रूड़की/देहरादून (उत्तराखंड संवाद भारती)। हिंदी को राष्ट्रभाषा का आधिकारिक स्थान देकर वैश्विक धरातल पर हिंदी को सामर्थ्यवान बनाना हिंदी साहित्य भारती का मुख्य उद्देश्य है। यह बात प्रख्यात साहित्यकार एवं पूर्व शिक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार, डॉ. रवीन्द्र शुक्ला ने सोमवार को पत्रकार वार्ता में कहीं।

उन्होंने बताया कि हिंदी भाषा एवं साहित्य के उत्थान को लेकर 15 जुलाई 2020 को हिंदी साहित्य भारती नामक संस्था का गठन किया। आज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 35 देशों में हिंदी साहित्य भारती काम कर रही है और भारत के 27 प्रदेशों में प्रदेश कार्यकारिणियां सांगठनिक और साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय हैं। डॉ. शुक्ला हिंदी साहित्य भारती के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।

उन्होंने बताया कि देश के अन्य प्रदेशों में संयोजक एवं प्रभारी नियुक्त किए गये हैं। अनेक प्रदेशों में जनपदों और महानगरों में भी संगठन खड़ा हो चुका है। हिंदी साहित्य भारती वर्तमान समय में विश्व की सबसे बड़ी साहित्यक संस्था बन गई है। हिंदी साहित्य भारती द्वारा पुस्तक समीक्षा, महापुरुषों की जयंती और युवा साहित्यकारों के लिए साहित्यिक प्रशिक्षण के कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। हिंदी साहित्य भारती से पूर्व राज्यपाल, अनेक विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति, कुलपति, प्राचार्य, विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के ख्यातिलब्ध साहित्यकार, नवोदित प्रतिभाशाली साहित्यकारों के अतिरिक्त अनेक हिंदी प्रेमी और साहित्यानुरागी जुड़े हैं।


मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने किया सम्मानित

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भेंट करते हुए डॉ रविंद्र शुक्ला

देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को हिंदी साहित्य भारती के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ रविन्द्र शुक्ला को सम्मानित किया। श्री धामी ने हिंदी की उन्नति के लिए डॉ. शुक्ला के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि विश्व पटल पर हिंदी को स्थापित करने तथा हिंदी को राष्ट्रीय संवैधानिक भाषा बनाने के लिए हिंदी साहित्य परिषद की यह पहल सराहनीय है।


डा0 शुक्ला ने हिन्दी साहित्य भारती के उद्देश्यों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि संस्था के प्रमुख उद्देश्य भारत के गौरवशाली साहित्य एवं सांस्कृतिक चेतना को विश्व पटल पर प्रतिष्ठा दिलाना है। भारत में हिंदी को राष्ट्रभाषा को संवैधानिक अधिकार दिलाना तथा इसके लिए आवश्यक कार्य योजना बनाकर उसका क्रियान्वयन करने का प्रयास करना है। वैश्विक स्तर पर हिंदी की महत्ता स्थापित करना और इस हेतु हिंदी भाषा की पुनर्प्रतिष्ठा के लिए कार्यक्रमों का आयोजन करना। हिंदी एवं भारत के सभी भाषाओं के साहित्यकारों को वैश्विक एवं राष्ट्रीय पटल पर प्रतिष्ठा दिलाना तथा समाज उपयोगी साहित्य को विभिन्न कक्षाओं के पाठ्यक्रम में शामिल करना। हिंदी के समृद्ध किंतु आर्थिक रूप से कमजोर साहित्यकारों की उच्च स्तरीय कृतियों को प्रकाशित कराने की व्यवस्था कराना। विश्व के हिंदी साहित्यकारों को एक साथ एक मंच पर लाकर साहित्य के प्रदूषण को समाप्त करना। विश्व के श्रेष्ठ साहित्यकारों के माध्यम से मानवता के कल्याण हेतु भारत के आदर्श मानवीय जीवन मूल्यों को जनजन तक पहुंचाना तथा देश के बौधिक वातावरण को सकारात्मक दिशा देना। हिंदी में साहित्य रचना करने वाले साहित्यकारों को प्रेरित करना, जिसके लिए पुरस्कार ओर प्रशिक्षण संवाद आदि का आयोजन करना। हर प्रदेश के उत्कृष्ट हिंदी साहित्यकारों को देश तथा विदेश के मंचों पर स्थान दिलाना। हिंदी भाषा, हिंदी साहित्य तथा हिंदी साहित्यकारों के उन्नयन के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सेमिनार,गोष्ठियों, कवी सम्मेलन, परिसंवाद, साहित्याकर सम्मलेन आदि आयोजित करना। हिंदी के शिक्षकों, शोध निर्देशकों, समालोचकों अनुवादकों आदि को संगठन में सक्रीयता के साथ जोड़कर देश और विदेश के बौद्धिक वातावरण को सकारात्मक दिशा की ओर ले जाना।

उन्होंने बताया कि इन उद्देश्यों की प्राप्ति ‘राष्ट्रवंदन, अतीत का अभिनंदन’, ‘राष्ट्रवंदन, वर्तमान का अभिनंदन’ ‘पत्र लेखन अभियान’, ‘राष्ट्र वंदन कवि अभियान’, ’विविध विधा प्रशिक्षण कार्यक्रम’ सदस्यता अभियान’, ‘संगोष्ठियों का आयोजन’, ‘कुल गीत’ आदि कार्यक्रमों-आयोजनों द्वारा प्राप्त करने की योजना बनाई गई है। इस अंतरराष्ट्रीय संस्था का मुख्य उद्देश्य हिंदी को राष्ट्रभाषा का आधिकारिक स्थान देकर वैश्विक धरातल पर हिंदी को सामर्थ्यवान बनाना है। समाज उपयोगी साहित्य का प्रसार करना। उन्होंने कहा कि विश्व के सर्वोच्च साहित्यकारों के माध्यम से मानव कल्याण तथा आदर्श माननीय मिलने के संरक्षण तथा बौद्धिक वातावरण को सकारात्मक दिशा प्रदान करना हिंदी साहित्य भारती का मुख्य काम है।
इस अवसर पर केंद्रीय महामंत्री डॉ. अनिल शर्मा, अभिषेक चंद्रा, हिंदी साहित्य भारती के प्रदेश मंत्री राम शंकर सिंह, पंकज त्यागी, सचिन प्रधान, प्रदेश मीडिया प्रभारी ठाकुर मोहित सिंह, जिलाध्यक्ष हरिद्वार अरुण शर्मा, जिला महामंत्री अलका शर्मा, संस्कार भारती के महामंत्री राजकुमार संजय नादान, पंकज गर्ग, प्रदीप त्यागी आदि उपस्थित रहे।