डॉ0 ’निशंक’ ने किया डॉ0 बर्त्वाल के हिन्दी कथा संग्रह का विमोचन
नई दिल्ली। पूर्व केन्द्रीय शिक्षा मंत्री और वर्तमान में हरिद्वार सांसद डॉ0 रमेश पोखरियाल ’निशंक’ ने प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ0 वीरेन्द्र सिंह बर्त्वाल के कथा संग्रह ’फागुणी’ का विमोचन किया। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के जनकपुरी स्थित मुख्यालय में शिक्षक पर्व कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित इस विमोचन समारोह में डॉ0 निशंक ने इस कथा संग्रह को पहाड़ की संस्कृति, भावनाओं और परिस्थितियों का जीवन्त दस्तावेज बताते हुए कहा कि इनमें पहाड़ की समस्याओं का सांगोपांग रेखांकन किए जाने के साथ ही समाज में व्याप्त अंधविश्वास का तीखा विरोध किया गया है। उन्होंने कहा कि कहानी विधा हिन्दी की महत्त्वपूर्ण विधा है। फागुणी की कहानियां कहानी तत्त्वों के आधार पर पूरी तरह खरी उतरती हैं। डॉ0 ’निशंक’ ने कहा कि आज शिक्षक समाज से लेखन क्षेत्र में बहुत कुछ करने की अपेक्षा है। रचनात्मकता के साथ ही विज्ञान, शास्त्र, समाजशास्त्र, सूचना प्रौद्योगिकी में ऐसे शोधों की आवश्यकता है, जो राष्ट्र और समाज के लिए उपयोगी हों। उन्होंने प्रसन्नता जताई कि नई शिक्षा नीति पर क्रियान्वयन होने लगा है और धीरे-धीरे यह नीति हमारे देश की तस्वीर बदल देगी। उन्होंने केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय को संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार और संरक्षण का मजबूत स्तंभ बताते हुए कहा कि अब पूरी दुनिया संस्कृत को अपनाने को आतुर है।
केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 श्री निवास वरखेड़ी ने कहा कि डॉ0 बर्त्वाल ने पहाड़ के परिवेश पर आठ कहानियों की रचना कर अपनी मातृभूमि के ऋण से उऋण होने का पुण्य कार्य किया है। उन्होंने कहा कि शिक्षक दिवस के अंतर्गत चल रहे कार्यक्रमों की कड़ी में आयोजित शिक्षक पर्व पर हमारे शिक्षक के कथा संग्रह का विमोचन होना हमारे विश्वविद्यालय के लिए भी गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि हमारा ध्येय है कि विश्वविद्यालय के प्राध्यापक शिक्षण के साथ ही रचनाधर्मिता में भी परिश्रम कर अपना और विश्वविद्यालय का नाम ऊंचा करें।
उन्होंने कहा कि दो साल में हमारा विश्वविद्यालय देश और दुनिया में हर मामले में विशिष्ट पहचान बना देगा। इसके लिए हम अनेक प्रयोग और परिश्रम के साथ कार्य करने में लगे हुए हैं। विश्वविद्यालय के डीन अकेडमिक अफेयर प्रो0 बनमाली बिश्वाल ने कहा कि हिन्दी कहानी के क्षेत्र में ’फागुणी’ कथा संग्रह महत्त्वपूर्ण साबित होगा। यह कृति डॉ0 बर्त्वाल के चार वर्ष के परिश्रम का सुखद परिणाम है।
लेखक डॉ0 वीरेन्द्र सिंह बर्त्वाल ने कहा कि विश्वविद्यालय परिवार के बीच इस पुस्तक का विमोचन होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। उससे भी बड़ी बात है कि इस कार्यक्रम में आशीर्वाद देने के लिए पूर्व केन्द्रीय शिक्ष मंत्री डॉ0 रमेश पोखरियाल निशंक जी और कुलपति प्रो0 श्रीनिवास वरखेड़ी जी ने अपना महत्त्वपूर्ण समय दिया है। उन्होंने कहा कि कहानी लेखन मेरा पहला प्रयास है, यह हिन्दी साहित्य की दुनिया में किस कदर कसौटी में खरा उतरेगा, इसका असली मूल्यांकन विद्वान और पाठक लोग ही कर पाएंगे।
इस अवसर पर कुलसचिव प्रो0 रणजित कुमार बर्मन, प्रो0 कुलदीप कुमार, डॉ0 मधुकेश्वर भट्ट, डॉ0 मुरली कृष्णन, अनिल नौटियाल, डॉ0 चक्रधर कर, डॉ0 अमृता कौर इत्यादि उपस्थित थे। विश्वविद्यालय मुख्यालय के साथ विश्वविद्यालय के अगरतला, देवप्रयाग, जयपुर, जम्मू, केरल इत्यादि 12 परिसरों के प्राध्यापक इस कार्यक्रम में ऑनलाइन जुड़े रहे।