प्रज्ञा प्रवाह पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के शोध आयाम बैठक में हुई व्यापक परिचर्चा
बरेली। देश के प्रमुख राष्ट्रीय वैचारिक थिंक टैंक अम्ब्रेला संगठन ‘प्रज्ञा प्रवाह’ के पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के शोध आयाम की बैठक आज गूगल मीट प्लेटफ़ॉर्म पर सम्पन्न हुई। बैठक में प्रज्ञा प्रवाह पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के तीनों प्रांतीय संगठनों प्रज्ञा परिषद, ब्रज, देवभूमि विचार मंच, उत्तराखण्ड तथा भारतीय प्रज्ञान परिषद, मेरठ के अध्यक्ष, संयोजक, सह-संयोजक, शोध संस्थानों के निदेशक, उप-निदेशक, शोध संयोजक, सह-संयोजक तथा शोध आयाम से जुड़े पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने प्रतिभाग किया। बैठक में कारगिल युद्ध में बलिदान हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
बैठक में प्रज्ञा प्रवाह के पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र संयोजक भगवती प्रसाद राघव ने यह जानकारी दी कि क्षेत्र के तीनों प्रांतों में प्रज्ञा शोध संस्थान ब्रज, आर्यावर्त शोध संस्थान उत्तराखण्ड तथा भारत केंद्रित शोध संस्थान मेरठ की स्थापना की गयी है जो भारत केंद्रित शोध कार्य को गति दे रहे हैं। श्री भगवती  ने सांगठनिक ढाँचे के सुदृढ़ीकरण पर भी व्यापक रूप से प्रकाश डाला।
इस अवसर पर प्रज्ञा प्रवाह के पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार व झारखंड क्षेत्र के क्षेत्र संयोजक रामाशीष  ने यह बताया कि इस देश में यूरो-क्रिश्चन शिक्षा तंत्र के विकास पर ही ज़ोर दिया गया। उसकी नक़ल भी ठीक ढंग से नहीं की गयी। परिणाम यह हुआ कि हम ना तो भारतीय विद्या को अपना पाए और ना ही पूर्णतः विदेशी शिक्षा के अनुरूप ही विकास कर पाए। आज आवश्यकता है कि प्रज्ञा प्रवाह के माध्यम से भारत केंद्रित शोध को गति मिले।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता प्रोफेसर पवन कुमार शर्मा, निदेशक दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ने कहा कि अंग्रेज़ी शिक्षा पद्धत्ति ने भारत की लोक व ज्ञान परम्परा के प्रति घृणा व द्वेष का भाव रखने वाले औपनिवेशिक भारतीय मानस का निर्माण किया है। भारत के भारतीयता को स्थापित करने के लिए इस मानस का डिकोलोनाईजेशन (विउपनिवेशीकरण) आवश्यक है। विज्ञान, गणित, कला, साहित्य, सामाजिक विज्ञान, कृषि, वाणिज्य आदि प्रत्येक क्षेत्र में वैदिक काल से लेकर 18वीं सदी के पूर्व तक भारत के मनीषियों ने कई कीर्तिमान स्थापित किए थे, परन्तु भारतीय जनमानस से इस ज्ञान को दूर रखा गया, उन्हें पाठ्यपुस्तकों में स्थान नहीं मिला। आज भारत केंद्रित शोध की महती आवश्यकता है, क्योंकि इसके माध्यम से ही इस ज्ञान की स्थापना हो सकेगी। डॉ0 पवन शर्मा ने भारतीय अनुसंधान पद्धति एवं पश्चिमी अनुसंधान पद्धति में भिन्नता पर भी विस्तार से प्रकाश डाला।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रज्ञा परिषद, प्रज्ञा प्रवाह, ब्रज के प्रान्त संयोजक डॉ0 प्रवीण कुमार तिवारी ने कहा कि यह सोचनीय विषय है कि भारत की पुस्तकों में पैथागोरस प्रमेय तो पढ़ाया जाता है लेकिन बौधायन जिन्होंने उनसे भी 300 वर्ष पूर्व इस प्रमेय को मूल स्पष्ट किया था की चर्चा भी नहीं होती। हमारी शिक्षा पद्धत्ति हमारे अंदर स्वजातीय घृणा का भाव भरती है। अतः भारत केंद्रित शोध के माध्यम से ही अकादमिक क्षेत्र में भारतीय ज्ञान परम्परा के वास्तविक पक्ष को स्पष्ट करने व स्थापित करने में सहायता मिलेगी।
इस अवसर पर मुक्त परिचर्चा सत्र में प्रोफेसर एन0 एन0 पाण्डेय, डॉ0 आर0 के0 गुप्ता, डॉ0 देवेश मिश्र, डॉ0 श्यामलेन्दु रंजन, डॉ0 गोविन्द राम गुप्त, डॉ0 राम चंद्र सिंह, डॉ0 विनोद कुमार आदि ने भी भारत केंद्रित शोध के विविध पक्षों पर प्रकाश डाला। बैठक में भारतीय अनुसंधान पद्धति के ‘विभिन्न आयाम क्या हो?’ इस पर चर्चा हुई। सभी प्रतिभागियों का मत था कि भारतीय ज्ञान परंपरा से संबंधित मौलिक व तथ्यपरक अनुसंधान पर बल दिया जाए। इस अवसर पर अनुसंधान हेतु विविध दिशाओं व विषयों पर भी कार्यकर्ताओं ने अपने विचार रखे।
कार्यक्रम में प्रज्ञा प्रवाह पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के तीनों प्रांतीय संगठनों से डॉ0 चैतन्य भंडारी, प्रोफेसर वीरपाल सिंह, प्रोफेसर दिनेश सकलानी, प्रोफेसर तूलिका सक्सेना, प्रोफेसर सोनू द्विवेदी, श्री अवनीश त्यागी, डॉ0 अंजलि वर्मा, डॉ0 गौरव राव, डॉ0 रश्मि रंजन, डॉ0 मीनाक्षी द्विवेदी, डॉ0 वकुल बंसल आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
भारतीय प्रज्ञान परिषद की बैठकः वामपंथी ताकतों के कुत्सित प्रयासों को साकार ना होने दिया जाए
मेरठ। भारतीय प्रज्ञान परिषद मेरठ की बैठक आज गूगल मीट प्लेटफार्म के माध्यम से आयोजित की गई । बैठक का संचालन प्रांत संयोजक प्रोफेसर वीरपाल सिंह द्वारा किया गया।
बैठक में प्रज्ञा प्रवाह के पश्चिम उत्तर प्रदेश क्षेत्र संयोजक भगवती प्रसाद राघव ने कहा कि हमें ऐसे गुण निर्माण करने हैं जो भारत को भारत बना सकें। यह सिर्फ विमर्श के माध्यम से ही संभव है ।
हमें शक्ति एवं सामर्थ्य से सफलता प्राप्त करनी है। महिलाओं तथा युवाओं में कार्य करने के लिए भी आगामी वर्षो की कार्य योजना तैयार करनी होगी।
विशेषकर युवाओं में कार्य करने के लिए इस प्रकार से अपनी सोच बनानी होगी कि जिस प्रकार परिवार जन अपने परिवार के युवाओं एवं छोटों को भविष्य के लिए तैयार करते हैं, उसी तरह यह संपूर्ण भारतवर्ष हमारा परिवार है यह सोच कर हमें युवाओं की एक सशक्त टोली तैयार करनी है और यह कार्य हर जिले के लिए करना है जिससे वामपंथी ताकतों के कुत्सित प्रयासों को साकार ना होने दिया जाए।
उन्होंने कहा कि हमें समसामयिक विषयों के साथ साथ पाठ्यक्रम से संबंधित विषयों पर भी भारत केंद्रित शोध करना है एवं विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों को आयोजित करते रहना है। बैठक में उपस्थित डॉ वंदना रोहेला, डॉक्टर चित्रा सिंह एवं डॉ अलका तिवारी द्वारा महिलाओं एवं युवाओं में कार्य करने के लिए विशेष रूप से विचार रखे गए।
बैठक में मुख्य रूप से प्रांत सह संयोजक अवनीश कुमार, डॉ हिमांशु अग्रवाल , डॉक्टर दिनेश शर्मा , डॉक्टर के के शर्मा , डॉ वंदना वर्मा , डॉक्टर जी आर गुप्ता , डॉ जितेंद्र कुमार सिंह, डॉक्टर बबली रानी, डॉ प्रमोद सिंह चौहान , डॉ राजीव कुमार , डॉ रुचि गुप्ता, डॉक्टर सचिन शर्मा, डॉ शशि सिंह , प्रांत समन्वयक (युवा ) अनुराग विजय अग्रवाल इत्यादि उपस्थित रहे।