देहरादून। लद्दाख एवं जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम का राज्य सभा सांसद नरेश बंसल, संजय, अध्ययन केंद्र के प्रांतीय संयोजक उत्तराखंड बलदेव पाराशर द्वारा संयुक्त रूप से द्वीप प्रज्ज्वलन कर किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में निधि बहुगुणा द्वारा 22 फरवरी 1994 को भारतीय संसद में लिए गए संकल्प को पुनः स्मरण कराते हुए जम्मू कश्मीर व लद्दाख क्षेत्र पर पाकिस्तान व चीन का अनधिकृत कब्जे वाले क्षेत्र की वर्तमान स्थिति के बारे में विस्तार से बताया।
कार्यक्रम में आए विशेषज्ञ वक्ताओं में डॉ. सूरज पारचा  द्वारा जम्मू कश्मीर व लद्दाख क्षेत्र के सांस्कृतिक, सामरिक व आर्थिक महत्व पर प्रकाश डाला एवं धारा 370 व 35 A के समाप्त होने के उपरांत जम्मू कश्मीर में आए हुए परिवर्तन से वहाँ की जनता को पुनः अधिकार संपन्न विषय पर प्रकाश डाला।
अध्ययन केंद्र के प्रांतीय संयोजक बलदेव पाराशर द्वारा 22 फरवरी 1994 के भारतीय संसद द्वारा लिया गया संकल्प पत्र पढ़ कर सुनाया गया, तत्पश्चात सांसद को अध्ययन केंद्र की कार्यकारिणी द्वारा संकल्प स्मरण पत्र (Copy of Parliamentary Resolution dated 22 February 1994) की प्रतिलिपि सौंपी उसके उपरांत सांसद द्वारा अपने संबोधन में पूरे कश्मीर को भारत के अभिन्न अंग मानते हुए बड़ी दृढ़ता एवं अपनी प्रबल इच्छाशक्ति दिखाते हुए इस विषय पर प्रदेश के अन्य सांसदों के साथ मिलकर संसद में पुनः इस विषय पर चर्चा कराने का आश्वासन दिया एवं उन्होंने अध्ययन केंद्र से अपेक्षा करते हुए कहा कि जो भी शोध कार्य एवं जम्मू कश्मीर व लद्दाख क्षेत्र की वास्तविक स्थिति से उनको समय समय पर अवगत कराने का आग्रह किया ताकि वह राज्य सभा में इन विषय को संसद में अपेक्षित संशोधन के साथ प्रबलता से उठाए । कार्यक्रम में दून यूनिवर्सिटी के डॉ एच सी पुरोहित द्वारा इस विषय पर युवाओं से आवाह्न करते हुए अकाडेमिक राइटिंग व शोध कार्य करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उक्त कार्यक्रम का संचालन डॉ दिनेश उपमान्य द्वारा किया गया।