4 Jul 2025, Fri

सभी के हित का चिंतन व आचरण ही हिन्दुत्व : डॉ. कृष्ण गोपाल

नई दिल्ली (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा है कि हिन्दुत्व एक आचरण है जिसका पालन करते हुए व्यक्ति सभी के हित का चिंतन करता है। यह बांटता नहीं बल्कि सभी को अपनत्व के भाव से जोड़ता है। अगर कोई व्यक्ति स्वयं को किसी धर्म का अनुयायी नहीं मानता तो वह भी सभी के हित का आचरण करते हुए एक प्रकार से हिन्दू ही है।

डॉ. कृष्ण गोपाल बुधवार को जिज्ञासा द्वारा आयोजित हिन्दुत्व पर व्याख्यान माला को संबोधित कर रहे थे। दिल्ली के मालवीय स्मृति भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि भारत का सदियों से एक चिंतन रहा है, जिसने विचार रूप में हमारे व्यवहार को प्रभावित किया है। इसी व्यवहार से हमारा आचरण बना है जिसे हम हिन्दुत्व के नाम से जानते हैं।

उन्होंने कहा कि हमने कभी अपनी परिभाषा नहीं की, लेकिन दुनिया ने हमें भौगोलिक स्थिति के आधार हिन्दू की पहचान दी। हिन्दू शब्द छठी और सातवीं शताब्दी से पहले नहीं था, लेकिन भारत का दर्शन हजारों वर्ष पुराना है। इस्लाम के भारत में आने पर देश में मतांतरण हुआ जिसके बाद हमारे साहित्यकारों, दार्शनिकों और संतों ने हमें हिन्दू कहकर संबोधित करना शुरू किया और हमारी बिखरी पहचान को एक नाम दिया।

डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि भारत और दुनिया की भौगोलिक और मौसम संबंधित परिस्थितियां अलग-अलग हैं। यूरोप और मध्य-पूर्व में एक समय में जीवन काफी कठिन था, जिसके चलते संसाधनों की लूट और दूसरों से छीनने का स्वभाव वहां के लोगों में विकसित हुआ। भारत में मौसम और भौगलिक स्थिति ऐसी थी कि हमारे पास पर्याप्त अन्न और जीवन के साधन मौजूद थे। इसी के चलते भारत में सुख और शांति रही और इससे आध्यात्मिक चिंतन उपजा।

उन्होंने कहा कि दुनिया के लोग हमें पैगन (कई देवी-देवताओं को पूजने वाले) मानते हैं। उनकी बात सही है कि हम देने वाले को देवता मानते हैं। इसके बावजूद हम एक ईश्वर और ब्रह्म पर विश्वास रखते हैं। हर व्यक्ति अपने गुण स्वभाव के अनुरूप देवता को पूजता है और धीरे-धीरे उस देवता से निराकार ब्रह्म यानी ईश्वर की ओर बढ़ता है। वह सभी को ईश्वर का अंश मानकर व्यवहार करता है।

डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि भारत में एक परंपरा रही है कि जब भी समाज में कोई कुरीति आई है, कोई संत महात्मा ने आकर उसे सुधारा है। संतों के इस निरंतर प्रवाह का नाम भी हिन्दुत्व है। दुनिया में कहीं भी जाएं और भारतीय संस्कृति, संस्कार का विचार आए तो उसमें हिन्दुत्व ही समाहित होता है। हिन्दुत्व चर्चा और तर्क वाला मत है, अन्य मतों की तरह नहीं है कि जहां यह माना जाता है कि उन्ही का मत सही है।

हिन्दुस्थान समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *