हाल में प्रति दिन 10,000 से अधिक रोगी-चिकित्सक परामर्शों की मदद से अंतिम 1 लाख का आंकड़ा 11 दिनों में पूरा किया

नई दिल्ली। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा ई-संजीवनी ने 7 लाख परामर्श को पूरा कर लिया है। अंतिम एक लाख परामर्श पिछले 11 दिनों में पूरे किये गए। वर्चुअल ओपीडी सेवाएं उपलब्ध कराने का यह नवीन डिजिटल साधन तेजी से लोकप्रिय हो रहा हैI प्रति दिन 10,000 से अधिक परामर्शई-संजीवनी पर रिकॉर्ड किए जाने के साथ, यह देश में स्थापित सबसे बड़ी ओपीडी सेवाओं का आकार ले रहा है।

स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के नवीन उपाय, ई-संजीवनी ने छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभाव बनाना शुरू कर दिया है। टेलीमेडिसिन रोगियों के लिए तो फायदेमंद है ही साथ ही साथ टेलीमेडिसिन का अभ्यास करने वाले डॉक्टरों के लिए भी हितकारी है क्योंकि यह रोगियों के साथ संपर्क को सीमित करता है जो वर्चुअली उपस्थित हैं। ई-संजीवनी ने स्वास्थ्य सेवाओं को प्रदान करने के लिए डॉक्टर को एक विशिष्ट स्थान पर उपस्थित होने कि आवश्यकता को ख़त्म कर दिया है। यह राज्यों को और विशेष रूप से बड़े भौगोलिक क्षेत्र वाले राज्यों को उनके मानव संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के लिए सक्षम बनाता है। ई-संजीवनी के माध्यम से चिकित्सकीय परामर्श लेने के इच्छुक रोगियों को वर्चुअल कतार में रखा जाता है और उनकी बारी आने पर डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं जो दूसरे शहर में होते हुए भी वर्चुअली उपलब्ध होते हैं। प्रत्येक ऑनलाइन ओपीडी परामर्श एक ई-पर्चा उत्पन्न करता है जिसका उपयोग दवाओं को खरीदने या नैदानिक जांच के लिए किया जा सकता है। केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने यह सुनिश्चित करने के लिए सरकारी आदेश जारी कर दिए हैं कि ई-पर्चा को मान्यता दी जाये।

मध्य प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक जैसे राज्यों में ई-संजीवनी का उपयोग पिछले कुछ समय से काफी बढ़ा है। पहले से ही तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, केरल और उत्तराखंड में ई-संजीवनी का उपयोग पिछले कुछ महीनों से अधिक और नियमित हो रहा है। जिन दस राज्यों ने ई-संजीवनी और ई-संजीवनी ओपीडी प्लेटफॉर्म के माध्यम से उच्चतम परामर्श पंजीकृत किया है, वे राज्य तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, केरल, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड, कर्नाटक और महाराष्ट्र हैं। सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ एडवांस कंप्यूटिंग (मोहाली) के साथ मिलकर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय राज्य प्रशासनों के परामर्श से लगातार ई-संजीवनी की क्षमताओं को बढ़ा रहा है और नई कार्यक्षमता जोड़ रहा है।

ई-संजीवनी सामान्य चिकित्सकों और चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ दो प्रकार के ऑनलाइन परामर्श प्रदान करता है , डॉक्टर से डॉक्टर (ई-संजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी) और रोगी से डॉक्टर (ई-संजीवनी ओपीडी)I  पहला प्रकार नवंबर 2019 में शुरू किया गया था और यह आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (एबी-एचडब्ल्यूसी) कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। ई-संजीवनी (एबी-एचडब्ल्यूसी) को दिसंबर 2022 तक सभी 1.5 लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों में ‘हब और स्पोक’ मॉडल के रूप में लागू किया जाना है। राज्यों को मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों में समर्पित ‘हब’ स्थापित करने की आवश्यकता है जिससे ‘स्पोक्स’ अर्थात स्‍वास्थ्य और कल्याण केंद्र (एचडब्ल्यूसी) कोटेली-परामर्श सेवाएं प्रदान की जा सके। जब देश भर में ओपीडी कोविड-19 महामारी के कारण बंद थे तब स्वास्थ्य मंत्रालय ने रोगी-से-डॉक्टर टेली-परामर्श को प्रारम्भ करने के लिए इस साल अप्रैल में पहले लॉकडाउन के दौरान ई-संजीवनी ओपीडी अर्थात दूसरे प्रकार के ऑनलाइन परामर्श की शुरुआत की थी।