नई दिल्ली (हि.स.)। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के चुनिंदा भाषणों के संकलन की हिंदी और अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित दो पुस्तकों ‘लोकतंत्र के स्वर’ और ‘द रिपब्लिकन एथिक’ के दूसरे संस्करण का विमोचन किया। पुस्तकों का पहला संस्करण 06 दिसंबर,2018 में आया था।
उपराष्ट्रपति वेंकैया ने कहा कि भारत कभी भी आक्रामक नहीं रहा है और इसलिए उसने कभी किसी देश पर हमला नहीं किया क्योंकि उसका मानना है कि पूरी दुनिया एक परिवार है। उन्होंने कहा कि चर्चा और बहस के जरिए समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। हालांकि यदि कोई भारत पर आक्रमण करता है तो देश उसे कड़ा जवाब देगा। भारत ने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए लोकतंत्र का रास्ता चुना है।
वेंकैया ने कहा कि वह राष्ट्रपति कोविंद के ओजस्वी भाषण शैली से काफी प्रभावित हैं। उनके भाषणों में एक समावेशी, सर्वस्पर्शी समन्वय के लिए आग्रह रहता है। उनके भाषण देश की जनता के लिए सुगम होते हैं, वे जनसाधारण से सरलता से नाता जोड़ लेते हैं, वे नये भारत की दृष्टि को परिलक्षित करते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति कोविंद का लोकतांत्रिक मूल्यों में अटूट विश्वास है और जब वे गणतंत्र की दृष्टि में तल्लीन हो जाते हैं, तो लोगों के सामने कई पहलुओं-परत के सामने प्रकट करने के लिए वे बहुत गहरे जाते हैं। राष्ट्रपति कोविंद राष्ट्र को अन्नदाता किसानों, वैज्ञानिकों और पेशेवरों और सभी बहादुर जवानों के योगदान की याद दिलाते हैं।
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ‘लोकतंत्र के स्वर’ और ‘द रिपब्लिकन एथिक’ के दूसरे संस्करण को आठ भागों में बांटा गया है। यह किताबें किंडल और अन्य ई-प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होंगी। इसमें राष्ट्रपति कोविंद के जुलाई 2018 से जुलाई 2019 के बीच दिए 95 चयनित भाषण शामिल किए गए हैं। पुस्तकों को आठ भागों में बांटा गया है। इसमें विश्व पटल पर भारत, जनसेवा का धर्म, बलिदानी वीरों का सम्मान, उत्कृष्टता के उत्सव, हमारे प्रकाश स्तंभ महात्मा गांधी जैसे विषयों पर राष्ट्रपति के संबोधनों को संकलित किया गया है।
जावड़ेकर ने कहा कि राष्ट्रपति के भाषण एक रिचुअल न होते हुए थीमेटिक व आकर्षित बनाकर इस पुस्तक में प्रस्तुत किये हैं। इससे देश को नया मार्गदर्शन मिलेगा। पुस्तक में संस्कृति पर भारत के राष्ट्रपति के भाषण, विश्व शिक्षा में परिवर्तन और संसद में उनके भाषण शामिल हैं। उन्होंने राष्ट्रपति कोविंद की विनम्र पृष्ठभूमि को याद करते हुए कहा कि एक गरीब परिवार से एक वकील बनने और बाद में देश के शीर्ष पद पर पहुंचना बहुत महत्वपूर्ण है।
इस अवसर पर केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का जीवन सामाजिक न्याय के लिए निरंतर संघर्ष की एक गौरवशाली कहानी है और उनके भाषण दलितों के उत्थान के लिए उनकी चिंता को दर्शाते हैं। कार्यक्रम में सूचना और प्रसारण सचिव अमित खरे और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।
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