अयोध्या। सनातन परंपरा में राम समरसता और सामूहिकता के प्रतीक माने जाते हैं । 22 जनवरी 2024 को अयोध्‍या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा होनी है। इसे देखते हुए मंदिर का निर्माण कार्य जोरों पर है। देश के विभिन्‍न हिस्‍सों से पत्‍थर मंगवाए जा रहे हैं, जिनका इस्‍तेमाल मंदिर निर्माण में किया जा रहा है। रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा को देखते हुए काम में काफी तेजी लाया गया है। श्रीराम जन्‍मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्‍ट के महासचिव चंपत राय ने मंदिर निर्माण कार्य में अब तक हुई प्रगति की जानकारी दी।

चंपत राय का कहना है कि राम मंदिर के ग्राउंड फ्लोर का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। उन्‍होंने पहले, दूसरे और तीसरे तल के बारे में भी जानकारी दी है। नागर शैली में बन रहे राममंदिर के परिसर में दक्षिण की द्रविण शैली का भी प्रभाव दिखेगा, तो पंचायतन परंपरा का भी अक्स उभरेगा। मंदिर में प्रवेश पूरब द्वार से मिलेगा। 33 सीढ़ियां चढ़ने के बाद मंदिर में प्रवेश होगा। परिक्रमा और दर्शन के बाद निकास दक्षिण से होगा।

श्री रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मंगलवार को निर्माणाधीन मंदिर की विशेषताओं की जानकारी दी और परिसर का भ्रमण भी कराया। मंदिर का पूरा कॉम्प्लेक्स 70 एकड़ का है, जिसमें 25-30 प्रतिशत ही निर्मित क्षेत्र होगा, बाकी हरित क्षेत्र होगा। 22 जनवरी को जब पीएम रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। तब तक भूतल और पूरब में बन रहा मुख्य प्रवेश द्वार तैयार हो चुका होगा। प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा। नृत्य, रंग, सभा, प्रार्थना और कीर्तन के पांच मंडप भी स्थापित किए जा रहे हैं। 2.70 एकड़ में बन रहे मंदिर परिसर के भीतर अलग-अलग 44 द्वार होंगे।

ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि मंदिर परिसर अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर होगा। यहां दो STP और एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट होंगे। 400 फीट नीचे से पानी निकाला जाएगा। एक फायर स्टेशन भी होगा। करीब 25 हजार लॉकर होंगे, जहां सामान फ्री जमा कर दर्शन के लिए जाया जा सकेगा।

चंपत राय ने बताया कि मंदिर का स्वरूप नागर शैली का है जो उत्तर भारतीय मंदिरों की विशेषता है। लेकिन, इसके चारों ओर आयताकार परकोटा बन रहा, जो दक्षिण के मंदिरों की निर्माण शैली है। परकोटे के चारों कोनों पर चार मंदिर- भगवान सूर्य, गणपति, शिव और देवी भगवती के होंगे। बीच में रामलला विराजमान होंगे।

मंदिर निर्माण की सबसे बड़ी चुनौती यहां की बलुई मिट्टी थी। इस कारण छह एकड़ परिसर की 14 मीटर गहराई तक की पूरी मिट्टी हटाई गई, फिर इसे स्टोन डस्ट व फ्लाई ऐश से भरा गया। इसके बाद 1-1 फीट की 56 RCC संरचना बनाकर कृत्रिम चट्टान बनाई गई। इस पर ग्रेनाइट की प्लिंथ तैयार की गई है। मंदिर की पूरी संरचना में 21 लाख क्यूबिक फीट पत्थर लगेंगे।

महासचिव चंपत राय ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में देशभर से प्रमुख हस्तियां जुटेंगी। कई देशों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। सभी परम्पराओं के साधु-सन्तों के साथ ही समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों सक्रिय व देश का सम्मान बढ़ाने वाले प्रमुख लोगों को भी आमंत्रित किया गया है. चंपत राय ने अयोध्या में पत्रकारों के साथ बातचीत में बताया कि आगंतुकों के ठहरने, आवागमन, वाहन पार्किंग आदि के सम्बन्ध में भी व्यवस्था की जा रही है। रामघाट चौराहा स्थित कार्यशाला में पत्रकार कक्ष बनाया गया है। हजार लोगों के रहने के लिए आवास तैयार किए गए हैं। 

प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए करीब चार हजार सन्तों को आमंत्रण भेजा गया है। प्रयास है कि सभी परम्पराओं के सन्त आएं. सभी कमिश्नरी का प्रतिनिधित्व हो। सभी शंकराचार्य, महामण्डलेश्वर, सिक्ख और बौद्ध पंथ के शीर्ष सन्तों को बुलावा भेजा गया है। स्वामी नारायण, आर्ट ऑफ लिविंग, गायत्री परिवार, मीडिया हाउस, खेल, किसान, कला जगत के प्रमुख लोगों को आमंत्रित किया गया है। 2200 गृहस्थों का चयन भी इसके लिए किया गया है। 1984 से 1992 के बीच सक्रिय पत्रकारों को भी बुलावा भेजा गया है। हुतात्माओं के परिजन, लेखक, साहित्यकार, कवि, उद्योगजगत, धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक संस्थाओं के पदाधिकारियों को भी आमंत्रित किया गया है. साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री, सेना के अधिकारी, को भी बुलाया गया है।

रामलला की मूर्ति के प्रश्न पर कहा कि तीन लोगों में से जो भी मूर्तिकार पांच वर्ष के बालक की कोमलता को उकेरने में सफल होगा, उसी की मूर्ति चुनी जाएगी. जनवरी के प्रथम सप्ताह में मूर्ति का चयन कर लिया जाएगा, और मूर्तिकार की जानकारी भी सार्वजनिक की जाएगी।

प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का पूजन 15 जनवरी से शुरू हो जाएगा। काशी के गणेश्वर शास्त्री द्रविड़, लक्ष्मीकांत दीक्षित (कर्मकांड) पूजा सम्पन्न कराएंगे। प्राण-प्रतिष्ठा पूजन के बाद 48 दिन की मंडल पूजा होगी, जो विश्वप्रसन्न तीर्थ जी के नेतृत्व में होगी।