को छोड़ दिया जाता है.
पूरी सोची-समझी साजिश के तहत खेल चलाया जा रहा है. पीओजेकेएल के कॉलेजों में बच्चों को पढ़ाकर उस तरफ की सरकार यह साबित करना चाहती है कि पीओजेकेएल उनका है. इसलिए बच्चे यहां पर पढ़ाई करने के लिए आ रहे हैं और उनके लिए सीटें छोड़ी जाती हैं.