कोरोना संक्रमण बचाव में लोगों की लापरवाहियां केवल खुद के साथ दूसरों को ही मुश्किल में डाल रही है बल्कि देश के स्वास्थ्य ढांचे के लिए भी चुनौतियां बढ़ा रही है,जो देश की आर्थिक- व्यापारिक गतिविधियों को गति देने में बाधक बन रही है……
यदि कोरोना संक्रमित मरीजों की घटती संख्या के बाद भी देश के प्रधानमंत्री को लोगों को संक्रमण से बचने के लिए आगाह करने हेतु देश के नाम संबोधन की आवश्यकता समझी तो समझ लीजिए कि वे कोरोना संक्रमण के प्रति कहीं न कहीं चिंतित हैं जिसमें आम जन इसके प्रति अभी भी अपेक्षित सावधानी नहीं बरत रहा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर बहुत से ऐसे वीडियो देखकर यह सही कहा कि लोग अपने प्रति लापरवाह हो रहे हैं लोगों ने कोविड-19 की गाइड लाइनों का पालन करना छोड़ दिया है। जिनमें यह दिखता है कि लोगों ने सतर्कता बरतनी बंद कर दी है। इसका कारण यह मिथ्या धारणा है कि कोरोना चला गया है या जाने वाला है। अभी ऐसे किसी नतीजे पर पहुंचना सही नहीं है। इस नतीजे पर पहुंचने और उसके चलते सावधानी का परिचय न देने के भविष्य में खतरनाक परिणाम हो सकते हैं- ठीक वैसे ही जैसे कई यूरोपीय देशों और अमेरिका में देखने को मिल रहे हैं। वहां कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने सिर उठा लिया है और इसके चलते फिर से प्रतिबंधात्मक उपाय लागू करने पड़ रहे हैं। यूरोप और अमेरिका में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का एक कारण तो लोगों की ओर से पर्याप्त सतर्कता न बरतने का कारण रहा और दूसरा मौसम परिवर्तन की बजह से वायरस की सक्रियता बढ़ जाना। भारत में भी मौसम परिवर्तन के कारण सर्दी बढ़ रही है साथ ही त्योहारों के आगमन के कारण सार्वजनिक स्थलों में भीड़ बढ़ती दिख रही है।
आजकल नवरात्र पर्व के कारण धार्मिक स्थलों में श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ एक चिंता का कारण है- इसलिए और भी कि क्योंकि लोग न तो शारीरिक दूरी को लेकर सचेत दिख रहे हैं और न ही मास्क का सही तरह उपयोग कर रहे हैं। आखिर मास्क का उचित तरीके से उपयोग करने में क्या कठिनाई है? जब यह साफ है कि शारीरिक दूरी और मास्क का इस्तेमाल ही कोरोना संक्रमण से बचाव का प्रभावी उपाय है, ऐसे में फिर कोरोना को लेकर लापरवाही बरतना खुद के साथ दूसरों और साथ ही देश को भी एक प्रकार से मुश्किल में डालना है। लोगों की लापरवाही केवल स्वास्थ्य ढांचे के लिए ही चुनौती नहीं बढ़ा रही है,बल्कि आर्थिक- व्यापारिक गतिविधियों को गति देने में भी बाधक बन रही है।
यह सही है कि लॉकडाउन की बंदिशें करीब-करीब खत्म हो गई हैं, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि कोरोना भी चला गया है। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि केरल में ओणम और महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी के कारण पिछले दिनों जिस तरह से स्थितियां खराब हुईं है। उससे आम जनता को इससे अनभिज्ञ नहीं होना चाहिए कि कोरोना वायरस से उपजी महामारी ने जो क्षति पहुंचाई है, उसकी भरपाई करना अभी भी कठिन काम बना हुआ है। इस व्यापक क्षति को देखते हुए समझदारी इसी में है कि लोग कोरोना संक्रमण बचाव में लापरवाहियां न बरतें खुद के साथ दूसरों और राष्ट्र का ध्यान रखें। देश के स्वास्थ्य ढांचे में आ रही चुनौतियों को न बनने दें। जिससे देश की आर्थिक-व्यापारिक गतिविधियों को गति मिल सकें। जब तक कोरोना पर काबू न पा लिया जाता,तब तक देश के प्रत्येक नागरिक को कोरोना संक्रमण बचाव में जरूरी सावधानी का परिचय देना चाहिए।
कमल किशोर डुकलान, रुड़की (हरिद्वार)