देहरादून। प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय सेवाकेन्द्र सुभाषनगर में आयोजित सत्संग में राजयोगिनी ब्रह्मकुमारी मन्जू बहन ने उपस्थित जनसमूह को आगामी गणेश चतुर्थी की बधाई दी। उन्होंने कहा कि गणेश को विघ्न विनाशक के रूप में पूजा जाता है। वास्तव में भगवान शिव के बालक केवल गणेश ही नहीं, सभी आत्मायें हैं। तब तो सभी को विघ्न विनाशक होना चाहिये। किंतु ऐसा है नहीं। इस कलियुग में अनगिनत समस्यायें और विघ्न हैं जो दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं।
ऐसे में आवश्यक हो जाता है कि आत्मायें जो इस समय पतित व कमज़ोर हो चुकी हैं, वे पुनः मन, बुद्धि तथा संस्कारों से पवित्र व शक्तिशाली बनें। तभी वे अपनी व दूसरों की समस्याओं का समाधान कर सकेंगी। इसके लिये स्वयं को आत्मा समझ परमपिता परमात्मा शिव को ज्याति बिंदु स्वरूप में याद कर, अपने भीतर गुण व शक्तियाँ धारण करने होंगे। इस अभ्यास को राजयोग कहा जाता है। जब आत्मा का मनोयोग-बुद्धियोग परमात्मा शिव बाबा से जुटता है, तब संस्कारों में शुद्धता, बुद्धि में स्पष्टता, तथा मन में शक्ति आती जाती है। आत्मा में परखने और निर्णय करने की शक्ति; सहने और परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति विकसित होती है।
जब आत्मा इस प्रकार सक्षम बनती जाती है, तो न केवल विघ्न विनाशक बल्कि निर्विघ्न बनती जाती है; एवं शुभ व लाभ का गणेश करती है। कार्यक्रम में पदमा, प्रियंका, पुष्पा, विजय, राकेश, ममता, सुरेन्द्र, सरोजिनी, उषा, रेणू, विजयलक्ष्मी तथा अन्य मौजूद थे।