उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में डोकरानी बामक ग्लेशियर में हिमस्खलन से 10 ट्रेनी पर्वतारोहियों की मौत हो गई है।  हिमस्खलन की चपेट में आने से नेहरू पर्वतारोहण संस्थान(निम) के 34 प्रशिक्षु और सात पर्वतारोहण प्रशिक्षक वहां फंसे थे। निम कर्नल अजय बिष्ट ने बताया कि इस दौरान नौ पर्वतारोहियों के शव बरामद हुए हैं। वहीं, 32 पर्वतारोही अभी भी लापता हैं।
मंगलवार सुबह उत्तरकाशी के दौपद्री डांडा-दो से वापस लौट रहे पर्वतारोहियों का दल अचानक हिमस्खलन होने से उसकी चपेट में आ गया। सुबह करीब साढ़े नौ बजे राज्य आपदा कंट्रोल रूम को इसकी जानकारी मिली थी, जिसके बाद राहत व बचाव का कार्य जारी है। वहीं डीएम अभिषेक रूहेला ने बताया कि मौसम खराब होने की वजह से अभी रेस्क्यू ऑपरेशन रोक दिया गया है। मौसम ठीक होने पर दोबारा रेस्क्यू शुरू किया जाएगा।
डीआईजी एसडीआरएफ रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि एयरफोर्स से शासन ने संपर्क किया है। तीन हेलीकॉप्टर पूरे क्षेत्र की रेकी करेंगे। एसडीआरएफ कमांडेंट मणिकांत मिश्रा ने बताया कि सहस्त्रधारा हेलीपैड से एसडीआरएफ की पांच टीमें घटनास्थल के लिए रवाना हो गई हैं। तीन टीमों को रिजर्व में रखा गया है। जरूरत पड़ने पर इन टीमों को भी रवाना किया जाएगा।
नेहरु पर्वतारोहण संस्थान निम का डोकरानी बामक ग्लेश्यिर में द्रोपदी डांडा-2 पहाड़ी पर बीते 22 सितंबर से  बेसिक/एडवांस का प्रशिक्षण चल रहा था। जिसमें बेसिक प्रशिक्षण 97 प्रशिक्षार्थी, 24 प्रशिक्षक व निम के एक अधिकारी समेत कुल 122 लोग शामिल थे। जबकि एडवांस कोर्स में 44 प्रशिक्षणार्थी व नौ प्रशिक्षक समेत कुल 53 लोग शमिल थे।
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि क्रेवांस में फंसे लोगों को निकालने के लिए निम द्वारा रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है। घटना स्थल पर निम के पास दो सेटेलाइट फोन मौजूद हैं। रेस्क्यू अभियान के लिए निम के अधिकारियों के साथ निरन्त समन्वय किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह से वार्ता कर “द्रौपदी का डांडा-2 पर्वत चोटी में हिमस्खलन से फंसे NIM उत्तरकाशी के 28 प्रशिक्षार्थियों के रेस्क्यू अभियान में तेजी लाने के लिए सेना की मदद का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से हर सम्भव सहायता का अश्वासन प्राप्त हुआ है। प्रशिक्षार्थियों को सकुशल निकालने के लिए NIM की टीम के साथ ही जिला प्रशासन, NDRF, SDRF, सेना और ITBP के जवानों द्वारा तेजी से राहत एवं बचाव कार्य चलाया जा रहा है।