उदयपुर। दक्षिणी राजस्थान में सलूम्बर में मंदिर की ध्वजा हटाकर धार्मिक भावना को आहत करना, जय गुरु या राम-राम के अभिवादन को परिर्वतन के प्रयासों से सर्व समाज हतप्रभ है और इसे वागड़ संस्कृति पर आक्रमण मान रहा है। उदयपुर संभाग में जनजाति समाज का सामाजिक धार्मिक नेतृत्व तोडऩे वाली विचार का प्रखर विरोध प्रारम्भ कर दिया है। इस विरोध में कांग्रेस भाजप अपने मतभेद भूलकर जनजाति समाज की स्थानीय परम्परा को बनाए रखने के लिए एकजुट हैंं। पिछले दिनों इसे लेकर अलग-अलग क्षेत्रों में विरोध हुआ है और 13 सितम्बर को प्रतापगढ़ जिले में गौतमेश्वर के पास सुहागपुरा में ऐसी विचार के खिलाफ महापंचायत की घोषणा हुई है।
जनजाति समाज के प्रबुद्धजनों का कहना है कि बीटीपी के निहित राजनीतिक स्वार्थों के चलते अपने ही समाज के भटके युवा अपनी ही जनजाति संस्कृति को ही दूषित कर रहे हैं। गौतमेश्वर में बीते शनिवार को राजस्थान आदिवासी महासंघ की ओर से महायज्ञ और महासभा का आयोजन किया गया था। इसमें महासंघ के प्रदेश उपाध्यक्ष कारूलाल मईड़ा ने भी कुछ बाहरी लोगों द्वारा समाज के युवाओं को भटकाकर समाज की संस्कृति से विमुख करने का आरोप लगाया।
उदयपुर जिले की जनजाति बहुल कोटड़ा तहसील में हित रक्षा सेना के बैनर तले जनजाति युवाओं ने विरोध प्रदर्शन किया था और ज्ञापन सौंपा था। एडवोकेट हिम्मत तावड़ ने कहते हैं- “लाखों- हजारों वर्षों से राम-राम बोलने वाले जनजाति हिन्दू समुदाय पर जय जोहार अभिवादन बोलने का दबाव बनाया जा रहा है। छतीसगढ़ व झारखण्ड की परम्परा थोपी जा रही है। युवाओं को भ्रमित करके नक्सल की तरफ धकेला जा रहा है। ईसाई व नक्सलियों के एजेंट हिन्दू समाज को तोड़ने व देवी देवताओं को गालियां देते हैं, जनजाति समाज के को आपस में लड़वाने के लिए उकसाया जा रहा है। ऐसे लोगों का मूल जनजाति समाज विरोध करता है जो हमारी संस्कृति को ही उनके निजी हित के लिए प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं।”
कोटड़ा के ही लाम्बाहल्दू गांव के मुखिया एवं पंच लालू राम गमार कहते हैं “ये जोहार क्या है यहां के जनजाति जानते ही नहीं हैं, मौत-मरण, शादी-ब्याव में महिलाएं-पुरुष राम-राम कहकर ही अभिवादन करते आए हैं और कर रहे हैं, लेकिन एक राजनीतिक दल यहां यह प्रचार कर रहा है कि जय जोहार बोलो जो बिल्कुल गलत है।”
सामाजिक कार्यकर्ता एवं जनजाति चिंतक डॉ. राकेश डामोर कहते हैं “ बीटीपी और चर्च से जुड़े लोग नये- नये मुद्दे उछालकर जनजाति समाज में विभेद करने का काम कर रहे हैं। ये लोग जनजाति देवी- देवताओं और गोविंद गुरू का अपमान करते हैं।
जनजाति संस्कृति और परम्पराओं को खण्डित करने और युवाओं को भटकाने वाली विचारध के विरोध में प्रतापगढ़ जिले के गौतमेश्वर स्थित सुहागपुरा में 13 सितम्बर को भील- मीणा समुदाय की महापंचायत आहूत की गई है। इसके लिए गांव-गांव में बैठकों का दौर चल रहा है। प्रतापगढ़ से कांग्रेस विधायक रामलाल मीणा भी प्रमुख रूप से इस महापंचायत को संबोधित करेंगे। आदिवासी आरक्षण मंच के प्रतापगढ़ जिला संयोजक खातूराम मीणा भी महापंचायत की तैयारी में लगे हैं। उनका कहना है कि “शराब पीकर नाचना कौन सी जनजाति संस्कृति है। यह जनजाति परम्पराओं को विकृत करने जैसा है”
इधर, हाल ही बीते रविवार को उदयपुर जिले के उपखण्ड सलूम्बर में सोनार माता के मंदिर में ध्वजा चढ़ाने को लेकर जबरन विवाद खड़ा कर दिया गया। बीटीपी से जुड़ कुछ युवा मंदिर परिसर पहुंचे और मंदिर की धर्म ध्वजा उतारकर बीटीपी का झण्डा लगा दिया। पुजारी की ओर से पुलिस में इस सम्बंध में मामला दर्ज कराया गया है। दरअसल, इस मंदिर में हर जाति-समाज के लोगों की श्रद्धा बरसों से जुड़ी है। यहां के आयोजन सभी जाति- समाज मिलकर करते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस कृत्य के पीछे जनजाति समाज और अन्य समाज के बीच दूरी पैदा करने की मंशा से इनकार नहीं किया जा सकता।
इस र्दुभाग्यपूर्ण घटना का विरोध डूंगरपुर, प्रतापगढ़, राजसमंद, अरनोद, बागीदौरा, कुशलगढ़, सीमलवाड़ा, आसपुर, साबला, दौवड़ा, साधु संतो, मेट कोतवाल, पूजारी जैसी धार्मिक संस्थाओं के साथ राष्ट्रीय आदिवासी मंच, राजस्थान आदिवासी महासंघ आदि सामाजिक संस्थाएं व भाजपा, कांग्रेस राजनीतिक दलों के द्वारा भी ज्ञापन, विरोध वह दोषियों पर कार्रवाई की मांग की जा रही है।