देहरादून। अधिवक्ता परिषद उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के तत्वावधान में शनिवार को किराया कानून को लेकर ऑनलाइन वी0के0एस0 चौधरी स्मृति व्याख्यान माला /संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें न्यायमूर्ति राजेश टंडन ने किराया कानून के उद्देश्य एवं उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मकान मालिक की आवश्यकता को देखते हुए उसके मकान को किरायेदार से खाली कराने के आदेश न्यायालय को पारित करने चाहिए। मकान मालिक के मकान की आवश्यता चाहे उसको खुद को रहने की है या उसमेंं किसी व्यवसाय करने की यह उसकी जरूरत की आवश्यकता पर निर्भर है, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने बेगाबेगम के केस में स्पष्ट किया है। मकान मालिक की आवश्यकता को नकार कर किरायेदार को लाभ नहींं दिया जा सकता है। जब किरायेदार मकान मालिक के मकान या दुकान का किराया समय पर अदा नहींं करता है, तो मकानमालिक को विशिष्ट अनुतोष अधिनियम की धारा 21(8) के अंतर्गत उस किराये को न्यायालय के माध्यम से प्राप्त कर सकता है। जब किरायेदार ने किराए के मकान दुकान को अपने आराम का साधन मानते हुए मकान मालिक को परेशान व उसका उत्पीड़न करने लगे तो सरकार द्वारा किराया कानून लागू किया जो कि दोनोंं के ही हित में था। इस कानून से सम्बंधित अनेकोंं सिद्धांत उच्चतम न्यायालय द्वारा समय समय पर प्रतिपादित किये है, जिसमेंं मकान मालिक के हितों के साथ-साथ किरायेदार के हितों का भी ध्यान रखा गया है। अधिकतर किरायेदारी इकरारनामें के रूप में ग्यारह महीने के लिए तय की जाती है जो कि समय समय पर आगे बढ़ती है।
कार्यक्रम का संचालन हरिद्वार की हिमानी वोहरा एडवोकेट ने किया। अधिवक्ता परिषद के प्रान्त अध्यक्ष जानकी सूर्य ने आभार व्यक्त किया।
अधिवक्ता परिषद उत्तराखंड के महामंत्री श्री अनुज शर्मा ने बताया कि अधिवक्ता परिषद के तत्वाधान में कानून संबंधी समस्त विषयों पर संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है, जो जनसाधारण को कानून के बारे में जन जागरण करने का प्रयास कर रहा है। श्री अनुज शर्मा ने बताया कि आगामी दिवसों में इस प्रकार की कई ऑनलाइन गोष्ठियों का आयोजन अधिवक्ता परिषद उत्तराखंड करेगा। इस अवसर पर संजय जैन, पंकज पुरोहित, भास्कर जोशी, तेजेंद्र गर्ग, विपिन त्यागी तथा योगेश शर्मा उपस्थित रहे।